केंद्र सरकार के सख्त कानून के कारण राजस्व मद में दर्ज छोटे व बड़े झाड़ के जंगल में मंजूरी के बिना कोई भी निर्माण नहीं हो सकता। इसी नियम के कारण खाली जमीन होने पर भी कई जगह सब स्टेशन, कॉलेज नहीं बन पा रहे हैं, लेकिन रतनपुर के करीब घासीपुर में बड़े झाड़ के
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यहां तक कि बिना मंजूरी के रिसॉर्ट बनाया जा रहा है। इसके लिए सड़क भी बनाई गई है। जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर एक बड़ा पैच है, जो राजस्व रिकॉर्ड में बड़े झाड़ के जंगल मद में दर्ज है। मिसल िरकॉर्ड में पूरा एरिया 305.13 हेक्टेयर यानी 754 एकड़ है। इस जमीन पर लोगों ने मकान बना लिए हैं। खेती हो रही है।
बाकायदा सरकार लोगों से धान और कोदो खरीद भी रही है। सड़कें बन गई हैं। यहां लगातार निर्माण हो रहा है। इसके बावजूद वन या राजस्व विभाग ने रोक-टोक नहीं की है। वन विभाग के अधिकारी यह कह रहे हैं कि राजस्व विभाग को निगरानी करनी चाहिए, जबकि एसडीएम तहसीलदार और पटवारी को जिम्मेदार बता रहे हैं।
रतनपुर मास्टर प्लान एरिया में है। यहां किसी भी तरह के निर्माण से पहले टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग की अनुमति जरूरी है, लेकिन नियम विपरीत हो रहे निर्माण को लेकर जिम्मेदार आंख मूंदे बैठे हैं।
जमीन रेवेन्यू के पजेशन में ^जमीन राजस्व विभाग के पजेशन में है, इसलिए मालिकाना हक उन्हीं का है। वन विभाग की जिम्मेदारी तब होगी, जब वन संरक्षण व संवर्धन कानून लागू होगा। हम लैंड बैंक बनाने जा रहे हैं। इस संबंध में जिला प्रशासन को पत्र लिखकर रिकॉर्ड मांगा गया है। -सत्यदेव शर्मा, डीएफओ
तहसीलदार की जिम्मेदारी ^पटवारी व तहसीलदार की पहली जिम्मेदारी है कि वे ऐसे मामलों पर नजर रखें और कार्रवाई करें। घासीपुर में बड़े झाड़ के जंगल मद में दर्ज जमीन पर अवैध निर्माण के मामले में मैं तहसीलदार से जानकारी लूंगा। इस पूरे प्रकरण का परीक्षण कर कार्रवाई करेंगे। -एसएस दुबे, एसडीएम कोटा
नगर निवेश मंत्री ने गिनाई थी अपनी मजबूरी
तखतपुर विधायक धर्मजीत सिंह ने छोटे-बड़े झाड़ के जंगल के कारण विकास कार्यों में आने वाली परेशानी का मुद्दा उठाया था। मौके पर घास का एक तिनका भी नहीं है, लेकिन राजस्व रिकॉर्ड में छोटे-बड़े झाड़ के जंगल मद में दर्ज होने के कारण प्रोजेक्ट बना पर लगा नहीं पा रहे। 220 केवी का सब स्टेशन नहीं बन पा रहा, क्योंकि 15 एकड़ जमीन चाहिए।
कॉलेज की बिल्डिंग नहीं बन पा रही। इस पर नगर निवेश मंत्री ओपी चौधरी ने भी सख्त कानून की मजबूरी बताई थी। उन्होंने बताया था कि ऐसी समस्या उनके विधानसभा क्षेत्र के साथ-साथ कई नगर पंचायतों में है। कोटा ब्लॉक का अधिकांश हिस्सा छोटे-बड़े झाड़ के जंगल के मद में दर्ज है। इस कारण इतने सालों में कोटा का विकास नहीं हो सका।