बरकतउल्ला विश्वविद्यालय (बीयू) में बुधवार को हिंदी पखवाड़े का समापन हुआ है। समापन कार्यक्रम में अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. खेमसिंह डहेरिया ने कहा कि हिंदी में सबसे ज्यादा शब्द ग्राहिता का सामर्थ्य है। हिंदी अकेली हिंदी नहीं है, इसमें ब्रज, बुंदेली, अवधी जैसी बोलियां हैं। इनके अलावा अन्य भारतीय भाषाओं को मिलाकर हिंदी समृद्ध हुई है। प्रो. डहेरिया ने कहा कि देश में भी हिंदी की स्वीकारता के साथ वैश्विक स्तर पर स्वीकारता बढ़ रही है। हिंदी संयुक्त राष्ट्र संघ की संपर्क की भाषा बन गई है। इसे संयुक्त राष्ट्र की सातवीं अधिकारिक भाषा बनाने के लिए भी पहल शुरू हो चुकी है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की इतनी जनसंख्या है कि व्यापार व्यवसाय के लिए हिंदी को विश्व की जरूरत नहीं विश्व को हिंदी की जरूरत है। राजनीतिक कारणों दक्षिण के एक-दो राज्यों में दिखाने के लिए हिंदी का विरोध होता है। जबकि हिंदी को सबसे ज्यादा बढ़ावा दक्षिण के मनीषियों ने दिया। हमें हिंदी पर गर्व करना होगा… तुलनात्मक भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बीयू के कुलगुरु प्रो. एसके जैन ने कहा कि अब हिंदी को लेकर लोगों को सोचने के ढंग में परिवर्तन करना होगा। अब हिंदी पर हमें गर्व करना होगा। यह अवसर हमें नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने दिया है। इसमें मातृभाषा पर जोर दिया है। इस दौरान विभागाध्यक्ष अच्छेलाल, प्रो. रागिनी गोथलवाल, प्रो. ताहिरा अब्बासी, डॉ.श्रुति अग्रवाल आदि शिक्षक व छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। हिंदी पखवाड़े में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता छात्र-छात्राओं को अतिथियों ने पुरस्कृत किया गया।
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