लाइफ में वो सब कुछ हासिल किया जा सकता है, जो कुछ आपने ठान लिया हो। मेरे परिवार का सपना था कि बेटा बड़ा होकर MBBS डॉक्टर बने। मैं जब डॉक्टर बनकर घर पहुंचा, तो घरवालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। लेकिन, जब मेडिकल कॉलेज में अपने सीनियर को IAS-IPS बनते द
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बचपन में दादा जी जो कहानी सुनाया करते थे। उन कहानियों को हकीकत में बदल दिया। यह कहना है यूपी पुलिस के उस IPS अधिकारी का, जिसने 8 साल के करियर में 104 एनकाउंटर किए। यूपी के सबसे चर्चित बिकरू कांड में एक्शन लिया। 8 पुलिस वालों के 2 हत्यारों को महज 4 घंटे में ढेर कर दिया।
एक्शन ऑन द स्पॉट के लिए मशहूर डॉ. अनिल कुमार कभी मरीजों का इलाज करते थे। अब यूपी में अपराधियों का ढंग से इलाज कर रहे हैं। IPS अनिल कुमार ने कैसे खाकी वर्दी तक का सफर तय किया? उनके लिए सफलता के मायने क्या है?
दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज खाकी वर्दी में आज IPS डॉ. अनिल कुमार की स्टोरी 7 चैप्टर में जानते हैं…
राजस्थान के झुनझुनु जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर एक छोटा सा गांव अलसीसर है। यहां सरकारी स्कूल के टीचर प्रवीण कुमार का घर है। इसी घर में 6 दिसंबर 1981 को अनिल कुमार ने जन्म लिया। अनिल कुमार की मां सावित्री देवी हाउस वाइफ रहीं।
डॉ. अनिल कुमार बचपन के दिन याद करते हुए बताते हैं- मेरे पहले गुरु पापा ही थे। मम्मी ने मुझे हर वो बात सिखाई, जिससे सही रास्ते पर चलूं। चौथी क्लास तक तो मैं गांव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ा। तब जमीन पर बैठकर पढ़ाई करवाई जाती थी।
अनिल बताते हैं- पापा सरकारी टीचर थे, जब मैं पांचवीं क्लास में पहुंचा, तब मेरे ताऊ जी मनफूल सिंह, जो उस समय इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य थे। वो मुझसे बोले- बेटा मेरे साथ शहर चलो, वहीं पढ़ाई करना।
इसके बाद शहर आ गया। ताऊ जी के यहां रहकर पढ़ाई शुरू कर दी। 1997 में 89% अंकों के साथ 10वीं पास की। मेरा नाम राजस्थान बोर्ड के रिजल्ट की मेरिट में आया। घर-परिवार और गांव में इस बात की चर्चा होने लगी कि अनिल पढ़ने में होशियार है। मेरिट का मतलब- प्रदेश के टॉप 10 में नाम होना था।
डॉ अनिल कुमार कहते हैं- मेरी पढ़ाई पर मम्मी-पापा से ज्यादा ताऊ जी और मौसी भगवती देवी ध्यान देते थे। वो हमेशा कहते थे कि गांव से यहां पढ़ाने लाए हैं, तो ऐसा पढ़ो, जिससे गांव में ही नहीं पूरे प्रदेश में नाम बने। कई बार ताऊ जी खुद परीक्षा की तैयारी करवाते। 1999 में 90% अंकों के साथ 12 वीं की परीक्षा पास की। फिर से नाम मेरिट लिस्ट में आया।

डॉ अनिल कुमार बताते हैं- मेरे दादा हमेशा कहते थे कि बेटा ऐसा कुछ बनो, जिससे समाज और लोगों की सेवा कर सको। दूसरे भी आपके बारे में पूछे। आपका उदाहरण दें। कई बार जब एग्जाम देकर लौटता, दादा पूछ लेते कि क्या-क्या सवाल आए थे। वह अपने समय के किस्से भी सुनाया करते थे।
दादा जी हमेशा मुझसे कहते कि डॉक्टर बनना। यही इच्छा मम्मी-पापा और ताऊ जी की भी थी। यही वजह थी कि जब इंटर की पढ़ाई के दौरान ही मैंने MBBS की तैयारी शुरू कर दी थी। पास होने के बाद मैंने डॉ. सम्पूर्णानंद मेडिकल कॉलेज जोधपुर में MBBS में दाखिला ले लिया। 2005 में यहां से मेरी MBBS की पढ़ाई पूरी हुई। इसके बाद गुरुतेग बहादुर अस्पताल दिल्ली में बतौर जूनियर डॉक्टर सेवाएं देनी शुरू कीं। फिर मैं हिंदू राव अस्पताल में भी डॉक्टर रहा।
अनिल कुमार कहते हैं- नाम के आगे डॉक्टर लगा होना, सुखद था। लोग अपनी तमाम बीमारियों के बारे में डॉक्टर साहब…डॉक्टर साहब करते हुए इलाज करवाने आते। घर-परिवार, दोस्त-रिश्तेदार भी मुझे डॉक्टर साहब पुकारते थे। मैं अपनी जॉब के प्रति पूरी तरह समर्पित रहा।

डॉ अनिल कुमार बताते हैं- जिस सम्पूर्णानंद मेडिकल कॉलेज से मैंने MBBS किया, वहां मेरे सीनियर डॉ. पृथ्वीराज और डॉ. ओपी चौधरी IAS बने। डॉ. प्रदीप राज पुरोहित IFS बने। डॉ विक्रांत पांडे IAS बने। डॉ आरुषि मलिक IAS बनीं। डॉ. राजेश नागौरा IRS बने। डॉ. विपिन ताडा IPS बने, जो इस समय यूपी के मेरठ में SSP हैं।
मैंने अपने कॉलेज के कई सीनियर को UPSC क्रैक करते हुए देखा। पढ़ाई के दौरान हमारे प्रोफेसर अधिकारियों के नाम गिनाते। मुझे भी लगता कि मैं भी ऐसा कर सकता हूं। सभी सीनियर को देख मैंने भी मन में ठान लिया कि सिविल सर्विसेज की तैयारी करूंगा। लेकिन, शुरुआत में मैंने यह बात किसी को भी नहीं बताई।
दिल्ली के अस्पताल में डॉक्टरी करते हुए मैंने तैयारी जारी रखी। 2009 में यूपीएससी की परीक्षा में सफल हुआ, लेकिन रैंक कम आई। मेरा चयन इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस में हुआ। मैंने 7 साल तक यहां ड्यूटी की।
अनिल बताते हैं- यूपीएससी से ही दिल्ली पुलिस के ACP की नौकरी में भी चयन हुआ। लेकिन मेरा टारगेट सिर्फ IPS बनना था। UPSC में 4 बार नौकरी पाने में सफल हुआ। पांचवे प्रयास में IPS बना और बैच मिला 2016। यह बात, जब परिवार को पता चला कि मैं IPS बन गया, तो परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पहली बार गांव पहुंचा तो परिवार ने ही नहीं, पूरे गांव ने स्वागत किया। उस समय गांव का जो माहौल था, उसे आज भी नहीं भूला हूं।

डॉ अनिल कुमार कहते हैं- 2018 में नोएडा में पहली पोस्टिंग हुई। NCR में देखा कि यहां अपराधियों के क्राइम करने का पैटर्न अलग है। रंजिश से ज्यादा साइबर क्राइम है। सभी घटनाओं पर मौके पर पहुंचना, उसके बाद बारीकी से इन्वेस्टिगेशन करना मेरा प्राइमरी वर्क रहा। मर्डर और लूट की घटनाओं पर छोटे-छोटे पॉइंट पर मैंने अलग से डायरी बनाई। इन्हें नोट करते हुए केस सॉल्व करने लगा।
मार्च 2018 की बात है, नोएडा में व्यापारी से 625 किलो चांदी की लूट हुई। उस समय प्रशांत कुमार सर मेरठ जोन के ADG थे। लूट के खुलासे के लिए मुझे भी लगाया गया। इसके बाद हाईवे से लेकर अलग-अलग जगहों पर जाकर मैंने छानबीन की। सभी जगहों पर सीसीटीवी खंगाले।
हमें इनपुट मिला कि लूट करने वाले बदमाश दिल्ली के हैं। इसके बाद टीम को लीड करने की जिम्मेदारी मुझे दी गई। हम पीड़ित व्यापारी से पूरा क्राइम सीन समझ चुके थे। यमुना एक्सप्रेस-वे पर सेल टैक्स अधिकारी बनकर बदमाशों ने यह चांदी लूटी थी। हमने घटना में वर्क आउट करते हुए 4 बदमाशों को अरेस्ट किया। इनके पास से लूटी गई चांदी भी बरामद की।
इस घटना का खुलासा करने खुद मेरठ जोन के एडीजी प्रशांत कुमार सर आए। डॉ अनिल कुमार बताते हैं कि नोएडा के बाद वाराणसी में दूसरी पोस्टिंग हुई। वाराणसी में उस समय लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारियां चल रही थीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा भी यहां संभालने काे मिली। उस समय प्रवासी भारतीय दिवस वाराणसी में हुआ। इसमें पूरे विश्व के भारतीय आए। सभी की सुरक्षा के अलावा उनके संवाद में पूरा सहयोग किया। यह आयोजन बड़ा था। वाराणसी के कैंट थाना क्षेत्र में डबल मर्डर का केस भी सॉल्व किया।

डॉ अनिल कुमार बताते हैं-वाराणसी के बाद मुझे कानपुर में SP सिटी बनाया। यहां NRC/CAA के दौरान लॉ एंड ऑर्डर को बेहतर तरीके से संभाला। प्रदर्शन करने वाले लोगों को समझाया। कानपुर देहात एरिया के बॉर्डर पर बिकरू गांव पड़ता है। यहां 2 जुलाई, 2020 की रात विकास दुबे और उसके गुर्गों ने जो कुछ किया, उसने पूरे सिस्टम को हिला दिया। सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा, शिवराजपुर S0 महेशचंद्र यादव समेत 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई। क्राइम सीन अपराधियों की करतूत की गवाही दे रहा था।
डॉ. अनिल कुमार कहते हैं- रात में हमें सूचना मिली कि पुलिस टीम पर फायरिंग हुई है। चारों तरफ से गोलियां चलाई जा रही हैं। इसके बाद हम शहर से अपनी टीम के साथ बिकरू के लिए रवाना हुए। जब मैं वहां पहुंचा, तब तक कई थानों की पुलिस फोर्स आ चुकी थी। हमें पता चला कि सीओ देवेंद्र मिश्रा नहीं मिल रहे हैं, तभी खटक गया कि बड़ी अनहोनी हो गई।
फिर सीओ और अन्य पुलिसकर्मियों की तलाश शुरू की गई। रात का वक्त था, पूरे बिकरू को छावनी में तब्दील कर दिया गया। कॉन्स्टेबल, दरोगा, एसओ और सीओ, एक साथ 8 हत्याओं से खून खौल गया। उच्च अधिकारी भी पहुंच गए।
इसके बाद बदमाशों की घेराबंदी शुरू की। अलग-अलग टीमों को बनाया गया। हर टीम में 20 से 30 जवान थे। विकास दुबे और उसके दूसरे साथियों के की तलाश में हम बिकरू से करीब 8 किमी दूर जंगल पहुंच गए। सामने से पुलिस पर फायरिंग होने लगी, एक बार लगा कि अगर पीछे हट गया, तो साथियों का हौसला टूट जाएगा। मैंने बुलेट प्रूफ जैकेट पहनी। इसके बाद तेजी से आगे बढ़ने लगा।
खुद को चारों तरफ से घिरता देख विकास दुबे का गुर्गा अतुल दुबे बौखला गया। उसने कई राउंड फायरिंग की। हमने उसे सरेंडर करने को कहा, फिर जवाबी कार्रवाई में अतुल दुबे ढेर हो गया। उससे कुछ दूर प्रेम प्रकाश पांडे पेड़ से पीछे छिपकर गोलियां चला रहा था। उसने आधे घंटे तक गोलियां चलाईं। फिर वह भी मारा गया।
हमें केस की इन्वेस्टिगेशन के दौरान पता चला कि प्रेम प्रकाश पांडे ने ही घर के बाहर JCB खड़ी कर सीओ और अन्य पुलिसकर्मियों को घेरने का काम किया था। इसी कुख्यात के घर के अंदर सीओ की हत्या की गई, जहां से लाश मिली।

डॉ अनिल कुमार बताते हैं- 2021 में मुझे पहली बार भदोही जिले में SP की जिम्मेदारी मिली। यहां करीब 2 साल कप्तान रहा। गोपीगंज थाना क्षेत्र में एक विवाहिता रुचि की जिनका मां संध्या देवी एक दिन मेरे ऑफिस आईं। उनके हाथ में प्रार्थना पत्र भी नहीं था, वह बताते लगीं कि मेरी बेटी रुचि (27) को दामाद चेन्नई ले गया है। लेकिन, 3 साल से उससे कोई बात नहीं हुई है। वो कहता है कि बेटी लापता है। वहां गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई है।
अनिल कुमार ने बताया- महिला की पूरी बात सुनी, तो मुझे पहले ऐसा लगा कि कहीं अफेयर से जुड़ा केस न हो। लेकिन, यह सिर्फ आकलन था। मैं हमेशा फैक्ट पर विश्वास करता हूं। फिर भी मैंने इन्वेस्टिगेशन के लिहाज से यह बात रुचि की मां से पूछ ली। उन्होंने चुप्पी साध ली। फिर मैंने पूछा- बेटी के साथ कुछ अनहोनी तो नहीं हुई…इस पर वो बोलीं- हां, साहब। मुझे यही डर है कि कहीं मेरी बेटी की हत्या न कर दी गई हो।
इसके बाद मैंने गोपीगंज थाना प्रभारी को बुलाया। उन्हें पूरा केस सौंपा और एक टीम को चेन्नई भेज दिया। कुछ दिन बाद थाना प्रभारी ने बताया कि साहब यह हत्या का केस है, हत्या चेन्नई में हुई है।
मैंने कहा कि नहीं, पीड़ित यदि हमारे पास आईं हैं तो उनका केस यहीं पर दर्ज होगा। हत्या का खुलासा भी किया जाएगा। विवाहिता रुचि के गुम होने के 3 साल बाद फरवरी, 2023 में गोपीगंज थाने में मर्डर केस दर्ज किया गया। फोरेंसिक एक्सपर्ट लगाए। इसमें चेन्नई के उस घर की तलाशी ली, जहां 27 साल की विवाहिता रहती थी। बारीकी से पूरे पहलुओं पर काम किया गया। मैं लगातार इस केस की मॉनिटरिंग कर रहा था।
जांच में आया कि खून के निशान अभी भी उस घर की रसोई में हैं, फोरेंसिक टीम ने बताया तो विवाहिता का पति दिलजीत पकड़ा गया। उससे पूछताछ की गई। पहले वह गुमराह करता रहा, फिर सख्ती से पूछताछ करने पर उसने पूरी मर्डर स्टोरी बता डाली।
आरोपी ने बताया कि मुझे शक था कि मेरी पत्नी रुचि का एक युवक से अफेयर चल रहा है और वह उसके रिलेशन में है। इसी के चलते रसोई में कूकर के ढक्कन से पीट-पीटकर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद उसकी लाश एक बोरे में भरकर झील में फेंक दी थी।
आरोपी ने बताया- मैंने कूकर को कबाड़ में बेच दिया। चेन्नई में हुए हत्याकांड का भदोही में केस सॉल्व कर आरोपी पति को अरेस्ट कर जेल भेजा। यह खुलासा काफी चर्चित रहा। भदोही में ही माफियाओं की 300 करोड़ की संपत्ति जब्त की।

डॉ अनिल कुमार बताते हैं- भदोही में विधायक विजय मिश्रा पर गैंगस्टर की कार्रवाई की। उनकी गिरफ्तारी के बाद AK-47 बरामद की गई। अवैध संपत्ति को जब्त किया गया। भदौही के बाद बाद चंदौली का एसपी बना। चंदौली में माफियाओं पर सबसे बड़ी कार्रवाई की। यहां एक साल में माफियाओं पर 225 मुकदमे लिखे गए।
अवैध हथियार, शराब, ड्रग्स, गौतस्कर और बावरिंया गैंग के 520 लोगों को अरेस्ट कर जेल भेजा गया। अलीनगर में एक हत्या के केस में जनवरी 2023 में एक ही घटना में शामिल 8 लोगों का एनकांउटर किया गया। जिसमें सभी के पैर में गोली लगी।
डॉ अनिल कुमार इस समय एसपी प्रतापगढ़ हैं। जहां 5 महीने में 300 गैंगस्टर की कार्रवाई की। अपराधी किस्म के 700 लोगों को जेल भेजा गया। अवैध शराब को लेकर पूरे जिले में अभियान चलाया।
डॉ अनिल कुमार बताते हैं- दिसंबर 2022 की बात है। एक शादी समरोह में 8 साल की बच्ची की हत्या की सूचना मिली। सुबह बच्ची की लाश मिली। सूचना मिलते ही मैं तत्काल मौके चौरी पुलिस स्टेशन एरिया के क्राइम स्पॉट पर पहुंच गया। बच्ची के तन पर कपड़े नहीं थे। हमने तत्काल महिला पुलिस को बुलाकर जांच करवाई। प्राइमरी इन्वेस्टिगेशन में हमें रेप के बाद हत्या की आशंका थी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में इसकी पुष्टि भी हुई।
हमने केस के खुलासे के लिए 6 पुलिस टीमों को लगा दिया। ऐसे लोगों की लिस्ट बनाई गई, जो शादी में शामिल हुए और इस कांड के बाद से लापता हैं। जांच पड़ताल के दौरान नींबूलाल बनवासी का नाम सामने आया। जब इस आदमी की तलाश की गई तो यह घर पर नहीं मिला।
पुलिस की टीमों को लगाया। पता चला कि यह हत्या करने के बाद पुलिस के डर से जंगल में छिप गया। पुलिस जब आरोपी की तलाश करते हुए पहुंची तो इसने पुलिस पर फायरिंग कर दी। जहां पुलिस ने इसके दोनों पैर में गोली मारकर अरेस्ट किया। उसे जेल भेजा गया।
इस घटना में पुलिस ने सारे साक्ष्य कोर्ट में पेश कर चार्जशीट दाखिल की। कोर्ट से 25 दिन में ही दरिंदे को उम्रकैद की सजा हुई। इस केस का सही इन्वेस्टिगेशन और साक्ष्य के साथ विवेचना के बाद शासन ने भी सराहा। इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने टीम को पुरस्कृत भी किया।
डॉ अनिल अपने निजी जीवन के बारे में बताते हैं कि परिवार की मर्जी से शादी की। पत्नी दीप शिखा गृहिणी हैं। डॉ अनिल की बहन डॉ मंजू भी IAS अधिकारी हैं, इस समय राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले की DM हैं।
अचीवमेंट्स
- डीजीपी के सिल्वर मेडल से सम्मानित किया गया।
- डीजीपी के गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया।
- केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 8 साल की बच्ची के मर्डर केस में पुरस्कार दिया।

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