बेगूसराय की रुकैया फातमा ने बिहार बोर्ड इंटर परीक्षा 471 अंक के साथ स्टेट लेवल पर आर्ट्स में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। उच्च विद्यालय तेयाय के शिक्षकों और छात्र-छात्राओं में खुशी का माहौल है।
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भगवानपुर प्रखंड के श्री विष्णु देव नारायण उच्च माध्यमिक विद्यालय की छात्रा रुकैया फातमा बचपन से ही मेघावी छात्रा थी। उसने गांव के मध्य विद्यालय से प्रारंभिक शिक्षा पूरी की, इसके बाद घर से करीब 1 किलोमीटर दूर उच्च विद्यालय में एडमिशन करवाया।
छह बहनों में 5वें नंबर पर रुकैया ने कभी कोचिंग नहीं की, अपने घर में ही एक कमरे रहकर पढ़ाई की। सुबह 5:00 बजे उठती थी। नाश्ता कर स्कूल जाना और स्कूल से आकर फिर खुद के कमरे में बंद होकर पढ़ना, उसकी उसकी दिनचर्या थी।
बगैर कोचिंग के ही उसने पूरी पढ़ाई की, बस कभी-कभी हिंदी-उर्दू के लिए यूट्यूब का सहारा लिया। मां नूरजहां हाउस वाइफ है, तो पिता अबू सालेह कोलकाता में दुकान चला कर बेटियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे रहे हैं। जिससे गांव-परिवार का नाम रोशन कर सके। रुकैया की बड़ी बहन बीए पास कर चुकी हैं, 2 बहन डीएलएड करके बीपीएससी TRE की तैयारी कर रहीं हैं, शिक्षक बनने की तैयारी में है। सबसे छोटी अभी 9वीं क्लास में पढ़ती है।
रुकैया ने बताया कि अब तक बिहार में जितने भी टॉपर हुए सभी को फॉलो किया, उनके तरीके को फॉलो किया तो अपने स्टडी में मेहनत किया। कहीं कोचिंग नहीं किया, सेल्फ स्टडी और यूट्यूब का सहारा लिया। 5-6 घंटा रोज सेल्फ स्टडी करती थी, कोई भी डाउट रहता था तो स्कूल में आकर पूछती थी, टीचर काफी हेल्प करते थे।
भूगोल बहुत अच्छा सब्जेक्ट लगता है, यह सब्जेक्ट पढ़ने मुझे काफी इंटरेस्ट लगता था। टीचर इस तरीके से समझाते थे कि लगता था कि सभी याद हो रहा है, दिमाग में सेव हो रहा है।
वेरिफिकेशन के लिए पटना बुलाया गया था
कहा कि 10वीं में हमने 444 नंबर से गांव में ही स्कूल से पढ़ कर पास किया। हमारे विद्यालय के टीचर काफी अच्छे हैं और जिम्मेदारी समझकर सभी बच्चों को पढ़ाते हैं। अच्छे से गाइड करते हैं, प्रेरित करते हैं, मोटिवेट करते हैं। मैं अपने पापा और सभी शिक्षकों से मोटिवेट हूं। मेरे दादा मोहम्मद इस्माइल भी अपने जमाने में जिला टॉपर थे, उन्हें मैं अपना रोल मॉडल मानती हूं।
वेरिफिकेशन के लिए पटना बुलाया गया था, उसमें अलग-अलग सब्जेक्ट के स्पेशलिस्ट ने इंटरव्यू लिया। ढेर सारे क्वेश्चन पूछे गए, उर्दू में खुद के बारे में लिखवाया गया। हिस्ट्री क्यों पसंद है यह भी पूछा गया। मैंने खुद, मां, पापा, गांव और स्कूल सब के बारे में लिखा। एक तो रमजान की खुशी है और इसी दौरान रिजल्ट आया। अच्छा रिजल्ट आएगा इसकी उम्मीद थी लेकिन सोचा नहीं था कि सेकेंड टॉपर बन जाऊंगी।
हमारा बिहार सारे राज्यों से पीछे है
कहा कि हमारा बिहार सारे राज्यों के पीछे है, इसलिए आईएएस बनकर बिहार को टॉप पर ले जाना है। समाज में दहेज प्रथा अभी भी चल रहा है, सरकार की तरफ से बंद है, लेकिन यहां के लोग अभी भी दहेज दे रहे हैं, दहेज ले रहे हैं। बहुत सारे पेरेंट्स हैं जो अपने बच्चों को कम उम्र में शादी कर देते हैं, उनके लिए अच्छी पॉलिसी बनाकर काम करना है।
जिससे कि लोग देखें की लड़कियां भी आगे बढ़ सकती है, पढ़ सकती है। 20 जुलाई 2006 जन्म तिथि है, हमारे पापा मम्मी बहुत जागरूक हैं, अभी उन्होंने किसी बहन की शादी नहीं की है।
रुकैया के क्लास टीचर सिप्पी कुमारी कहती है कि रुकैया फातिमा पहले से ही पढ़ने में काफी तेज थी। यह दसवीं में अनुमंडल टॉपर रह चुकी है, आज बिहार में सेकेंड टॉपर बनी है। इसका जो सीखने का ललक है वह बहुत अच्छा है, टीचर जो बता रहे हैं, कमी निकाल रहे हैं तो उसे एडिटेड नहीं होती थी और डेवलप करने की कोशिश करती थी।