बेगूसराय में कटाव के बाद 350 परिवार 35 साल से गुप्ता-लखमीनियां बांध के किनारे रह रहा है। इनके पास जमीन नहीं है। इनका पक्का घर नहीं, झोपड़ी में अपनी जिंदगी काट रहे हैं। न ही ये किसी प्रकार की योजनाओं का लाभ उठा पाते हैं।
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जो बच्चा कभी गोदी में था, वो अब बड़ा हो गया है। शादी की उम्र भी निकलती जा रही है, क्योंकि इन्हें कोई अपनी बेटी देना नहीं चाहता, लड़की वाले कहते हैं घर-जमीन नहीं है तो मेरी बेटी कहां रहेगी। हालांकि बेटियों की शादी किसी तरह हो जाती है, क्योंकि उन्हें दूसरे घर जाना होता है।
बांध पर बसे लोगों को कहना है कि ‘चुनाव के समय नेता आते हैं, आश्वासन देकर गायब हो जाते हैं। फिर चुनाव आता है फिर आते फिर गायब हो जाते। इनका आना-जाना लगा रहता, पर हमारी समस्या वैसी की वैसी है’।
जिस बांध पर ये लोग रह रहे उसका चौड़ीकरण होने वाला है। इसको लेकर पीड़ितों ने कहा ‘पुलिस-प्रशासन आएगा। मारेगा-पिटेगा, लेकिन हम यहीं रहेंगे। जब तक जमीन नहीं मिलेगी यहीं रहेंगे, जान दे देंगे। हम लोग ऐसा महसूस कर रहे कि जैसे हम दूसरे देश के वासी हैं’।
जानें इन परिवारों की ऐसी स्थिति क्यों हुई?
1991 में बलहपुर गांव के पास गंगा नदी में भीषण कटाव हुआ था। जिसमें इन सभी परिवारों का घर और जमीन कटकर गंगा में विलीन हो गया था। यह सभी लोग किसी तरह से जान बचाकर भागे और बांध किनारे ही झोपड़ी बना ली।
कटाव इतना तेज था कि घर से कुछ भी समान नहीं निकाल सके। घर और जमीन कट जाने के बाद हम लोगों ने मुखिया से गुहार लगाई, बीडीओ-सीओ से गुहार लगाई, लेकिन किसी ने रहने की कोई व्यवस्था नहीं की। मजबूर होकर हम 360 परिवार बांध के दोनों किनारे सोनापुर से दरियापुर तक करीब 3 किलोमीटर बस गए।

बांध पर रहने वालों की परेशानियां…..
झोपड़ी में रहते हैं, कोई हमारी नहीं सुनता
शशिभूषण मिश्र ने कहा कि हम लोग ऐसी जगह पर बसे हुए हैं जहां हमारा बच्चा न खेल सकता है, न लड़के की शादी होती है और न हम शौचालय बना सकते हैं।
क्योंकि हम बांध के बगल में बसे हैं। हम अपने ही देश में शरणार्थी बने हुए हैं। सरकार कहती है कि हम सबको बासगीत पर्चा देगी, लेकिन हमारे यहां लोगों को नहीं मिल रहा है। जब भी चुनाव में एमएलए-एमपी आते हैं, वह आश्वासन देते हैं। उनका समय पूरा हो जाता है, बदलते जाते हैं, लेकिन हमारी झोपड़ी उसी तरह है।
बेटे की शादी नहीं होती है, क्योंकि हम झोपड़पट्टी में रह रहे हैं। कोई सुनने वाला नहीं है। सबसे विनती करते हैं, सब आश्वासन देते हैं, लेकिन आश्वासन पूरा कोई नहीं करता है।
लड़की वाले लौटकर चले जाते हैं
विजय यादव ने कहा कि 35 साल से बांध पर हैं। इस बीच में दो बार बासगीत पर्चा मिल गया, लेकिन जमीन कभी नहीं मिली। कुछ लोग जुलूस प्रदर्शन के लिए पैसा भी लिए, हमने चंदा दिया, लेकिन कहीं हमारी व्यवस्था नहीं हुई। अब भगवान जो करें, जो होना वाला होगा।
350 से अधिक परिवार हैं। हम यादव हैं जमीन है नहीं हमारे पास, इसलिए शादी नहीं होती है। लड़की वाले आते हैं, लेकिन लौट कर चले जाते हैं। कहते हैं हम शादी कर देंगे तो कहां हमारी बेटी को रखोगे। शादी-विवाह में बहुत मुश्किल है।

झोपड़ियों के बगल से गुजरती सड़क पर हादसे की रहती आशंका।
पर्चा ही नहीं जमीन भी मिले
माया देवी ने कहा कि जिस बच्चे को गोदी में लेकर आए वह 35 साल का हो गया, लेकिन हमारी कोई व्यवस्था नहीं हुई। नेता लोग आते हैं, जीत कर जाते हैं और फिर कान में तेल डालकर सो जाते हैं। चुनाव का समय आता है तो फिर सामने आते हैं।
हमको जमीन मिल जाए, तो बांध पर क्यों रहेंगे। जिसकी जमीन है, उसको घर मिल रहा है, लेकिन हम लोगों की जब जमीन ही नहीं है तो घर कैसे बनेगा। हमको सिर्फ पर्चा नहीं, जमीन भी मिले। पर्चा देने से क्या होगा, जमीन देकर बसाया जाए।
धरना-प्रदर्शन का भी असर नहीं होता
सुशीला देवी कहा कि हमलोग जमीन की मांग करते हैं। जमीन मिल जाएगी तो वहां घर बना कर रहेंगे। धरना-प्रदर्शन करते हैं, फिर भी कुछ नहीं होता है। सब लोग सिर्फ आश्वासन देते हैं। डेढ़ साल का बेटा था, तब गांव कट गया।
बेटे की शादी नहीं हो रही है। किसी तरह से एक बेटे की शादी किए हैं। हम लोगों को न जमीन लेने के लिए पैसा है न घर बनाने के लिए। सरकार के भरोसे हैं, अगर नहीं मिलेगा तो इसी तरह से बांध किनारे रहेंगे।

दादा-दादी और मां की मौत हो गई, पर समस्या बरकरार
मुकेश साहनी ने कहा कि हम कटाव पीड़ित हैं। यहां बांध किनारे रहते-रहते दादा-दादी चले गए, मम्मी की भी मौत हो गई, लेकिन अपना घर नहीं बना। विधायक राजकुमार आश्वासन दिए थे कि घर हो जाएगा, लेकिन आज तक नहीं मिला। क्या हुआ यह कोई बता नहीं रहा है।
बांध का चौड़ीकरण होने वाला है, लेकिन हम लोग के पास जगह ही नहीं है, इसलिए नहीं हटेंगे। घर से बेघर नहीं होंगे।

जगह नहीं छोड़ेंगे जो होगा देखा जाएगा
रामाशीष साह ने कहा कि हम लोग बलहपुर गांव के वासी हैं, कटाव में घर जमीन सब कट गया। मजबूरी में बांध किनारे बसे हुए हैं, कुछ दिन पहले कुछ लोगों को पर्चा मिला, लेकिन जमीन किसी को नहीं मिली। पर्चा महमदपुर गौतम में जमीन का दिया गया था, उस जमीन पर भी केस हैं।
हम लोग को सरकार कहीं जमीन दे दे। जमीन नहीं देंगे तो बांध चौड़ीकरण होने पर भी जगह नहीं छोड़ेंगे, जो होगा देखा जाएगा। चुनाव आने वाला है, उस समय सोचेंगे कि क्या करेंगे।
जनप्रतिनिधियों ने नहीं निभाया वादा
नवीन कुमार ने कहा कि हमारा परिवार 35 साल से विस्थापित है। न जमीन मिली है और न घर मिला है। पहले जो विधायक थे बोगो सिंह, उन्होंने वादा किया था, पर नहीं दिलाया। राजकुमार सिंह विधायक बने, उन्होंने कहा कि था जीतेंगे तो 1 साल में जमीन और घर दिलवा देंगे, लेकिन 5 साल हो गया है, अब तक नहीं दिलवा पाए। वह बैशाख बोल रहे हैं, लेकिन पता नहीं कब बैशाख कब आएगा। कब हम लोगों को जमीन मिलेगी।

सुरक्षित जमीन खोजी जा रही है
डीएम तुषार सिंगला ने कहा कि मटिहानी प्रखंड के नयागांव के पास समस्या लंबे समय से चल रहा है। अभियान बसेरा-टू में बहुत लोगों का नाम आया है, पर्चा देने की प्रक्रिया चल रही है। अंचल अधिकारी से जानकारी मिली है कि पिछले दिनों बहुत लोगों को पर्चा मिला, लेकिन वह अपने जगह पर शिफ्ट नहीं हुए। उन लोगों को समझाया गया है, बाकी लोग जो बच गए हैं, उसमें से कुछ लोगों की पहले से ही खुद की प्रॉपर्टी है। जिनको जमीन है, उन्हें पर्चा नहीं दिया जाएगा।
हम लोग चाहते हैं कि जितने भी लोग इन इलाकों में बांध वाले एरिया में बसे हुए हैं, उन्हें सेटल करवाया जाए। ऐसी जमीन खोज रहे हैं जो सुरक्षित हो, बाढ़ के समय पानी नहीं रहे।
गुप्ता-लखमीनियां बांध चकिया से बलिया तक जाता है। उसमें 4 अंचल बरौनी, बेगूसराय सदर, मटिहानी और बलिया आता है। सभी अंचलाधिकारियों के साथ बैठक हुई है। निर्देश दिया गया है कि रास्ते के दोनों ओर जितने भी लोग बसे हुए हैं, उनका सर्व करें।
जो भूमिहीन हैं, उन्हें पर्चा देंगे, उन्हें सेटल करवाएंगे। अभी वेरिफाई करवा रहे हैं, जिनके पास पहले से जमीन है और वह बांध किनारे बसे हुए हैं तो उन्हें अपनी जमीन पर शिफ्ट करवाने का प्रयास कर रहे हैं।