बोरे बासी घोटाले में एक और बड़ा खुलासा सामने आया है। पहले ही तय हो गया था कि काम व्यापक को देना है। इसलिए न तो टेंडर निकाला गया और न कोटेशन बुलाए गए। समिति के अध्यक्ष और सहायक श्रमायुक्त अनिल कुजूर ने 8 घंटे में व्यापक को काम सौंप दिया।
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फाइलों को देखने के बाद सामने आया कि 20 अप्रैल 2023 को सचिव अमृत कुमार खलखो ने सीएसआईडीसी के एमडी को पत्र लिख बताया कि सीएम की बैठक में निर्णय हुआ है कि 1 मई को बोरे बासी कार्यक्रम होगा। 21 अप्रैल को अपर श्रमायुक्त ने सहायक श्रमायुक्त अनिल कुजुर को पत्र लिखा कि इस कार्यक्रम के लिए आपको नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाता है। 21 अप्रैल को ही समिति बनी और उसने संवाद, रायपुर स्मार्ट सिटी में अनुबंधित सूची को सीधे काम देने की बात कही।
समिति ने अगली नोटशीट में लिखा कि समाज कल्याण संचालनालय में 3 सूचीबद्ध हैं। इसमें से केवल मेसर्स व्यापक इंटरप्राइजेज ही स्मार्ट सिटी में सूचीबद्ध पाए गए हैं। वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा कर व्यापक को कार्य दिया जाता है। 8 घंटे चली फाइल में काम व्यापक को सौंप दिया गया और 29 अप्रैल तक सभी कार्य करने को कहा गया। 15 मई को बिल लगा। 16 जून को टीडीएस जीएसटी कटौती के बाद 8.04 करोड़ का भुगतान कर दिया गया।
फूलों पर 3 लाख रुपए खर्च, इतने में एक ट्रक फूल आ जाते
कार्यक्रम में 44 हजार का माला डेकोरेशन करवाया गया। 60 हजार के फूल और 1.10 लाख की 22 गजमाला खरीदी गई। इसके अलावा अन्य फूल के नाम पर भी 90 हजार का भुगतान किया गया। माली जीतेंद्र ने बताया कि कितनी बड़ी भी गजमाला हो तीन हजार से अधिक की नहीं होती। 3 लाख रुपए में तो ट्रक भर फूल आ जाते हैं। वहीं एक दिन में सुरक्षाकर्मी पर ही 54,687 रुपए खर्च हुए।
कमियां भी पकड़ी गई
व्यापक ने 8 करोड़ 70 लाख रुपए का बिल लगाया। समिति ने बिल की जांच में 65 लाख रुपए अधिक पाए, जिसकी कटौती भी की। {वैन्यू ब्रांडिंग पर 50 की जगह 40 ही किया गया। {वैलकम ब्रांडिंग सुंदर नगर ब्रिंज पर 450 की जगह 400 ही हुआ। {वैलकम ब्रांडिंग शास्त्री चौक से स्टेशन तके 450 की जगह 425 ही मिले। {स्टेज डेकोरेज में वीवीआई बुके 2200 की जगह 1500 ही पाए गए। {फूड अरेजमेंट में 67000 की जगह 50000 ही पाया गया।
1 हजार का मामेंटो 10 हजार में खरीदा: कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों के लिए 150 मोमेंटो खरीदे गए। एक मोमेंटो 10 हजार रुपए खरीदा गया है। जब इसको दैनिक भास्कर ने खरीदने के कोटेशन मांगा तो यह एक हजार रुपए में मिल रहा है। वहीं कार्ड 8 का और लिफाफा 18 रुपए का खरीदा गया। दोनों में 39 हजार रुपए खर्च कर दिए गए।
150 वीआईपी को 1500 रुपए की दर का बोरे-बासी खिलाया गया। जबकि फाइव स्टार होटल का दावा है कि यह 700 से अधिक में नहीं मिलता। 200 लोगों को 600 रुपए के हिसाब से 1.20 लाख रुपए का रिफ्रेशमेंट करवाया गया। जबकि यह 200 रुपए से अधिक का नहीं आता।
सीधी बात – अनिल कुजूर, समिति के अध्यक्ष और तत्कालीन सहायक श्रमायुक्त
शासन ने जो मुझे निर्देश दिया था वह मैंने किया, मैं किसी का नाम नहीं ले सकता
10 हजार की मैडल एक हजार में मिल रहा है, पैसा पास करते समय आपने चेक नहीं किया? – मुझे बिल देखना पड़ेगा। बाकी फाइल प्रशासकीय अनुमोदन पर चली थी। शासन ने मुझे जो निर्देश दिया था वह मैंने किया। 8 घंटे के अंदर आपने व्यापक को दे दिया? -मैं क्या करता। इतने कम समय में कैसे टेंडर होता। हालांकि हर जगह ऐसा ही होता है। संवाद में जो इनपैनल होते हैं, उन्हें सीधे काम दे दिया जाता है। शासन ने मुझे जैसा कहा मैंने किया। शासन माने कौन, सचिव ने कहा था? -मैं किसी का नाम नहीं ले सकता। मुझे जो आदेश मिला वो मैंने किया। बाकी कागजों में हस्ताक्षर हैं। हस्ताक्षर तो सचिव अमृत खलखो के हैं? -मैंने कहा न कि मैं किसी का नाम नहीं ले सकता।