बक्सर जिले के तिवारीपुर के एक किसान ने विदेशों में होने वाली ड्रैगन फ्रूट को बिहार के धरती पर उगाया है। इसकी खेती से वो महीना में लाखों की कमाई कर रहे हैं। किसान ने खेती की शुरूआत तीन साल पहले किया था जो पिछले दो सालों से फल दे रहा है। ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले बक्सर जिले के तिवारीपुर के पहले किसान दरोगा तिवारी हैं। उन्होंने बताया कि बहुत ही कम जमीन पर इसकी खेती कर फल को आसानी से लोकल मार्केट में भी बेचकर गाढ़ी कमाई किया जा सकता है। फिलहाल इस फल से साल में ढाई से तीन लाख रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं। 25 दिनों में चार से पांच क्विंटल निकलता है फल फल को बारे में जानकारी देते हुए बताया कि ये एक सीजन में 3 से 4 बार फल देता है। साल 2021-22 में हमने 16 कट्ठा जमीन में ड्रैगन फ्रूट्स खेती की। शुरुआत के डेढ़ साल के बाद जब पौधा हुआ तो फल देने लगा। फिलहाल 210 पोल पर प्लांट लगाए गए हैं। प्रत्येक फल का वजन लगभग 300 से 800 ग्राम तक होता है। एक पौधे पर 50 से 120 फल लगते हैं। हर 25 दिन पर चार से पांच क्विंटल फ्रुट निकलता है। इस फल को बाहर नहीं बल्कि अपने जिला के मंडियों एवं बाजारों में ही खपाना है। सबसे अच्छी बात ये है कि एक बार प्लॉटिंग के बाद इसमें फिर ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता है। हर साल बस मेंटेनेंस की जरूरत होती है। एक प्लांट की लाइफ 25 साल तक होती है। कम जमीन में ज्यादा मुनाफा दरोगा तिवारी ने बताया की पहले बाप दादाओं के पास ज्यादा जमीन थी। उत्पादन कम भी हुआ तो काम चल जाता था। आज जमीन का बंटवारा होते-होते सबके पास काफी कम जमीन बच गया है। सारे किसानों के पास यह समस्या है एक हमारे यहां नहीं है। सभी किसानों के पास अब धीरे-धीरे खेती लायक जमीन को लेकर समस्या होते जा रही है। इस परिवेश में कम खेती में अधिक अधिक मुनाफा कैसे हो उसपर काम चल रहा है। जिसके लिए ड्रैगन फ्रूट्स की खेती अभी बेहतर माना जा रहा है। 16 कट्ठा जमीन में लगाए इस फल से 3 लाख रूपए साल में कमा सकते हैं। वहीं, धान-गेंहू, बाजरा लगाकर 16 से 20 हजार रुपए साल में कमा सकते हैं। एक प्लांट की लाइफ 25 साल किसान ने कहा कि इसकी औसत उपज 5 से 6 टन प्रति एकड़ होती है। सबसे अच्छी बात ये है कि एक बार प्लांटिंग के बाद इसमें फिर ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता है। हर साल बस मेंटेनेंस की जरूरत होती है। एक प्लांट की लाइफ 25 साल तक होती है। फल के पौधों को दूसरे पौधों की तुलना में कम पानी की आवश्यकता होती है। इस प्रकार रोपण, फूल आने और फल विकास के समय या गर्म व शुष्क मौसम में बार-बार सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसके लिए सिंचाई की बूंद-बूंद पद्धति का उपयोग करना चाहिए। जंगली जानवरों से नुकसान का नहीं डर ड्रैगन फ्रूट के प्लांट लतर वाले होते हैं। इसलिए सहारे के लिए खेत में सीमेंट के खंभे या बांस बल्ला की जरूरत होती है। एक खंभे के साथ 3-4 प्लांट लगाए जा सकते हैं। जैसे-जैसे प्लांट बढ़ता है उसे रस्सी से बांधे जाते हैं। एक-सवा साल बाद प्लांट तैयार हो जाता है। ड्रैगन फ्रूट पहले साल में फल देना शुरू कर देता है। मई और जून में फूल लगते हैं। जुलाई से दिसंबर तक फल लगते हैं।उसके एक महीने बाद फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। इस अवधि के दौरान इसकी 3 से 4 बार तुड़ाई की जा सकती है। ड्रैगन फ्रूट के कच्चे फल हरे रंग के होते हैं, जो पकने पर लाल रंग में परिवर्तित हो जाते हैं। फलों की तुड़ाई का सही समय रंग परिवर्तित होने के तीन-चार दिनों बाद का होता है।सबसे बड़ी बात है की इसको जंगली जानवर नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।
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