बेगूसराय का बाजार अब बाहरी चूड़ी-लहठी के भरोसे नहीं रहेगा। यहां की लड़की और महिलाएं अब बेगूसराय में ही तैयार की गई लहठी पहनेगी। इसके लिए जीविका की ओर से प्रथम चरण में 35 महिलाओं को ट्रेनिंग दी जा रही है। बरौनी में चल रहे प्रशिक्षण में गया के पुराने क
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अप्रैल महीने से यह सभी महिलाएं अपने घर पर लहठी बनाएगी और गांव से लेकर शहर तक के बाजारों में वह उपलब्ध होगा। जीविका की ओर से ही इसके लिए रॉ-मटेरियल से लेकर बाजार तक उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। लहठी का प्रशिक्षण ले रही महिलाएं इस प्रोजेक्ट से खुश हैं। खास बात यह है कि ये लहठी जयपुर में तैयार जयपुरी लहठी की तरह ही सुंदर और आकर्षक दिखेगी, लेकिन दाम 20 से 30 प्रतिशत तक कम होगा।
प्रशिक्षण ले रही महिलाएं।
महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने पर फोकस
लहठी की ट्रेनिंग प्राप्त करने के बाद गांव की महिलाएं एक तरफ से आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर तो होगी ही, साथ ही बाजार भी लोकल फोर वोकल बनेगा। ग्राहकों को भी काफी बचत होगी। ट्रेनिंग ले रही अंशिका कुमारी ने बताया कि हम लोग लहठी बनाना सीख रहे हैं। अभी तक हमारे गांव-बाजार में भागलपुर से सहित अन्य जगहों से लहठी लाकर बेचा जाता था।
अब हम लोग खुद बनाकर बेच सकेंगे। अभी दूर-दूर से लहठी आ रहा है, लाने में भी परेशानी होता है। हम खुद बनाएंगे, हम लोग अलग-अलग डिजाइन का बना रहा है जो ग्राहकों को पसंद आए। हम लोग जो बना रहे हैं उसमें कम लागत लग रहा है, कम दाम में बेचेंगे। हमको भी लाभ होगा और कम दाम में बेचेंगे तो ग्राहक को भी लाभ होगा। गया से आए आशिक सर हम लोगों को सिखा रहे हैं।
सुहागन कंगन लिखे लहठी की ज्यादा डिमांड
जीविका की ओर से हम लोगों को सीखने और आगे बढ़ने का मौका मिल रहा है। सुहागन, सुहाना, सिंपल, थ्री पीस, फोर पीस सब बन रहा है। सभी कलर और सभी डिजाइन के लहठी बनाने की ट्रेनिंग ले रहे हैं। हमने जो लहठी बनाया है, उस पर सुहागन कंगन लिखा हुआ है। शादी में ये बहुत अधिक डिमांड में रहता है, इसमें लड़का-लड़की का नाम लिख देंगे, दुल्हन का फोटो लगाएंगे तो और भी आकर्षण होगा।

प्रशिक्षण के दौरान महिलाएं।
वीणा देवी बोलीं- मैं खुद लहठी बनाऊंगी, कम कीमत में बाजार में उपलब्ध कराऊंगी
ट्रेनिंग ले रही वीणा देवी ने बताया कि थ्री पीस, फोर पीस, दो पीस अलग-अलग डिजाइन का बना रही हूं। सीखने के बाद मैं बनाऊंगी, मार्केट में उपलब्ध कराऊंगी। अन्य जीविका दीदी को भी हम सीखायेंगे, जिससे अधिक से अधिक लोग बना सकें। ट्रेनिंग प्रोग्राम को कोऑर्डिनेट कर रही केरल से आई गीता किशोर ने बताया कि एसवीईपी परियोजना के तहत बैंगल निर्माण का ट्रेनिंग दिया जा रहा है।
यह स्किल के डेवलपमेंट का बहुत अच्छा ट्रेनिंग है। जो दीदी स्किल्ड होना चाहती हैं, उन्हें सेलेक्ट करके ट्रेनिंग दे रहे हैं। दीदी लोग चूड़ी-लहठी बनाकर अपने दुकान और बाजार में बेचेंगे। इसके लिए उन्हें मार्केट सपोर्ट देंगे, कच्चा माल और बाजार उपलब्ध कराने के लिए सपोर्ट देंगे। इस संजीव का दे दिया काफी आगे बढ़ेगी।
महिलाओं को ट्रेनिंग देने वाले ट्रेनर रजा क्या बोले?
ट्रेनर आसिफ रजा ने बताया कि जिन महिलाओं को हम सिखाते हैं, उन्हें बनाने से लेकर मार्केटिंग तक लगातार सपोर्ट करते हैं। खबर लेते रहते हैं, अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से भी उन्हें हम बताते रहते हैं। देश भर में महिलाओं को सक्षम बना रहे हैं, बिहार अब चूड़ी-लहठी का मंडी बन गया है। अधिकतर महिलाएं ही बना रही है, यहां प्रथम बैच में 35 महिलाओं को प्रशिक्षण दे रहे हैं। अलग-अलग जगह पर अलग-अलग संख्या में ग्रुप होता है।
जीविका के शुरुआती ग्रामीण उद्यमिता कार्यक्रम (SVEP) के बीपीएम राजेश कुमार रंजन ने बताया कि हम लोग जीविका परियोजना के तहत विभिन्न प्रकार की गतिविधि समय-समय पर करते हैं। महिलाओं का चूड़ी-लहठी के प्रति ज्यादातर लगाव होता है। भागलपुर और मुजफ्फरपुर सहित अन्य जगहों से लाया जाता है। अब हम मास्टर ट्रेनर तैयार कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री का सपना है सशक्त महिलाएं, जब यह महिलाएं आत्मनिर्भर बनेगी, उद्यमी बनेगी तो ऑलरेडी सशक्त हो जाएगी। इनका प्रोडक्ट इसलिए दिखेगा की यह लोकल फॉर वोकल है। जो प्रोडक्ट बनाएंगी उसमें लागत बहुत कम लगेगा, जब कम लागत में बनाएंगी तो कम में बेचेंगी। बाहर से लाया गया प्रोडक्ट अगर 100 रुपए में बिक रहा है तो यह अपना प्रोडक्ट 70-80 रुपए में ही बचेंगी।