‘अब धीरे-धीरे यहां का मौसम बदलने लगा है, वातावरण सो रहा था, अब आंख मलने लगा है।’, यह गीत इन दिनों निपनियां गांव की माटी पर कलरव कर रहे बच्चों से आ रही है। निपनियां स्थित केजीएम ड्रीम्स स्कूल का वातावरण बदला-बदला दिख रहा है। अहले सुबह से ही विद्यालय क
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यह बच्चे कल तक कला की विभिन्न विधाओं से अपरिचित थे, आज अपने जीवन के कई रंगों को पहचाना शुरू कर दिया है, जीवन जीने की कला सीख रहें हैं। यह प्रतिभागी बीते 3 जून से आकाश रंगारंग चौपाल एसोसिएशन बरौनी द्वारा आयोजित शंभु साह स्मृति ग्रीष्मकालीन रंग कार्यशाला रंग उमंग में भाग ले रहे हैं।
कार्यशाला में शामिल बच्चे।
कार्यशाला में अलग-अलग गांव से पहुंचे बच्चे
कार्यशाला में 142 बच्चे अलग-अलग गांव से निपनियां पहुंच रहें हैं, लेकिन इन बच्चों के स्वर एक हो चुके हैं। इनकी बोली एक हो चुकी है, इनका शोर, इनका उल्लास-उमंग सब कुछ एक जैसा दिख रहा है। यह प्रयास आकाश गंगा के सदस्य कलाकार कर रहे हैं। संस्था के 30 प्रशिक्षक रोज-ब-रोज अहले सुबह से दोपहर बाद तक बच्चों को कला की विभिन्न विधाओं से अवगत करा रहे हैं।
कोई नृत्य, तो कोई नाटक, कोई चित्रकला तो कोई संगीत, आप जिधर भी देखिए बच्चों की अपनी धुन है। कार्यशाला में भाग ले रही संध्या राज कहती है कि यह अवसर अब तक नहीं मिला था। कार्यशाला में लोक नृत्य सीख रही स्नेहा का कहना है कि सुदूर देहात में इस तरह से कभी भी हम बच्चों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण का अनुभव नहीं मिल पाया था।
संध्या राज ने कहा कि आज हम सब प्रशिक्षित हो रहे हैं तो मन की उत्कंठा धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। कार्यशाला में भाग ले रही आयुषी, संस्कृति, नूतन, मुस्कान, जयश्री, राजनन्दनी, वैदिक सहित अन्य प्रतिभागी बच्चों ने कहा कि शायद जीवन में यह अद्भुत पल फिर नहीं मिल पाएगा। जहां इतने लोगों के साथ काम करने का मौका मिल रहा है।
कार्यशाला के डायरेक्टर दे रहे विभिन्न जानकारियां
कार्यशाला के बच्चे अब धीरे-धीरे अपनी बात रखनी शुरू कर दी है। संगीत के सारेगामा से लेकर अभिव्यक्ति के सबसे सशक्त माध्यम नाटक से भी जुड़ रहे हैं। कार्यशाला निर्देशक गणेश गौरव इन्हें खेल-खेल में कला की विभिन्न जानकारियों से लैस कर रहे हैं। संगीत प्रशिक्षक संतोष, आनन्द, बबलू, राजू, अमर ज्योति, बलिराम, गुड्डू बच्चों को स्वर लय ताल के साथ गीत भी सीखा रहे हैं।
मनीष एवं अंकित ने ललित कला के माध्यम से कार्यशाला को रोचक बना दिया है। नृत्य में साक्षी, अंकित, नरेश कुमार, अनिमेश, रोहित वर्मा, राधे कुमार अपना बेस्ट दे रहे हैं। नाटक को लेकर रवि वर्मा और कार्यशाला निर्देशक गणेश कुमार स्वयं बच्चों से रूबरू हो रहे हैं। कार्यशाला में निखिल, अभिलाषा, जितेंद्र सहित अन्य प्रशिक्षक हर बच्चों के पीछे मेहनत से लगे हुए हैं।
एसोसिएशन के सचिव गणेश गौरव कहते हैं कि आकाश गंगा रोज-ब-रोज काम करने वाली संस्था है। यह केवल संगीत, नाटक, चित्रकला मात्र के लिए ही काम नहीं करती, बल्कि सामाजिक मुद्दों को लेकर आमजन तक जाने वाली महत्वपूर्ण संस्था है। कार्यशाला संयोजक डॉ. कुंदन कुमार कहते हैं कि कार्यशाला स्थानीय जन समुदाय और वार्ड पार्षद कुमार गौतम की भागीदारी से आयोजित है, जिसमें बारो, बरौनी, बीहट, गढ़हरा, शोकहारा, अमरपुर, राजदेवपुर, मरांची सहित 12 गांव के बच्चे अपनी उपस्थिति दे रहे हैं।
वार्ड पार्षद कुमार गौतम, शिक्षक बसंत कुमार, विकास कुमार, अमिता कुमारी, पूजा देवी, आशा कुमारी अपनी मेहनत से इस कार्यशाला को बेहतरीन बनाने में जुटे हुए हैं। आलम यह है कि प्रतिभागी बच्चों के अभिभावक भी अब अपनी उपस्थिति देने लगे हैं और वे भी खुद को प्रतिभागी के रूप में देखना चाहते हैं।