ढाका3 मिनट पहले
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बांग्लादेश ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए भारत को डिप्लोमेटिक नोट भेजा है। द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश के विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन ने इसकी पुष्टि की है।
हुसैन ने कहा-
हमने भारत सरकार को एक राजनयिक चिट्ठी भेजी है। इसमें कहा गया है कि बांग्लादेश सरकार कानून का सामना करने के लिए शेख हसीना को वापस चाहती है।
इससे पहले गृह मामलों के सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया चल रही है। दरअसल, 5 अगस्त को तख्तापलट के बाद शेख हसीना ने भागकर भारत में पनाह ले ली थी। वे तब से यही पर हैं।
जहांगीर आलम चौधरी बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में गृह मामलों के सलाहकार हैं।
बांग्लादेश शेख हसीना की भारत से वापसी को लेकर सवाल पूछे जाने पर जहांगीर ने कहा कि भारत-बांग्लादेश के बीच अपराधियों की अदला-बदली को लेकर समझौता है। यह उसी समझौते के तहत किया जाएगा।
बांग्लादेश में अगस्त 2024 में शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद अंतरिम सरकार का गठन हुआ था। उनके देश छोड़ने के सिर्फ 8 दिन बाद शेख हसीना पर पहला केस दर्ज हुआ और अब तक उन पर 225 से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं। इनमें कई गंभीर अपराध से जुड़े हैं।
इनके आधार पर कई बांग्लादेशी नेता यह मांग कर रहे हैं कि भारत शेख हसीना को बांग्लादेश सरकार के हवाले कर दे। हालांकि अभी तक बांग्लादेश ने आधिकारिक तौर पर भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग नहीं की है।
शेख हसीना 5 अगस्त की शाम अपनी बहन के साथ ढाका से गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पहुंची थीं।
भारत पर लोगों को जबरन गायब करने का आरोप लगाया
इस बीच बांग्लादेश के एक जांच आयोग ने देश से ‘जबरन गायब’ होने वाले लोगों के पीछे भारत की संलिप्तता का आरोप लगाया है। इस जांच आयोग का गठन 27 अगस्त को यूनुस सरकार ने किया था। आयोग ने इसमें रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) की भी भूमिका होने की भी बात कही है। इसलिए जांच आयोग ने RAB को खत्म करने की भी सिफारिश की है।
यूनुस सरकार की जांच आयोग ने रिपोर्ट में 3500 से ज्यादा लोगों की गुमशुदा होने का अनुमान लगाया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बांग्लादेशी कैदी अभी भी भारत के जेलों में बंद हो सकते हैं।
इसके अलावा आयोग ने भारत-बांग्लादेश के बीच कैदियों की अदला-बदली की खुफिया रिपोर्ट का भी जिक्र किया है। जांच आयोग ने जबरन गुमशुदगी को दिखाने के लिए दो मामलों का जिक्र किया है। पहला मामला सुखरंजन बाली का है।
सुखरंजन बाली के भाई की 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के समय हत्या कर दी गई थी। उनकी हत्या करने का आरोप जमात के एक नेता हुसैन सईदी पर लगा था। इसी मामले में एक गवाही देने के दौरान नवंबर 2012 में सुप्रीम कोर्ट से सुखरंजन का किडनैप में कर लिया गया था।
कुछ महीने बाद पता चला कि उसे कोलकाता की दमदम जेल में रखा गया है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि बाली को सादे कपड़ों में लोगों ने उसे कोर्ट से अगवा कर लिया और फिर भारत भेज दिया गया। भारत में अवैध रूप से घुसने के लिए उसे जेल भेज दिया गया।
बाद में बाली ने भारत सरकार से मांग की थी कि उसे भारत में शरण दिया जाए क्योंकि बांग्लादेश में उसकी हत्या हो सकती है। दूसरा मामला BNP नेता सलाहुद्दीन अहमद का है।
सलाहुद्दीन, बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के सहयोगी थे। उन्होंने मार्च 2015 में देश छोड़ दिया था। 2 महीने बाद उन्हें भारत के शिलांग में देखा गया था। इसके बाद उन्हें देश में अवैध रूप से घुसने की वजह से गिरफ्तार कर लिया गया था।
जांच आयोग का आरोप है कि बांग्लादेश की रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) ने भारत की मिलिभगत से इन घटनाओं को अंजाम दिया है। इन लोगों को जानबूझकर भारत की सीमा में ले जाया गया और उन्हें भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया गया।
जांच आयोग ने कहा कि जबरन गायब किए जाने की अब तक 1,676 शिकायतें दर्ज की गई हैं। इनमें से 758 मामलों की जांच की जा चुकी है। आयोग ने कहा कि बांग्लादेश में जबरन गायब किए जाने की संख्या 3,500 से ज्यादा हो सकती है।