सीएम नायब सैनी के साथ भाजपा का पटका पहने नगर परिषद चेयरमैन राजेंद्र खिंची। साथ हैं गोबिंद कांडा।
फतेहाबाद नगर परिषद के चेयरमैन एक बार फिर से भाजपा में लौट आए हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने भाजपा उम्मीदवार को छोड़कर फतेहाबाद से कांग्रेस उम्मीदवार बलवान सिंह का समर्थन कर दिया था। मगर प्रदेश में तीसरी बार भाजपा की सरकार बन गई। इससे चेयरमैन का
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पिछले सात महीने से राजनीतिक रूप से पिछड़ापन झेल रहे चेयरमैन ने अब स्थानीय नेताओं की बजाय सिरसा के गोबिंद कांडा को साथ लेकर सीएम नायब सैनी से मुलाकात की और भाजपा का पटका पहना। उनके साथ दो पार्षदों ज्योति मेहता व सुरेंद्र डींगवाल ने भी भाजपा की सदस्यता ली।
दुड़ाराम दिलाकर लाए थे टिकट, उन्हीं से बिगड़ गई
दिलचस्प बात यह है कि राजेंद्र खिंची साल 2022 में बीजेपी की टिकट पर ही जीते थे। उस समय उन्हें तत्कालीन विधायक दुड़ाराम बीजेपी की टिकट दिलाकर लाए थे। विधायक के साथ से ही राजेंद्र खिंची ने जीत हासिल की। मगर दुड़ाराम के करीबी बिंटू टुटेजा की पत्नी सविता टुटेजा के वाइस चेयरपर्सन बनने के बाद राजेंद्र खिंची की मुश्किलें बढ़ गई। सविता टुटेजा नगर परिषद के कामकाज में राजेंद्र खिंची पर हावी रही। राजेंद्र खिंची ने कई बार इसका विरोध किया। अनुसूचित जाति आयोग को खिंची ने शिकायत भी भेजी थी। इसके बाद चेयरमैन राजेंद्र खिंची और विधायक दुड़ाराम के बीच भी मनमुटाव हो गया।
राजेंद्र खिंची का नामांकन भरवाते समय मौजूद रहे दुड़ाराम व डॉ.कमल गुप्ता। फाइल फोटो
दुड़ाराम को दूसरी बार टिकट मिली तो छोड़ गए साथ
दुड़ाराम से मनमुटाव होने के बाद राजेंद्र खिंची विधानसभा चुनाव का इंतजार करते रहे। विधानसभा चुनाव में जब दूसरी बार दुड़ाराम को बीजेपी की टिकट मिल गई तो चेयरमैन राजेंद्र खिंची खुलकर विरोध में आ गए। उन्होंने बीजेपी की टिकट पर जीतने के बावजूद अपने समर्थक पार्षदों के साथ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार बलवान सिंह का खुलेआम समर्थन कर दिया। चुनाव में बलवान सिंह जीत गए और दुड़ाराम को हार मिली। मगर प्रदेश में सरकार भाजपा की बन गई। ऐसे में एक बार फिर पूर्व विधायक के तौर पर भी दुड़ाराम का प्रभाव बना रहा।
तीन साल से विकास से ज्यादा खींचतान हावी रही
चेयरमैन राजेंद्र खिंची और पार्षदों का करीब तीन साल का कार्यकाल होने वाला है। मगर इन तीन सालों में विकास कार्यों से ज्यादा नगर परिषद में चेयरमैन व वाइस चेयरपर्सन के बीच खींचतान ही ज्यादा हावी रही। कभी पार्षदों द्वारा बताए गए एजेंडों पर काम नहीं हुआ तो कभी अफसरों ने चेयरमैन की सुनवाई नहीं की।
गोबिंद कांडा का लेना पड़ा सहारा
तत्कालीन विधायक दुड़ाराम से बिगड़ने के बाद चेयरमैन राजेंद्र खिंची सिरसा से वरिष्ठ भाजपा नेता गोबिंद कांडा के खेमे में चले गए। विधानसभा चुनाव से पहले कयास लगे कि गोबिंद कांडा फतेहाबाद से चुनाव लड़ सकते हैं। इसलिए चेयरमैन राजेंद्र खिंची अपनी टीम को लेकर गोबिंद कांडा के साथ हो लिए। मगर टिकट दुड़ाराम को ही मिली।