कोंडागांव में चारक पूजा की तैयारियां जोरों पर हैं। भगवान शिव को समर्पित यह पर्व चैत्र माह के अंतिम दिन मनाया जाएगा। इस बार मुख्य पूजा 14 अप्रैल को होगी।
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बंगाली समाज में नील पूजा के नाम से प्रसिद्ध इस पर्व की तैयारियां एक माह पहले से शुरू हो जाती हैं। श्रद्धालु पूरे माह व्रत और संयम का पालन करते हैं। भगवान शिव और माता पार्वती का रूप धारण कर भक्त घर-घर जाकर भिक्षा मांगते हैं।
पश्चिम बोरगांव शिवबाड़ी में 13 अप्रैल को विशेष अनुष्ठान होगा। इसके बाद खजूरभांगा महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। व्रतधारी भक्त इस दौरान एक बार भोजन करते हैं और पारंपरिक वेश धारण करते हैं।
कोंडागांव में चारक पूजा 14 अप्रैल को की जाएगी
खजूरभांगा महोत्सव के बारे में
खजूरभांगा महोत्सव में शिव भक्त गंगाजल से स्नान करते हैं। वे केसरिया वस्त्र पहनकर बिना सहारे खजूर के पेड़ों पर चढ़ते हैं। पेड़ की शाखाओं को तोड़कर नीचे खड़े भक्तों को प्रसाद के रूप में देते हैं।
पीठ में लोहे के कांटे लगवाए जाएंगे
पर्व के अंतिम दिन भक्त अपनी पीठ में लोहे के कांटे लगवाते हैं। वे रस्सियों से बंधकर लकड़ी के चरखों पर झूलते हैं। यही विशेष अनुष्ठान ‘चारक’ कहलाता है। यह पर्व भक्ति और तपस्या का प्रतीक माना जाता है।