19 मिनट पहले
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क्या सेना ने 1971 युद्ध की ऐतिहासिक तस्वीर को हटा दिया है ?। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स यह दावा कर रहे हैं कि पाकिस्तानी सेना के सरेंडर को दिखाती इस ऐतिहासिक तस्वीर को हटा दिया गया है।
- इस दावे से जुड़े ट्वीट्स कई वेरिफाइड और नॉन वेरिफाइड यूजर्स ने किए हैं।
- हालांकि, खुद सेना ने अपने X हैंडल पर बताया कि 1971 युद्ध की यह तस्वीर हटाई नहीं गई है। इसे दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में जानबूझकर शिफ्ट किया गया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसे देख सकें।
महेश दीक्षित नामक एक्स यूजर ने वायरल दावे से जुड़ा ट्वीट करते हुए लिखा- 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना के भारतीय सेना के सामने घुटने टेक कर आत्मसमर्पण करते हुए दृश्य की ऐतिहासिक तस्वीर को सेना मुख्यालय से हटाने की घटिया हरकत ने एक बार फिर से RSS और बीजेपी का राष्ट्र विरोधी चेहरा देश के सामने बेनकाब कर दिया है। (अर्काइव ट्वीट)
देखें ट्वीट:
राजस्थान कांग्रेस में प्रदेश सचिव आजाद सिंह राठौर ने अपने ट्वीट में लिखा – चीफ ऑफ आर्मी के कार्यालय से 1971 युद्ध की इस ऐतिहासिक पेंटिंग को हटा कर एक बचकानी सी पेंटिंग लगाने का निर्णय निराशाजनक है। भारतीय सेना की विजय के महत्वपूर्ण पल के स्मृति चिह्न को रेनोवेशन के नाम मात्र पर हटा देना गलत है। हमें अपने गौरवशाली अतीत को मिटाने नहीं देना चाहिए—भविष्य की पीढ़ियों का हमारी विरासत से जुड़े रहना आवश्यक है। (अर्काइव ट्वीट)
देखें ट्वीट:
वहीं, भारतीय नामक एक्स यूजर ने भी ट्वीट किया – यह तस्वीर सेना मुख्यालय से हटा दी गई है। (अर्काइव ट्वीट)
देखें ट्वीट:
- ऐसा ही दावा उत्तराखंड कांग्रेस ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से किया। ट्वीट का अर्काइव वर्जन आप यहां देख सकते हैं।
क्या है वायरल दावे का सच ?
दरअसल, बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण वाली तस्वीर को हटाने का मामला संसद तक पहुंच गया था। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने सवाल उठाया था। दोनों ने सरकार पर भारत के सैन्य इतिहास और इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की विरासत को कमतर आंकने का आरोप लगाया।
इसके बाद सेना ने अपने X हैंडल पर बताया कि 1971 युद्ध की तस्वीर हटाई नहीं गई है। इसे दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में जानबूझकर शिफ्ट किया गया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसे देख सकें।
सेना ने अपनी पोस्ट में लिखा – “यह पेंटिंग भारतीय सशस्त्र बलों की सबसे बड़ी सैन्य जीतों में से एक और सभी के लिए न्याय और मानवता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। मानेकशॉ सेंटर, नई दिल्ली में इसकी प्रदर्शनी से बड़ी संख्या में दर्शकों को लाभ मिलेगा, क्योंकि इस स्थान पर भारत और विदेश से विविध दर्शक और गणमान्य व्यक्ति बड़ी संख्या में आते हैं।”
देखें ट्वीट:
दैनिक भास्कर ने इस पूरे घटनाक्रम पर एक आर्टिकल भी प्रकाशित किया है। आर्टिकल पढ़ने के लिए क्लिक करें। (अर्काइव लिंक)
देखें स्क्रीनशॉट:
- स्पष्ट है कि सेना के 1971 युद्ध की तस्वीर हटाए जाने का दावा गलत है। इस तस्वीर को सेना प्रमुख के लाउंज से हटाकर मानेकशॉ सेंटर में जानबूझकर शिफ्ट किया गया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसे देख सकें।
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