Friday, April 18, 2025
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बेहोशी वाले इंजेक्शन के महीने भर बाद भी याददाश्त नहीं: महिलाएं बोलीं- लग रहा किसी ने स्लेट पर लिखी इबारत पोंछ दी, पढ़ा-लिखा सब भूल गई – Madhya Pradesh News


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यह कहना है चुरहट की रहने वाली लक्ष्मी गुप्ता का। लक्ष्मी उन 8 महिलाओं में शामिल है, जिनकी 28 फरवरी को रीवा के संजय गांधी अस्पताल में डिलीवरी हुई थी। ऑपरेशन के कुछ ही देर बाद सभी महिलाओं की तबीयत खराब हुई और वे अजीब हरकतें करने लगीं। इनमें से पांचों महिलाओं की तो याददाश्त चली गई थीं। करीब दो दिन तक वो ऐसी स्थिति में रहीं।

इस घटना के एक महीने बाद जब भास्कर ने इन पांच में से तीन महिलाओं से मुलाकात की तो पता चला कि उनकी जिंदगी की याददाश्त के पन्नों में से डिलीवरी के पन्ने गायब है। उन्हें याद ही नहीं कि उनकी डिलीवरी कैसे हुई थी?

दरअसल, प्रसूताओं की याददाश्त एक एनेस्थेटिक इंजेक्शन के लगाने के बाद गई। इस इंजेक्शन के पूरे बैच को ही बैन कर दिया गया है। साथ ही एक हाईपावर कमेटी मामले की जांच कर रही है, जिसने अपनी रिपोर्ट अब तक नहीं दी है। पढ़िए ये ग्राउंड रिपोर्ट…

अब सिलसिलेवार जानिए किसे क्या परेशानी

लक्ष्मी बोली- पहले का पढ़ा हुआ याद ही नहीं भास्कर की टीम सबसे पहले पहुंची सीधी जिले के चुरहट। यहां लक्ष्मी गुप्ता के पति अंबुज गुप्ता की आइसक्रीम की दुकान है। अंबुज हमें दुकान से थोड़ी ही दूर अपने घर ले गए। कुछ देर बाद लक्ष्मी अपने नवजात के साथ हॉल में आई। चेहरे पर मुस्कान थी। लक्ष्मी ने बताया कि उसने अपने बेटे का नाम आदित्य रखा है। जिसे प्यार से लड्डू बुलाते हैं।

हमने पूछा कि डिलीवरी के दौरान जो कुछ भी हुआ उसके बाद अब तबीयत कैसी है? लक्ष्मी ने कहा- शारीरिक रूप से तो हालत ठीक है। मानसिक रोग विशेषज्ञ का ट्रीटमेंट चल रहा है। लक्ष्मी से इसकी वजह पूछी तो बोली- पिछला पढ़ा लिखा कुछ याद नहीं है।

पहले मुझे भगवान की आरती, हनुमान चालीसा और स्कूल-कॉलेज की किताबों में जो पढ़ा था सब मुंह जुबानी याद था। डिलीवरी के बाद अब सबकुछ भूल गई हूं। ऐसा महसूस होता है कि किसी ने स्लेट पर लिखी इबारत को पोंछ दिया है। जब तक एक बार फिर से पढ़ नहीं लेती हूं। मुझे कुछ याद नहीं आता।

लक्ष्मी की पहले से एक बेटी है। अब उसने बेटे को जन्म दिया।

लक्ष्मी की पहले से एक बेटी है। अब उसने बेटे को जन्म दिया।

डिलीवरी कैसे हुई ये भी याद नहीं: लक्ष्मी लक्ष्मी से पूछा कि डिलीवरी कैसे हुई, कुछ याद है, तो बोली- डिलीवरी के बाद मैं अपने बच्चे से मिली थी। उसे दूध भी पिलाया था, लेकिन उसके बाद क्या हुआ मुझे कुछ भी याद नहीं। घरवाले बताते हैं कि मैं कुछ बोल नहीं रही थी किसी से को पहचान नहीं रही थी बेसुध थी।

जब मुझे होश आया तो मुझे हर चीज से डर लग रहा था। मैं सो ही नहीं पा रही थी मेरी आंख और सर लगातार दर्द दे रहे थे। मुझे इतना डर लग रहा था कि मैंने अपना बेड चेंज करवाया कि कहीं कोई भूत वगैरह तो नहीं है। कुर्सी पर सोने की कोशिश की। यहां तक कि मैं जमीन पर भी सोई।

लक्ष्मी ने आगे बताया कि होश में आने के बाद उसे कुछ दिन तक हर चीज डबल दिख रही थी। घर के लोगों की इमेज भी दो नजर आ रही थी।

रोशनी बोली- अच्छे इलाज की बजाय उल्टा हो गया इसके बाद भास्कर की टीम पहुंची रीवा से 77 किमी दूर डभौरा गांव में। यहां मुलाकात हुई रोशनी केसरवानी से। रोशनी ने भी 28 फरवरी को रीवा के संजय गांधी अस्पताल में एक बेटे को जन्म दिया है। रोशनी के पति विकास किराने की दुकान चलाते हैं। विकास ने बताया कि बेटा ठीक है। उसका शिवाय नाम रखा है।

पत्नी रोशनी की हालत कैसी है इस पर विकास ने कहा ठीक है मगर थोड़ी घबराई हुई है। थोड़ी देर बाद हम विकास के घर पहुंचे वहां रोशनी के ससुर, ननद और भाभी से मुलाकात हुई। विकास ने बताया कि जिस दिन पत्नी की हालत खराब हुई थी उस वक्त वह डभौरा में ही थे। जब अस्पताल से परिजन का फोन आया तो वो वापस रीवा गए।

विकास कहते हैं- जब मैं अस्पताल पहुंचा तो रोशनी किसी को पहचान ही नहीं पा रही थी। अपने हाथ-पैर पटक रही थी और बार-बार भागने की कोशिश कर रही थी। इस वजह से उसे रस्सी से बांधना पड़ा था। हमारे डभौरा में अच्छा अस्पताल नहीं है, इसलिए हम बड़े विश्वास से अपनी पत्नी को रीवा ले गए थे कि वहा अच्छा इलाज होगा पर हमारे साथ उल्टा हो गया।

रोशनी अपने बेटे के साथ। उसे याद नहीं कि डिलीवरी कैसे हुई।

रोशनी अपने बेटे के साथ। उसे याद नहीं कि डिलीवरी कैसे हुई।

मैं तो मां को भी भूल गई: रोशनी जब हमने रोशनी से पूछा कि उस दिन के बारे में कुछ याद है तो बोली- मुझे तो कुछ याद नहीं है। परिवार के लोग ही बताते हैं कि मैं पागलों जैसी हरकतें कर रही थी। बार-बार भागने की कोशिश कर रही थी। मुझे बांध कर रखा गया था। ये भी मुझे याद नहीं है।

रोशनी कहती है कि जिन दो महिलाओं की उस दिन ज्यादा हालत खराब थी उनमें से एक मैं थी। ऐसी हालत को देखते हुए मुझे मेडिसिन विभाग में शिफ्ट कर दिया गया था। डिलीवरी के 10 दिन बाद तक मुझे अंडर ऑब्जर्वेशन रखा गया था।

जब मेरा ऑपरेशन हुआ और होश आया तो मैंने अपने बच्चे को देखा और उसे दूध भी पिलाया था। उसके बाद मेरे साथ क्या हुआ? मुझे कुछ भी याद नहीं है।

रोशनी से पूछा कि आज की तारीख में कोई तकलीफ महसूस करती है तो बोली- कि कुछ दिनों तक कमजोरी महसूस होती थी, लेकिन अब ऐसी तकलीफ नहीं है। मुझे इसी बात का डर सता रहा है कि आगे मुझे कुछ होगा तो नहीं। दिमाग में एक वहम बना हुआ है।

महक बोली- परेशानियां तो बहुत हैं पांच महिलाओं में से रीवा की रहने वाली महक खान की तबीयत सबसे ज्यादा खराब हुई थी। महक को वैंटिलेटर सपोर्ट भी देना पड़ा था। जब हमने महक से इस बारे में बात की तो पहले असहज हो गई। उसने पूछा- क्या हम अस्पताल के लोग है जो पूछताछ करने आए हैं?

जब भास्कर रिपोर्टर ने अपना परिचय दिया तो वह खुलकर बोली- मेरी तबीयत भयंकर खराब हो गई थी। मुझे तो कुछ याद नहीं लेकिन, पति और बाकी लोगों ने बताया कि मेरा पूरा शरीर अकड़ गया था। मुझे सांस लेने में भी दिक्कत थी, इसलिए वैंटिलेटर सपोर्ट दिया गया था।

हमने पूछा कि उस वाकये के बाद आज किसी तरह की समस्या है, तो बोली- अब इस बारे में क्या बताऊं, अब तो दूसरी परेशानियां हैं। इतना कहकर वह बोली- शाम को जब मेरे पति आसिफ घर आ जाएंगे, तब आप बाकी बातें उनसे पूछ लीजिएगा।

मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट के कारण हुई गड़बड़ी संजय गांधी अस्पताल की प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. बीनू सिंह ने बताया कि कभी-कभी दवा निर्माण के दौरान कोई छोटी त्रुटि रह जाती है, जो समय पर पकड़ी नहीं जा सकती। मरीजों को जिस बैच के इंजेक्शन का डोज दिया था, उसमें भी मैन्युफैक्चरिंग एरर था।

जैसे ही यह समस्या सामने आई, उस पूरे बैच के इस्तेमाल पर तुरंत रोक लगा दी गई। बीनू ने बताया कि जेनेरिक दवाओं का बैच स्वास्थ्य विभाग की तरफ से भेजा जाता है। एक बैच में कुल 200 दवाएं होती हैं । मरीजों को देने से पहले डॉक्टर और नर्स एक्सपायरी डेट सहित अन्य जरूरी चीज पढ़ कर ही मरीज को देते है।

उन्होंने आगे बताया कि मरीज को दवा देने से पहले इसे अलग-अलग स्तरों पर जांचा जाता है, लेकिन कभी-कभी मेडिकल साइंस में छोटी-छोटी गलतियों का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।

रीवा के संजय गांधी अस्पताल में रोजाना एक दर्जन से ज्यादा ऑपरेशन से डिलीवरी होती है।

रीवा के संजय गांधी अस्पताल में रोजाना एक दर्जन से ज्यादा ऑपरेशन से डिलीवरी होती है।

उच्च स्तरीय समिति कर रही मामले की जांच इंजेक्शन की जांच करने के लिए राज्य सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है, जो यह पता लगाएगी कि ऑपरेशन से डिलीवरी कराने वाली सभी महिलाओं पर यह प्रतिक्रिया क्यों हुई? इसके अलावा अस्पताल ने गाजियाबाद स्थित सेंट्रल एजेंसी फार्माकोविजिलेंस को भी आठों मरीजों की रिपोर्ट मेल कर दी है। यह एजेंसी एडवर्स ड्रग रिएक्शन की जांच करती है।

डॉ. बीनू सिंह ने बताया कि अगर किसी दवा का रिएक्शन होता है, तो उसका नाम, बैच नंबर फार्माकोविजिलेंस को भेजा जाता है। इसका काम दवाओं के उपयोग से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करना, उसका विश्लेषण करना और फिर सरकार को जरूरी कदम उठाने की सलाह देना है।

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रीवा में गलत इंजेक्शन से गई 5 महिलाओं की याददाश्त

रीवा के गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने गलत दवा देने की बात स्वीकार की है।

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रीवा के गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल में 5 महिलाओं की डिलीवरी हुई। ऑपरेशन के कुछ देर बाद से सभी की तबीयत बिगड़ने लगी। सभी अचेत हो गईं। 2 महिलाओं की हालत नाजुक रही। दैनिक भास्कर की टीम अस्पताल पहुंची तो स्टाफ ने दावा किया कि सभी महिलाओं की हालत ठीक है। पढ़ें पूरी खबर…



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