बांदा कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों ने बेकार लकड़ी से नए-नए उत्पाद बनाने की अनोखी पहल शुरू की है, जिसका उपयोग केवल जलाने के लिए होता था। अब इन छात्रों ने इन उत्पादों को आकार और मशीनरी सिस्टम के जरिए बेहतर बनाया है, जिससे ये रोजमर्रा की चीजों में बदलक
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उत्पादों में महिलाओं से जुड़ी वस्तुएं जैसे झुमके, चाबी के छल्ले, हाथ में पहनने के लिए कंगन, और हेयर बैंड शामिल हैं। इसके अलावा, लकड़ी के घर, कुल्हाड़ी, आरी, छेनी, पेन बॉक्स, और मोबाइल बॉक्स जैसे उत्पाद भी बनाए जा रहे हैं।
विशेष जानकारी के अनुसार, बेकार लकड़ी का उपयोग उन टुकड़ों से किया जा रहा है जो पेड़ों को काटने के बाद बच जाते हैं। छात्रों का कहना है कि जब पेड़ काटे जाते हैं, तो जो लकड़ी खराब होती है, वह जलाने लायक नहीं होती। ऐसे में वे इसे अपनी प्रयोगशाला में लाते हैं, उसे पेंटिंग करते हैं, और विभिन्न सामग्रियों में परिवर्तित करके उचित दामों पर बाजार में बेचते हैं।
कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने बताया कि विश्वविद्यालय में कई पाठ्यक्रम हैं, जिनमें से एक है एफपीयू (फॉरेस्ट प्रोडक्ट यूटिलाइजेशन)। इस पाठ्यक्रम के अंतर्गत छात्रों को वन उत्पादों का सही उपयोग सिखाया जाता है। इसमें छात्रों को उत्पाद बनाना भी सिखाया जाता है, जिससे वे न केवल नौकरी के लिए सक्षम हो सकें, बल्कि आत्मनिर्भर भी बन सकें।

उत्पादों में महिलाओं द्वारा रोजाना इस्तेमाल की जाने वाली चीजें, लकड़ी के खिलौने, हैंगर, कुल्हाड़ी, आरी, हथौड़ा, बैठने की बेंच सहित कई अन्य चीजें शामिल हैं। छात्र पेड़ों की जड़ों को भी खुदाई करके लाते हैं और उन्हें अपने हिसाब से आकार देकर उत्पाद बनाते हैं।

इस पहल के जरिए न केवल कचरा कम होगा, बल्कि लोगों के घरों से निकलने वाली खराब लकड़ियों का उपयोग भी होगा। इस तरह, बांदा कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों की यह पहल न केवल पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ा रही है, बल्कि उन्हें एक नई दिशा और आत्मनिर्भरता की ओर भी बढ़ा रही है।