Tuesday, April 15, 2025
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बिलासपुर ​के 59 गांव आपसी सूझबूझ से अपराध मुक्त: बांका, बम्हीखुर्द के लोग 2 दशक से नहीं गए थाने, पंचायत निपटाती है केस – Bilaspur (Chhattisgarh) News



बिलासपुर जिले के रतनपुर व सीपत थाना क्षेत्र के दो गांव ऐसे हैं जहां दो दशक से कोई एफआईआर कराने थाने नहीं गया। न ही अदालत में इस गांव से जुड़ा कोई केस दर्ज हुआ। दोनों गांव में आदिवासियों की जनसंख्या 95 से अधिक है। किसी भी तरह के विवाद का निपटारा इनके

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लोग पेड़ के नीचे या सामुदायिक भवन में बैठकर दोनों पक्षों की बात सुनते हैं। जो फैसला होता है, वह सभी को मान्य होता है। रतनपुर थाना क्षेत्र के ग्राम बांका गांव की जनसंख्या 1300 है। यहां की खासियत यह है कि महिलाओं से जुड़े मामलों का निपटारा भी गांव की बुजुर्ग महिलाएं ही करती हैं।

अगस्त 2021 में श्यामलाल गोड़ को अपने बड़े भाई रमेश गोड़ से गाली गलौज करने पर 2 हजार का जुर्माना भरने के लिए कहा गया। उससे पंचायत ने लिखित में माफी भी मंगवाई थी। नारियल भी भेंट करना पड़ा। रामसिंह पोर्ते व राम प्रसाद पोट्‌टाम को भी इसी तरह की सजा दी गई थी, जब दोनों आपस में झगड़ पड़े थे। रामसिंह इस बात से नाराज था कि राम प्रसाद की बकरियां उसकी खेत को चर गई थीं। राम प्रसाद को रामसिंह को 500 रुपए का मुआवजे की रूप में देने के लिए कहा गया।

गांव के नवनियुक्त सरपंच कुंवर सिंह कर्पे के अनुसार गांव में शराब पीकर झगड़ने पर 5 हजार रुपए जुर्माना किया जाता है। एकत्र गए जुर्माने की रकम को गांव में गरीब युवतियों के विवाह या अन्य सामाजिक दायित्वों को पूरा करने पर खर्च किया जाता है।

इसी तरह सीपत थाना क्षेत्र के ग्राम बम्हीखुर्द में 800 लोग रहते हैं और करीब 50 मकान है। शत प्रतिशत आदिवासी गांव है। बुजुर्ग रतिराम खुरसेंगा (60) के अनुसार उन्होंने जब से होश संभाला है तब से उस गांव का मुकदमा थाने नहीं गया। कभी मारपीट या विवाद हुआ, तो थाने जाने से पहले ही उसे निपटा दिया गया। तुरंत बैठक की जाती है और दोनों पक्षों की रजामंदी पर फैसला कर मामला निपटा दिया जाता है।

यहां पहाड़ पर सिद्ध मुनि बाबा का मंदिर और गुफा है। छेदीलाल (60) कहते हैं उनके गांव में बाबा की कृपा है। जनवरी 2023 में उनके ही समाज के दो युवक जमीन विवाद पर झगड़ पड़े थे। गांव के बड़े बुजुर्गों ने बंटवारे के हिसाब से जमीन की नापजोख कराई। यह फैसला दोनों को मानना पड़ा। बाद में दोनों को गले मिलवाया गया और उन्हें मितान बनवा दिया गया। अब दोनों एक परिवार जैसे रहते हैं।

छोटे मोटे मसले पेड़ के नीचे,मंदिर या पंचायत भवन में ही निपट रहे जिले में 59 गांव ऐसे है जहां 8 माह में किसी तरह की ऐसी एक भी वारदात नहीं जिसके कारण लोगों को थाना जाने की जरूरत हुई हो। छोटे मोटे मसले गांव के लोग मंदिर पर बैठकर आपस में सुलझा लेते है। सिर्फ गांव में कुछ चोरियों को छोड़ दिया जाए तो गांव पूरी तरह अपराधमुक्त है। कोई विवाद थाने तक नहीं पहुंचता।

अधिक पढ़े लिखे लोग नहीं पर कानून को नहीं लेते हाथ में अपराधमुक्त गांवों में अधिकांश की शिक्षा हाई स्कूल तक ही है तथा कृषि या मजदूरी इनके रोजगार के प्रमुख साधन है। यहां के लोग थाना व कोर्ट कचहरी से दूर ही रहना चाहते हैं।

सबसे अधिक 14 अपराधमुक्त गांव कोटा में

जिले में सबसे अधिक ऐसे अपराधहीन गांव कोटा थाना में है। यहां के 14 गांव शामिल है। सबसे कम बिल्हा व मस्तूरी के एक-एक गांव इस सूची में शामिल है। पुलिस ने 2024 में जून से जनवरी 2025 तक अपराधहीन गांवों की सूची बनाई है। इसमें जिले के 9 थाना क्षेत्र के 54 गांव हैं। यहां पिछले कोई अपराध नहीं हुआ है।

चयन 8 महीने में हुए अपराध के आंकलन पर किया गया है। इनमें तखतपुर के 13, सीपत के 09, कोटा के 14, पचपेड़ी के 08,रतनपुर के 07,हिर्री के 04,चकरभाठा के 02,बिल्हा और मस्तूरी के 1-1 गांव सहित कुल 59 गांव शामिल है। थाना क्षेत्र के इन ऐसे गांव में आठ महीने के भीतर कोई घटना हुई और ही किसी तरह का कोई केस में एफआईआर हुआ।

इसी आधार पर इन्हें अपराध मुक्त घोषित किया गया है। कोटा थाना क्षेत्र में सबसे ज्यादा 14 गांव ऐसे हैं, जहां किसी तरह का अपराध नहीं हुआ। इसी तरह बिल्हा व मस्तूरी में सिर्फ 1-1 गांव अपराध मुक्त पाया गया है। दूसरे नंबर पर तखतपुर के 13 गांव शामिल है।

भास्कर एक्सपर्ट – जयंत थोरात, रिटायर्ड डीआईजी​​​​​​​

छोटे बड़े एक दूसरे का करें सम्मान, नशे से रहे दूर आम गांवों की तुलना में ये गांव अपराध मुक्त गांव के उदाहरण हैं। दूसरे गांवों में भी अमल में लाया जा सकता है। इन गांव के लोग छोटे-बड़ों का जरूर सम्मान करते होंगे। इसके कारण ही आपस में झगड़े नहीं होते। ग्रामीण नशे से यदि दूर रहें तो भी विवाद नहीं होगा। ऐसे गांवों के मुखिया को सरकार की ओर से हर 26 जनवरी को सम्मान किया जाना चाहिए। अन्य लोगों को भी इनसे सीख लेना चाहिए।

गांव में अपराध के प्रति जन जागरुकता से अच्छे नतीजे मिल रहे हैं। ग्राम समिति सदस्यों के साथ,नव युवकों की इसमें बड़ी भूमिका है। इसी तरह पंचायत व मुखिया से थानों की पुलिस हमेशा बैठक करती है। उनके हर सुख दुख में पुलिस जाती है। बीट सिस्टम का भी असर पड़ रहा है। आने वाले दिनों में अपराधमुक्त गावों की संख्या और भी बढ़ेगी। -रजनेश सिंह, एसपी बिलासपुर​​​​​​​



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