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Guru Chandal Yog : गुरु चांडाल योग में राहु-बृहस्पति एक साथ होने पर जातक को नुकसान और स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं. यह योग चरित्र, धन, वैवाहिक जीवन और करियर पर असर डालता है.
जन्म कुंडली के 12 भावों में गुरु चांडाल योग प्रभाव अलग-अलग होता है.
हाइलाइट्स
- गुरु चांडाल योग में राहु-बृहस्पति साथ होने से नुकसान होता है.
- यह योग चरित्र, धन, वैवाहिक जीवन और करियर पर असर डालता है.
- जन्म कुंडली के 12 भावों में इसका प्रभाव अलग-अलग होता है.
Guru Chandal Yog : यदि किसी जातक की कुंडली में राहु और देवगुरु बृहस्पति एक साथ हो तो गुरु चांडाल योग बन जाता है. कुंडली में कहीं भी यह योग यदि बनता है तो मिट्टी के जीवन में सदैव नुकसान और स्वास्थ्य की समस्याएं बनी रहती है. ऐसे तो यह योग सदैव ही नुकसानदायक होता है लेकिन यह योग यदि लग्न पंचम या नवम भाव में बन जाए तो इसका प्रभाव हमारे जीवन पर बहुत नकारात्मक होता है. जन्म कुंडली के सभी 12 भावों में गुरु चांडाल योग का क्या प्रभाव होता है, आइये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
प्रथम : प्रथम भाव में गुरु चांडाल योग बनने पर व्यक्ति का चरित्र संदिग्ध हो सकता है.वह धनवान तो हो सकता है लेकिन वह विशेष स्वार्थी व्यक्ति होगा.
द्वितीय : द्वितीय भाव में जिस जातक के गुरु चांडाल योग होता है. ऐसा जातक धन की प्राप्ति के लिए विशेष प्रयासरत रहता है. वह किसी भी हद तक जा सकता है. जिसकी वजह से परिवार में अक्सर विवाद हो सकते हैं.
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तृतीय : तीसरे भाव में गुरु चांडाल योग जातक को बहुत ही मुखर एवं दुस्साहसी बनता है. ऐसा जातक किसी भी कार्य को करने से पहले सोचता नहीं है.
चतुर्थ : चतुर्थ भाव में गुरु चांडाल योग जातक को संपत्ति एवं भौतिक सुखों से सुसज्जित करता है. लेकिन उसके परिवार में सदैव बीमारी परेशानी और विवाद की स्थिति बनी रहती है.
पंचम : इस भाव में गुरु चांडल योग के बनने से जातक को शिक्षित और बुद्धिमान संतान प्राप्त होती है. लेकिन यदि बृहस्पति पीड़ित होता है तो इसके विपरीत मूर्ख संतान उसे प्राप्त होती है.
षष्ठ : किसी व्यक्ति की कुंडली में इस भाव में गुरु चांडाल योग होता है.तो ऐसे व्यक्ति के जीवन में पारिवारिक अशांति बनी रहती है. उसे विशेष रूप से कष्टों का सामना करना पड़ता है.
सप्तम : सप्तम भाव में गुरु चांडाल योग व्यक्ति के जीवन में वैवाहिक कष्ट देता है. देर से विवाह होना एवं जीवनसाथी के साथ मतभेद. जीवनसाथी के स्वास्थ्य का खराब रहना इस योग का विशेष लक्षण है.
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अष्टम : इस भाव में गुरु चांडाल योग के बनने से व्यक्ति के जीवन में बार-बार चोट और एक्सीडेंट की समस्याएं लगी रहती हैं, साथ ही उसके जीवन में बीमारियों का अंबार लगा रहता है.
नवम : इस भाव में गुरु चांडलियो के बनने पर व्यक्ति के जीवन में उसके पिता के साथ सदैव मतभेद बने रहते हैं. पिता का घर भी अक्सर छूट जाता है, साथ ही व्यक्ति की बुद्धि भ्रमित रहती है. धर्म कर्म के कार्यों से ऐसा व्यक्ति दूर रहता है.
दशम : दशम भाव में गुरु चांडाल योग के होने से व्यक्ति के जीवन में करियर में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे जातक के स्थाई व्यवसाय नहीं रहते हैं. समय-समय पर व्यावसायिक घाटा लगता रहता है.
एकादश : इस भाव में गुरु चांडाल योग के बनने से व्यक्ति की दैनिक आय में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे व्यक्ति को जीवन में प्रेम प्रसंग एवं मित्रों के साथ भी धोखा मिलता है.
द्वादश : जन्म कुंडली के 12वें भाव में गुरु चांडाल योग बनने से जातक को परिवार का सुख नहीं मिलता है. ऐसा व्यक्ति स्वतंत्र विचारधारा रखता है साथ ही वह घर से दूर रहना पसंद करता है. ऐसे व्यक्ति को घर में कामयाबी नहीं मिलती है.
March 18, 2025, 13:45 IST
बहुत खतरनाक है यह योग, वैवाहिक जीवन, सुख और स्वास्थ्य,सब कर देता है तहस-नहस!