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बदलापुर एनकाउंटर की जांच में 5 पुलिसकर्मी जिम्मेदार: FIR होगी, पुलिस वैन में शूटआउट के दौरान मारा गया था यौन शोषण का आरोपी


मुंबई12 मिनट पहले

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पुलिस ने 24 साल के आरोपी अक्षय शिंदे को 17 अगस्त को यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार किया था। 23 सितंबर को अक्षय की पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई थी।

महाराष्ट्र के बदलापुर में 12 अगस्त 2024 को 2 बच्चियों के साथ हुए यौन शोषण की घटना हुई थी, जिसके मुख्य आरोपी अक्षय शिंदे की 23 सिंतबर को पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई थी। एनकाउंटर की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए थे, जिसकी रिपोर्ट 4 महीने बाद सोमवार 20 जनवरी को बॉम्बे हाईकोर्ट में पेश की गई।

बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस नीला गोखले की डिवीजन बेंच ने कहा- जांच में पता चला है कि एनकाउंटर के लिए वैन में मौजूद 5 पुलिसकर्मी जिम्मेदार थे। इन पांचों पर FIR दर्ज की जाए। सरकार हमें 2 हफ्ते में बताए कि इन पांचों के खिलाफ कौनसी जांच एजेंसी जांच करेगी।

दरअसल, ठाणे क्राइम ब्रांच ने आरोपी अक्षय शिंदे का 23 सिंतबर को शाम करीब 6:15 बजे एनकाउंटर किया था। क्राइम ब्रांच अक्षय को तलोजा जेल से बदलापुर लेकर गई थी। सरकार ने कहा था कि अक्षय ने पुलिस की रिवॉल्वर छीनकर फायर किए थे, सेल्फ डिफेंस में पुलिस ने गोली चलाई और अक्षय मारा गया था।

आरोपी अक्षय की मौत के बाद उसके पिता ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका लगाकर एनकाउंटर की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) गठित करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था अक्षय को कस्टडी में जमकर पीटा गया था। मामले को दबाने के लिए एनकाउंटर कर दिया गया। उसका शव भी नहीं देखने दिया।

आरोपी अक्षय की मां ने शव लेने से इनकार किया था आरोपी शिंदे की मां ने कहा एनकाउंटर के बाद कहा था कि हम अस्पताल में घंटों इंतजार करते रहे। लेकिन पुलिसवालों ने हमें अक्षय का शव भी देखने नहीं दिया। अक्षय के खिलाफ यौन शोषण के आरोप साबित नहीं हुए थे। वह पटाखे फोड़ने तक से डरता था। पुलिस पर गोली कैसे चला सकता था। एनकाउंटर एक साजिश है। अब हम उसका शव नहीं लेंगे। अक्षय ने बताया था कि पुलिस वाले उसे पीटते थे। दबाव डालकर बयान भी लिखवाते थे।

आरोपी अक्षय शिंदे की एनकाउंटर के बाद की फोटो, उसे अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया था।

आरोपी अक्षय शिंदे की एनकाउंटर के बाद की फोटो, उसे अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया था।

आरोपी पर गोली चलाने वाले इंस्पेक्टर ने दाउद के भाई को पकड़ा था आरोपी अक्षय पर गोली चलाने वाले इंस्पेक्टर संजय शिंदे ठाणे क्राइम ब्रांच के एंटी-एक्सटॉर्शन सेल के हेड रह चुके थे। वे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा की टीम में भी थे। इसी टीम ने 2017 में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद के भाई इकबाल कासकर को गिरफ्तार किया था।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 19 मार्च को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को आजीवन जेल की सजा सुनाई थी। उन्हें 2006 में गैंगस्टर छोटा राजन के करीबी के फर्जी एनकाउंटर मामले में दोषी माना गया था। प्रदीप शर्मा की टीम के एनकाउंटर की कहानी पर डॉक्युमेंट्री सीरीज भी बन चुकी है।

संजय शिंदे के खिलाफ 2012 में इन्क्वायरी भी हुई थी। 2012 में दो हत्या मामलों का आरोपी विजय पलांडे पुलिस हिरासत से भाग निकला था। वह जिस SUV से भागा था, उसमें संजय की वर्दी मिली थी। वे साल 2000 में भी किडनैपिंग केस में विवादों में आए थे।

ठाणे पुलिस ने इसी वैन में आरोपी का एनकाउंटर किया था। पुलिस अधिकारियों ने मंगलवार सुबह इसकी जांच की।

ठाणे पुलिस ने इसी वैन में आरोपी का एनकाउंटर किया था। पुलिस अधिकारियों ने मंगलवार सुबह इसकी जांच की।

बदलापुर के स्कूल में यौन शोषण की खबर फैलने के बाद स्थानीय लोगों ने स्कूल का घेराव किया था।

बदलापुर के स्कूल में यौन शोषण की खबर फैलने के बाद स्थानीय लोगों ने स्कूल का घेराव किया था।

आरोपी ने 1 अगस्त को स्कूल जॉइन किया, 12-13 अगस्त को यौन शोषण किया

बच्चियों से रेप का आरोपी अक्षय शिंदे स्कूल में स्वीपर का काम करता था। वह 1 अगस्त को ही कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त हुआ था। 12 और 13 अगस्त को उसने स्कूल के गर्ल्स वॉशरूम में किंडरगार्टन में पढ़ने वाली 3 और 4 साल की दो बच्चियों का यौन शोषण किया।

घटना के बाद दोनों बच्चियां स्कूल जाने से डर रही थीं। एक बच्ची के माता-पिता को शक हुआ तो उन्होंने बेटी से पूछताछ की। इसके बाद बच्ची ने सारी बात बताई। फिर उस बच्ची के माता-पिता ने दूसरी बच्ची के पेरेंट से बात की। इसके बाद दोनों बच्चियों का मेडिकल टेस्ट हुआ, जिसमें यौन शोषण का खुलासा हुआ।

आरोपी को दादा बोलती थीं बच्चियां, 17 अगस्त को गिरफ्तार हुआ था

पुलिस पूछताछ में सामने आया था कि बच्ची आरोपी शिंदे को दादा (बड़े भाई के लिए मराठी शब्द) कहकर बुलाती थी। बच्ची के मुताबिक, ‘दादा’ ने उसके कपड़े खोले और गलत तरीके से छुआ। स्कूल में जहां घटना हुई थी, वहां महिला कर्मचारी नहीं थी।

दोनों बच्चियों का परिवार जब केस दर्ज कराने के लिए थाने पहुंचा, तो पुलिस ने भी FIR दर्ज करने में टालमटोल की। पीड़ित परिवारों ने सामाजिक कार्यकर्ताओं से मदद मांगी। दो दिन बाद 16 अगस्त की देर रात पुलिस ने शिकायत दर्ज की। पुलिस ने 17 अगस्त को आरोपी को गिरफ्तार किया था।

लोगों ने ट्रेनें रोकी थीं, पुलिस पर पथराव किया था

20 अगस्त को प्रदर्शनकारियों ने स्कूल का मेन गेट खुलवाया और अंदर घुसकर तोड़फोड़ की।

20 अगस्त को प्रदर्शनकारियों ने स्कूल का मेन गेट खुलवाया और अंदर घुसकर तोड़फोड़ की।

घटना को लेकर भीड़ ने 20 अगस्त को सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक बदलापुर स्टेशन पर प्रदर्शन किया था। 10 घंटे से ज्यादा लोकल ट्रेनों की आवाजाही रुकी रही। शाम को पुलिस ने लाठीचार्ज कर रेलवे ट्रैक खाली कराया। तब पुलिस पर भीड़ ने पत्थरबाजी भी की थी।

कैबिनेट मंत्री गिरीश महाजन प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने के लिए बदलापुर स्टेशन पहुंचे, लेकिन उन्हें लौटना पड़ा था। इसके बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने SIT गठित करने का ऐलान किया। इसके अलावा सरकार ने केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने की बात कही थी।

राज्य सरकार ने केस दर्ज करने में देरी के आरोप में बदलापुर थाने के महिला पुलिस निरीक्षक समेत 3 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था। साथ ही प्रिंसिपल समेत कुछ स्कूल स्टाफ को भी सस्पेंड किया था।

बाल आयोग ने कहा- स्कूल प्रशासन ने केस दबाने की कोशिश की

महाराष्ट्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष सुसीबेन शाह ने आरोप लगाया था कि स्कूल ने बच्चियों के पेरेंट्स की मदद करने के बजाय अपराध को छिपाया। स्कूल समय पर संज्ञान लेकर शिकायत दर्ज करवाता तो अराजक स्थिति से बचा जा सकता था। मामले को लेकर आयोग CM एकनाथ शिंदे को रिपोर्ट पेश कर चुका है।

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