12 जून 2025 को कटिहार पुलिस ने कोढ़ा प्रखंड के जुराबगंज गांव से 31 संदिग्धों को हिरासत में लिया, जिसमें से 17 को न्यायिक हिरासत में भेजा गया। इनके पास से लूटी गई बाइक्स, सोने के कई चेन और अन्य कीमती सामान बरामद किए गए।
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दरअसल, न्यायिक हिरासत में भेज गए अपराधी चोरी, लूट के लिए कटिहार, बिहार के अन्य जिलों समेत देश में फैले कुख्यात कोढ़ा गैंग के सदस्य हैं। 12 जून से पहले 4 अप्रैल 2025 को ओडिशा के भुवनेश्वर में पुलिस और इस गैंग के सदस्यों के बीच मुठभेड़ भी हुई थी। मुठभेड़ में इस गैंग के दो सदस्य घायल भी हुए थे।
करीब 40 दिन पहले झारखंड के गिरिडीह में भी पुलिस ने आरोपी मुन्ना यादव उर्फ नंदू यादव को गिरफ्तार किया था, जो कोढ़ा प्रखंड के जुराबगंज गांव का ही रहने वाला था। जबकि उसके दो साथी शंकर यादव और गुड्डू यादव भागने में कामयाब हो गए थे।
पिछले एक साल में बिहार के अलग-अलग जिलों में कोढ़ा गैंग के अपराधियों के खिलाफ अलग-अलग थानों में कुल 73 मामले दर्ज किए गए हैं। इन मामलों की पड़ताल के दौरान पता चला कि इस गैंग के सदस्य बैंक के बाहर से लोगों से कैश, सोने की चेन और बाइक भी लूटते हैं। चोरी की बाइक से ही अधिकतर कांड को अंजाम देते हैं।
12 जून को पकड़े गए कोढ़ा गैंग के सदस्य।
12 जून को कटिहार, पटना पुलिस की संयुक्त कार्रवाई, ओडिशा में हुए मुठभेड़ और दर्ज केस की पड़ताल के बाद भास्कर की टीम पटना से 350 किमी दूर कटिहार के कोढ़ा प्रखंड के जुराबगंज गांव पहुंची। यहां हमने ग्रामीणों से गांव की कहानी जानी। हमने कोढ़ा गैंग के एक पूर्व सदस्य के पोते और गांव की 10 महिलाओं से बातचीत की।
संडे बिग स्टोरी में आज चोरी, छिनतई के लिए कुख्यात कोढ़ा गैंग की कहानी।
बिहार के कटिहार जिले में कोढ़ा थाना क्षेत्र की एक बस्ती है- जुराबगंज। गांव को ‘कोढ़ा गैंग के चोर’ के नाम से जाना जाता है। लगभग 150 घरों की इस बस्ती में करीब 2000 लोगों की आबादी है, जिनमें से करीब 500 लोग कोढ़ा गैंग के एक्टिव मेंबर हैं।
गांव के अधिकतर युवा और मर्द दिन में गायब रहते हैं, जो गांव में होते हैं। वे गांव में आने-जाने वाले अजनबियों को देखकर सतर्क हो जाते है। हालांकि, ये गांव इतना कुख्यात है कि इस गांव में कोई भी बाहरी आता-जाता नहीं है।
कुख्यात इसलिए, क्योंकि अगर गांव के लोगों को पता चल जाए कि पुलिस या फिर मुखबिर सादे ड्रेस में आए हैं, तो उनसे मारपीट की जाती है, पत्थरबाजी की जाती है और ये सब काम महिलाएं और बच्चे करते हैं।
भास्कर की टीम को देखते हुए पूछा- कहां से आएं हैं, क्या काम है, किससे मिलना है?
सुबह 10 बजे जब हम गांव में पहुंचे तो कोई कुछ बताने को तैयार नहीं था। बल्कि हम लोगों से पूछा जा रहा था कि आप लोग क्यों आए हैं, कहां से आए हैं। हम लोगों ने खुद को NGO से जुड़ा बताया। कहा कि आप लोगों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा मिलेगी, रोजगार से जोड़ेंगे, इसके बावजूद किसी ने बात नहीं की।
करीब एक घंटे बाद दूसरे छोर पर गांव से बाहर निकले। यहां नहर पर कुछ महिलाएं कपड़े धो रहीं थीं।
हमने उनसे बातचीत शुरू की। उन्होंने बताया कि गांव में केवल पांच परिवार ही मूल निवासी हैं। बाकी सभी लोग बंजारा समुदाय के हैं, जो राजस्थान से काफी साल पहले यहां से आए थे। इनका मुख्य पेशा चोरी और छिनतई है।
महिलाओं ने बताया,

यहां आए दिन देश के अलग-अलग राज्यों की पुलिस छापेमारी करने आती है। जब पुलिस आती है, तो गांव की महिलाएं ही पुलिस को घेर लेती हैं और पुरुष भाग निकलते हैं। ये लोग लोकल (बिहार के जिलों) में चोरी नहीं करते, बाहर जाकर वारदात करते हैं।
युवक ने कहा- चीजें बदल रही हैं, मैं मजदूरी करता हूं, इस धंधे से दूर हूं
महिलाओं से बातचीत के बाद कुछ दूरी पर एक लड़का मिला। उसने अपना नाम विशाल बताया। जब हमने कोढ़ा गैंग के बारे में जानकारी लेने की कोशिश की, तो उसने बताया, ‘मैं भी जुराबगंज का ही रहने वाला हूं। हम बंजारा समुदाय से हैं, जो राजस्थान से आए थे। हमारे दादा-परदादा घुमंतू थे। वे घोड़े, बकरियां और पशुओं के साथ एक जगह से दूसरी जगह जाकर तंबू में रहते थे। धीरे-धीरे हम यहां बस गए। अब इस गांव में 150 से ज्यादा घर हैं।’
विशाल ने आगे कहा, ‘पहले हमारा मुख्य काम भीख मांगना था। हमारे पास अपनी जमीन नहीं थी, इसलिए छोटी-मोटी चोरी शुरू हुई जैसे- बकरियां चुराना, किसी के दरवाजे से सामान उठाना, या रास्ते में छिनतई करना।’
‘धीरे-धीरे पूरा गांव इस धंधे में शामिल हो गया। हमारे दादा-परदादा ने ही हमें चोरी की ट्रेनिंग दी। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। कई लोग चोरी छोड़ चुके हैं। हालांकि, आधे से ज्यादा लोग अभी भी चोरी के धंधे में हैं। मैं खुद मजदूरी करता हूं और इस धंधे से दूर हूं।’

विशाल ने कहा कि मेरे पूर्वज भी कभी चोरी-छिनतई जैसी घटनाओं में शामिल रहते थे, लेकिन अब हमारे परिवार में कोई ऐसा नहीं है।
पूर्व मुखिया बोले- राजस्थान से बंजारे 1970 के करीब कोढ़ा आए थे
जुराबगंज गांव के पूर्व मुखिया भोला प्रसाद चौरसिया ने बताया कि ‘ये लोग (चोरी में शामिल आरोपी और उनका परिवार) 1970 के आसपास पहली बार कोढ़ा आए। तब हाई स्कूल के कैंपस में ये सभी तंबू डालकर रहते थे। शुरू में तो 1 से डेढ़ महीने तक रहते थे और फिर वापस कहीं चले जाते थे। ऐसे ही करीब 5 साल तक आते-जाते रहे।’
‘कैंपस में इनके तंबू गाड़ने की वजह से गांव के बच्चों को खेलने में दिक्कत होती थी, इसलिए इन लोगों को जुराबगंज के श्मशान की जमीन पर जगह दे दी गई। तब ये लोग करीब 10 परिवार थे, लेकिन अब इनके परिवारों के करीब 150 से अधिक घर हो गए हैं।’
पूर्व मुखिया ने बताया कि ‘श्मशान की जमीन पर जगह मिलने के बाद ये भीख मांगकर अपना गुजारा करने लगे, लेकिन जैसे-जैसे इनकी संख्या बढ़ती गई, ये रोजगार के लिए चोरी की वारदात को अंजाम देने लगे। हालांकि, ये शुरुआत से ही कोढ़ा और कटिहार के इलाके में चोरी नहीं करते हैं।’

पूर्व मुखिया भोला चौरसिया ने भी माना कि गांव के काफी लोग अब लूट-चोरी के पेशा को छोड़कर दूसरे कामों में जुट गए हैं।
भोला प्रसाद चौरसिया ने बताया कि ‘कई बार चोरी करने वाले परिवारों को मुख्य धारा से जोड़ने की कोशिश की गई है। अभी बहुत लोग इस पेशा से हट कर रोजगार कर रहे हैं, लेकिन फिर भी करीब 500 लोग अभी भी चोरी की वारदातों को अंजाम देने में शामिल हैं।’
‘चोरी और छिनतई की वारदात को अंजाम देने की पीछे की एक और वजह ये है कि इन्हें या इनके बच्चों को कोई अपने घर, दुकान या ऑफिस में नौकरी नहीं देता है। लोगों को लगता है कि चोरी इनका पारिवारिक पेशा रहा है, अगर इन्हें काम पर रखा, तो ये चोरी की वारदात को अंजाम देंगे।’
मोटरसाइकिलों के नंबर में हेरफेर कर वारदात को देते थे अंजाम
12 जून को कार्रवाई के बाद कटिहार के एसपी वैभव शर्मा ने कहा था कि कोढ़ा गैंग के सदस्य चोरी की मोटरसाइकिलों का इस्तेमाल कर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में वारदात को अंजाम देते हैं। ये सभी चोरी की बाइक से ही वारदात को अंजाम देते थे, जिनके नंबर प्लेट में हेरफेर किया जाता था। इन सभी की क्रिमिनल हिस्ट्री चोरी, छिनतई या चोरी के सामान के साथ पकड़ा जाना रहा है।
कोढ़ा के SDPO धर्मेन्द्र कुमार ने बताया, ‘हम इन्हें मुख्यधारा में जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। कोढ़ा गैंग के सदस्य देश भर में फैले हैं। काफी बार बाहर की पुलिस यहां छापेमारी करने आती है। जो लोग भी वारंटी है, हम उन्हें पकड़ रहे है। उनके खिलाफ कार्रवाई भी कर रहे है। साथ ही हम उन्हें जागरूक कर रहे हैं कि चोरी के धंधे को छोड़कर मुख्य धारा में आएं और रोजगार से जुड़े। पढ़ाई लिखाई करें।’

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