मप्र की फॉरेस्ट और पुलिस की एसटीएफ ने दो महीने पहले जिस पारदी गैंग को पकड़ा था। उससे पूछताछ में बड़ा खुलासा हुआ है। गैंग के सदस्यों ने बताया कि उन्होंने पिछले 10 सालों में अलग-अलग राज्यों में 10 बाघों का शिकार किया है। उन्होंने ये भी बताया कि म्यांमा
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शिकार के बाद बाघ की खाल और बाकी अंगों को लालनीसुंग तक पहुंचाने के लिए एक पूरा नेटवर्क काम करता था। इस नेटवर्क में बीएसएफ जवान की पत्नी लिंग सान लून की भी अहम भूमिका थी।
एसटीएफ को मिला 940 किलो गांजा एसटीएफ एसपी राजेश भदौरिया बताते हैं, पहले सूचना वन्यप्राणियों के तस्करों से जुड़े होने की ही थी। हमने इनके डेरे पर नजर रखना शुरू की। पुलिस और फॉरेस्ट की 5 टीमों ने जैसे ही छापा मारा, डेरे के ज्यादातर पुरुष सदस्य जंगल में भाग गए। चार सदस्यों को गिरफ्तार किया जिसमें नाबालिग भी शामिल था।
घर की तलाशी में कुछ नहीं मिला, लेकिन गिरोह के अपराध करने और बचने के तरीके पर ध्यान दिया गया, तो तस्वीर बदल गई। दरअसल, गुना से लेकर राजगढ़ तक सक्रिय पारदी समुदाय लूट के माल को को जमीन में गाड़ देता है।
इस लीड पर आगे बढ़े और डेरे और आसपास खुदाई की तो 2–3 फीट खोदने पर गांजे के पैकेट मिले। इसके बाद जेसीबी से पूरे इलाके की खुदाई की तो 940 किलो गांजा बरामद हुआ। यहां से वन्यप्राणियों के अंग भी मिले थे।

महिलाओं से पूछताछ में तीन अहम पॉइंट्स पता चले
1. ओडिशा से लाते थे गांजा भदौरिया के मुताबिक महिलाओं से पूछताछ में पता चला कि ये गिरोह ओडिशा से गांजा लाता था। इनके ओडिशा के कालाहांडी समेत कई जिलों में आने जाने के सबूत भी मिले हैं। ओडिशा में गिरोह का जिन लोगों से संपर्क होता था उसका पता लगाने के लिए 11 सदस्यीय टीम काम कर रही है।
2. अजीत पारदी गिरोह से कनेक्शन वहीं वन्यप्राणियों के अंग और शिकार के लिए इस्तेमाल करने वाले जो फंदे मिले हैं उसे लेकर महिलाओं ने बताया कि अजीत पारदी के लिए वो वन्य प्राणियों का शिकार करती थी। जिस दिन एसटीएफ ने इन तीनों को पकड़ा उस वक्त भी वह वन्य प्राणियों की तस्करी कर रही थी। इनके पास से पेंगोलिन की खाल बरामद की गई।
3. बाघों से लेकर वन्य प्राणियों का किया शिकार महिलाओं ने बताया कि उन्होंने अजीत पारदी के कहने पर बाघों से लेकर कई वन्यप्राणियों का शिकार किया। इसके एवज में उन्हें कमीशन मिलता था। साथ ही वन्य प्राणियों की खाल और अंगों को वह असम तक पहुंचाने का काम करती थी।

म्यांमार के तस्कर लालनीसुंग से पारदी गैंग के कनेक्शन वन विभाग की स्टेट एसटीएफ के प्रभारी और उप वन संरक्षक रितेश सिरोठिया बताते हैं कि महाराष्ट्र एसटीएफ ने अजीत पारदी से जब पूछताछ की तो पता चला कि वह मप्र में बालाघाट रेंज में शिकार कर चुका है। यहां उसने दो बाघों का शिकार किया था।
उसके इकबालिया बयान के आधार पर 18 फरवरी को वन्यप्राणी अधिनियम के तहत दर्ज अपराध क्रमांक 237/17 में नामजद एफआईआर दर्ज की गई है। सिरोठिया के मुताबिक पूछताछ में पता चला कि म्यांमार के तस्कर लालनीसुंग के इशारे पर पारदी गिरोह बाघों का शिकार करता था।

बाघ को न गोली मारते, न जहर देते थे सिरोठिया के मुताबिक पूछताछ में शिकारियों ने बताया कि वो बाघ को न तो गोली मारते थे न ही उसे जहर देते थे। गोली मारकर शिकार करने पर बाघ की खाल खराब होने का खतरा होता है, वहीं जहर देकर बाघ को मारने से उसका मांस खराब होने के साथ खाल का रंग भी बदल जाता है।
शिकारियों ने बताया कि वो बाघ के गुजरने वाले रास्ते पर पंजा लगा देते थे। जब बाघ पंजे में फंस जाता तो उसके थकने का इंतजार करते। बाघ के पूरी तरह से सरेंडर करने के बाद ये लाठियों से उसपर हमला करते। उसकी इस तरह से पिटाई करते जिससे उसकी जान निकल जाए और खाल भी खराब ना हो।
बाघ का शिकार करने के बाद घने जंगल में सफाई से खाल, दांत, नाखून और मांस निकालकर इसे अलग-अलग थैलियों में इकट्ठा कर लेते थे।

फरवरी के महीने में फॉरेस्ट स्पेशल टास्क फोर्स ने पारदियों के डेरे पर कार्रवाई की थी।
वन्यप्राणियों के अंग की डिलीवरी के लिए महिलाओं का इस्तेमाल सिरोठिया बताते हैं कि शिकार के बाद गिरोह वन्यप्राणियों के अंगों को बॉर्डर तक पहुंचाने के लिए महिलाओं का इस्तेमाल करता है। इन्हें किसी सामान के बीच छिपाकर महिलाओं और बच्चों को सौंप दिया जाता है। महिलाएं और बच्चे ट्रेन की जनरल बोगी में किसी सीट के नीचे अपना सामान रखकर दूसरी सीट पर बैठ जाते हैं।
वहां से सामान पर नजर रखते हैं। वह ऐसा इसलिए करते हैं ताकि पुलिस की जांच या किसी अन्य कारण से सामान पकड़ा गया तो इसे लावारिस ही माना जाएगा। साथ ही पूछताछ में ये भी पता चला कि बच्चों को नाबालिग बताने के लिए ग्राम पंचायत से उनका आयु प्रमाण पत्र बनवाते हैं, ताकि पकड़े गए तो इसके जरिए बच सके।

बीएसएफ कॉन्स्टेबल की पत्नी गैंग में शामिल सिरोठिया के मुताबिक पारदी गैंग की महिलाएं वन्यप्राणियों के अंगों को मिजोरम लेकर जाते हैं। यहां से बॉर्डर पार कराने की जिम्मेदारी बीएसएफ के जवान की पत्नी लिंग सान लून की होती है। महाराष्ट्र एसटीएफ को पूछताछ में अजीत पारदी ने बताया कि लिंग सान लून खासी समुदाय की है और म्यांमार की रहने वाली है।
उसने जिस जवान से शादी की है वो म्यांमार सीमा पर ही तैनात था। सिपाही की पत्नी होने के नाते उस पर कोई शक नहीं करता था। इस मामले में आईजोल निवासी जामखानकाप उसकी मदद करता था। जामखानकाप को भी महाराष्ट्र एसटीएफ ने पकड़ा जिसे ट्रांजिट रिमांड पर लेकर एमपी एसटीएफ ने भी पूछताछ की।

सोर्स- ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन रिपोर्ट-2022
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