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पटोरी बज्जिका भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए अब आंदोलन की जरूरत है। लोकसभा और विधानसभा में बज्जिका को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के लिए जनप्रतिनिधियों को जगाना होगा। ये बाते पटना से आई इतिहासविद् विद्या चौधरी ने रविवार को आचार्य नरेन्द्र देव महाविद्यालय के सभागार में कही। वे पटोरी पुस्तक मेला समिति द्वारा आयोजित बज्जिका महोत्सव की अध्यक्षता कर रही थीं।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि संयुक्त बज्जिका संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय वर्मा ने कहा कि बज्जिका उत्तर बिहार के अधिकतर हिस्सों में बोली जाती है। इसे मान्यता दिलाने के लिए राजनीतिक दबाव बनाना होगा। इसके लिए समाज में जागरूकता अभियान चलाना जरूरी है। मुख्य अतिथि मणिभूषण प्रसाद सिंह अकेला, रामनरेश शर्मा, अखौरी चंद्रशेखर, अमिताभ सिंह, बैद्यनाथ पंडित प्रभाकर ने भी बज्जिका को मातृभाषा का दर्जा दिलाने पर अपने विचार रखे। समारोह में पटना, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, वैशाली, सीतामढ़ी सहित कई जिले के तीन दर्जन से अधिक बज्जिका विचारक ने भाग लिया।