मध्य प्रदेश के बड़वानी में इंदिरा सागर की माइनर नहर में कचरा फंसने से किसानों की परेशानी बढ़ गई। नहर में पानी की निकासी बाधित होने से खेतों में पानी भर गया। किसानों को अपनी फसल बचाने के लिए नहर से पानी को नाले में मोड़ना पड़ा।
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सजवानी रोड पेरामाउंट से आशाग्राम की पहाड़ी तक जाने वाली 4.12 किलोमीटर लंबी यह उप नहर बाईपास को क्रॉस करती है। पिछले 10 वर्षों से नहर की सफाई नहीं हुई है। हर साल बिना सफाई के ही पानी छोड़ने से नहरें ओवरलोड हो जाती हैं।
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि नहर की सफाई के लिए जल समिति को प्रति हेक्टेयर केवल 100 रुपए मिलते हैं। इतनी कम राशि में सफाई करना संभव नहीं है। 2015 से शुरू हुई इस नहर की सफाई के लिए शासन से अब तक कोई फंड नहीं मिला है।
19 मई को नहरों में पानी छोड़ा गया। सजवानी और बाईपास क्षेत्र की उप नहर में 25 मई को पानी पहुंचा। किसान संजय काग ने बताया कि बुधवार शाम को नहर में पानी आने के बाद पाइप में कचरा जम गया।
इससे खेतों में पानी भर गया। कपास और ककड़ी की फसल को नुकसान पहुंचा। घटना की जानकारी मिलने पर अधिकारी मौके पर पहुंचे। बाईपास सड़क के नीचे नहर के पाइप में सफाई कार्य शुरू करवाया गया।
सूचना पर विभाग के अधिकारी-कर्मचारी सुबह से पहुंचे और सड़क के नीचे पाइप में सफाई कार्य शुरू करवाया। किसान संजय ने बताया कि बाईपास से सटी नहर में होटल वाले झूठा और अन्य कचरा भी फेंक जाते हैं।
जिससे नहर निकासी पर प्रभाव पड़ता है। वहीं जूठन फेंकने से कुत्ते व मवेशी भी नहर में मंडराते है। किसान नहर सफाई का ध्यान नहीं रखतेसब इंजीनियर एसएस सोलंकी ने बताया कि बुधवार शाम नहर में पानी छोड़ा था।
इसके बाद देर शाम को बाईपास के नीचे नहर के पाइप में कचरा जमा होने से पानी निकासी रूक गई। किसानों ने तत्कालिन रुप से नहर का पानी नाले में मोड़ा। वैसे नहर किनारे खेत वाले किसान सफाई का ध्यान नहीं रखते।
कई किसान नहर में कचरा फेंक देते हैं। प्री मानसून के पूर्व हवाएं चलने से कचरा नहर में जमा हो गया था। किसानों की सूचना पर हमने नहर के पाइप की सफाई शुरू की हैं।
नहर में बड़े-बड़े पत्थर, मिट्टी-रेत सहित लकड़ी की काठियां निकाली जा रही है। बाईपास के नीचे 1000 मिमी का पाइप डाला हैं। दो लोग उसके अंदर घुसकर फावड़े व अन्य साधन से सफाई कर रहे है।
