पांच दिनों पूर्व हुई थी बाघ की मौत, जहर देने की पुष्टि
कोरिया जिले में स्थित गुरुघासीदास नेशनल पार्क के ऑरेंज जोन में मृत मिले बाघ के शव का पोस्टमार्टम के बाद अधिकारियों की मौजूदगी में शनिवार को अंतिम संस्कार किया गया। पीसीसीएफ ने कहा कि बाघ की मौत जहर देने के कारण हुई है। बाघ की मौत करीब चार दिनों पूर्व
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जानकारी के मुताबिक, गुरूघासीदास नेशनल पार्क एवं कोरिया जिले के सोनहत परिक्षेत्र की सीमा में स्थित कुदारी व कटवार के जंगल में शुक्रवार को बाघ का शव होने की सूचना वन विभाग के अधिकारियों को मिली थी। यह इलाका नेशनल पार्क के ऑरेंज जोन में आता है। मौके पर पहुंचे वन विभाग के अधिकारियों ने आसपास के इलाके की बेरिकेडिंग कराई। आसपास के इलाके की सर्चिंग की गईं।
चिकित्सकों ने किया बाघ के शव का पोस्टमार्टम
पोस्टमार्टम में जहर देने की पुष्टि बाघ के मौत की सूचना पर अंबिकापुर से रात में ही PCCF व्ही. मातेश्वरन भी घटनास्थल पर पहुंचे। शनिवार को डॉग स्क्वायड की टीम ने भी खोजबीन की। डॉक्टरों की टीम ने बाघ के शव का पोस्टमार्टम किया। पोस्टमार्टम के बाद अधिकारियों की मौजूदगी में शव का अंतिम संस्कार किया गया।
पीसीसएफ व्ही. मातेश्वरन ने कहा कि पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों ने प्रथम दृृष्टया बाघ की मौत जहर खुरानी से होना बताया है। हालांकि कुछ जांच अभी बाकि हैं। बाघ को व्यवसायिक दृष्टिकोण से नहीं मारा गया है, बल्कि बदला लेने के लिए जहर दिए जाने की आशंका है। कई बार जानवरों के शिकार के कारण ग्रामीण आक्रोशित हो जाते हैं।

पोस्टमार्टम के बाद किया गया शव का अंतिम संस्कार
पांच नवंबर को देखा गया था मृत बाघ स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि पांच नवंबर को ग्रामीणों ने नदी किनारे बाघ को लेटे देखा था। जब उसके शव से दुर्गंध आने लगी तो ग्रामीण पास में गए। शुक्रवार को इसकी सूचना वन अधिकारियों को दी गई। अधिकारियों के अनुसार मृत बाघ पूर्ण व्यस्क था। उसकी मूंछ, नाखून सही सलामत हैं।
बाघ के शव का विसरा फारेंसिक जांच के लिए भेजा जा रहा है। मृत बाघ का अधिकारियों के पास रिकार्ड नहीं है। उसके विचरण की भी सूचना नहीं मिली थी। आशंका है कि बाघ नेशनल पार्क से होते हुए कटवार जंगल में पहुंचा था।
दो वर्ष पूर्व भी जहर देने से हुई थी बाघ की मौत दो वर्ष पूर्व जून 2022 में भी गुरूघासीदास नेशनल पार्क क्षेत्र में एक बाघ का शव मिला था। उक्त बाघ ने भैंस का शिकार 05 जून को किया था। 06 जून को वह भैंस का मांस दुबारा खाने पहुंचा। ग्रामीणों ने भैंस के मांस में जहर मिला दिया था, जिसे खाकर बाघ की मौत हो गई थी। मामले में चार ग्रामीणों को गिरफ्तार किया गया था। क्षेत्र में वर्ष 2018 में भी एक बाघ की मौत हुई थी।
टाइगर रिजर्व अधिसूचित किया गया है नेशनल पार्क छत्तीसगढ़ के गुरुघासीदास नेशनल पार्क एवं तमोर पिंगला अभ्यारण को मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाने की अधिसूचना जारी की गई है। देश का तीसरा बड़ा टाइगर रिजर्व होगा। टाइगर रिजर्व क्षेत्र में कई बाघों का विचरण होता रहता है। अभ्यारण से एक बाघ सूरजपुर सीमा पर पहुंचा है। वहीं एक बाघ बलरामपुर जिले के सनावल क्षेत्र में विचरण कर रहा है।