Thursday, December 26, 2024
Thursday, December 26, 2024
Homeबिहारबक्सर में 1400 साल पुराने सूर्य मंदिर की मान्यता: छठ के...

बक्सर में 1400 साल पुराने सूर्य मंदिर की मान्यता: छठ के समय मंदिर के तालाब में खुद आता है पानी, चौखट पर लिपि पर शोध – Buxar News


बक्सर जिले के देवढीया सूर्य मंदिर में छठ पर्व को लेकर लोगों ने तैयारियां शुरू कर दी है। कल से सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ व्रत यहां शुरू हो जाएगा। इस मंदिर में पूजा करने के लिए बिहार और यूपी के कोने-कोने से लोग आते हैं। मंदिर को लेकर काफी मा

.

सूर्य मंदिर प्रांगण में एक पीपल का पेड़ मौजूद है। जिसको लेकर बताया जाता है कि यह पेड़ मंदिर स्थापना के समय से ही है। हालांकि ग्रामीणों द्वारा बताए गए मान्यता के अनुसार इस मंदिर का तालाब भी चमत्कारी माना जाता है। बताया जाता है कि इस मंदिर में मन्नत पूरी होती है।

बक्सर में स्थापित सूर्य मंदिर की 1400 साल पुरानी बताई जाती है।

मंदिर की बनावट

यह मंदिर जिले से लगभग 27 किलोमीटर दूर राजपुर प्रखंड अंतर्गत देवढ़िया गांव में स्थित है। जो 1400 साल पुराना बताया जाता है। भारत के महान सम्राट हर्षवर्धन (606-647 ई.) के समय बना यह सूर्य मंदिर इलाके के लोगों की आस्था का केंद्र है। गांव के बड़े तालाब के किनारे स्थापित इस मंदिर का गर्भ लगभग 20 गुणा 25 फीट का है। जिसमें काले चिकने पत्थर की सूर्य प्रतिमा स्थापित है। प्रतिमा की ऊंचाई लगभग 3 फीट है। भगवान सूर्य की प्रतिमा दोनों तरफ एक-एक प्रतिमाएं बराबर ऊंचाई की स्थापित है।

मंदिर के बगल में स्थापित तालाब में छठ के समय खुद भर जाता है पानी।

मंदिर के बगल में स्थापित तालाब में छठ के समय खुद भर जाता है पानी।

मंदिर कैंपस में सूर्य भगवान के साथ गणेश, शंकर समेत कई देवी-देवताओं की दर्जन भर से अधिक मूर्तियां स्थापित हैं। जिसमें सूर्य की प्रतिमाएं अधिक हैं। मंदिर के ठीक बीच में एक पीपल का विशाल पेड़ है। जो शुरू से ही लगा हुआ है। वहीं, देवढीया गांव निवासी अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि मंदिर के प्रवेश द्वार के चौखट पर अनजानी लिपी में कुछ शब्द लिखे गए हैं। जो हर्षवर्धन काल की बताई जाती है। हालांकि इस लिपी को पुरातत्व विभाग भी अब तक नहीं पढ़ सका है।

बताया जाता है कि मंदिर के चौखट पर लिखी लिपी को पुरातत्व विभाग भी अब तक नहीं पढ़ सकी। लेकिन इसपर शोध चल रहा है ।पुरातत्व विभाग लोग यहां के कण को भी लेकर गए हैं। जिस पर जयपुर और जर्मनी में शोध चलने की बात सुनने बताई जाती है।

छठ के समय खुद तलाब में आ जाता है पानी

गांव के झुरी राम ने बताया कि मंदिर चमत्कारी है। इसके बगल के तालाब में छठ पूजा के समय अपने आप पानी भर जाता है। छठ खत्म होने के एक दो महीने में पानी अपने आप सुख भी जाता है। तालाब के भीतर 2 फीट व्यास वाले सात कुंआ भी हैं। तालाब में खुदाई के क्रम में कई पुरानी प्रतिमाएं भी मिली हैं। जिसे सूर्य भगवान के मंदिर में स्थापित कर दिया गया है। इस मंदिर में ओडिशा के कोणार्क मंदिर जैसी ही भगवान सूर्य की छोटी प्रतिमाएं यहां पर भी स्थापित हैं।

सूर्य मंदिर में स्थापित प्रतिमाएं।

सूर्य मंदिर में स्थापित प्रतिमाएं।

श्रीमन नारायण तिवारी का कहना है कि इतिहास में भले ही देवढ़िया सूर्य मंदिर की चर्चा न हो। लेकिन यहां स्थापित मूर्तियां इस बात को साबित करती हैं कि यह प्राचीनतम धरोहरों में से एक है। गांव और आसपास के लोग बताते हैं कि हर्षवर्द्धन काल के समय की ही स्थापित भगवान सूर्य की प्रतिमाएं लोगों की आस्था की केंद्र रही हैं। लोग यहां मन्नतें मांगते हैं। पूरे होने के बाद यहीं छठ का अनुष्ठान करते हैं। यहां छठ करने के लिए बिहार के साथ साथ यूपी के मऊ, गाजीपुर और बलिया जिले के लोग पहुंचते है।



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular