Wednesday, April 16, 2025
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ब्रह्मकुमारीज की मुख्य प्रशासक दादी रतन मोहनी का निधन: अहमदाबाद के हॉस्पिटल में 101 साल की उम्र में ली अंतिम सांस – Abu road News


ब्रह्मकुमारीज संस्थान (आबूरोड) की मुख्य प्रशासक दादी रतन मोहिनी का सोमवार रात 1.20 बजे अहमदाबाद (गुजरात) के निजी हॉस्पिटल में निधन हो गया। वे 101 वर्ष की थीं।

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संस्थान के पीआरओ बीके कोमल ने बताया- दादी के पार्थिव शरीर को मंगलवार को अहमदाबाद से आबूरोड स्थित ब्रह्मकुमारी संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय लाया जाएगा।

जहां अंतिम दर्शन के लिए पार्थिव शरीर रखा जाएगा। अंतिम संस्कार की तिथि की घोषणा संस्थान के पदाधिकारी जल्द करेंगे।

ब्रह्मकुमारीज संस्थान (आबूरोड) की मुख्य प्रशासक दादी रतन मोहिनी का निधन। (फाइल फोटो)

13 वर्ष की उम्र में संस्थान से जुड़ी थीं

दादी का जन्म 25 मार्च 1925 को हैदराबाद, सिंध (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। उनका नाम लक्ष्मी था। मात्र 13 वर्ष की आयु में वे ब्रह्मकुमारी संस्थान के संपर्क में आईं। बचपन से ही अध्यात्म में रुचि रखने वाली दादी ने संस्थान की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

70 हजार किलोमीटर से ज्यादा पदयात्रा की

दादी रतनमोहिनी जीवन के अंतिम दिनों तक सक्रिय रहीं। वे प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में 3.30 बजे उठकर रात 10 बजे तक ईश्वरीय सेवाओं में लगी रहती थीं।

उन्होंने भारतीय संस्कृति और मूल्यों के प्रचार के लिए कई पदयात्राएं कीं। 1985 में उन्होंने 13 पदयात्राएं कीं और 2006 में 31 हजार किलोमीटर की यात्रा पूरी की। कुल मिलाकर उन्होंने 70 हजार किलोमीटर से अधिक की पदयात्रा की।

दादी रतनमोहिनी जीवन के अंतिम दिनों तक भी संस्थान के कार्यों में व्यस्त रहती थीं।

दादी रतनमोहिनी जीवन के अंतिम दिनों तक भी संस्थान के कार्यों में व्यस्त रहती थीं।

संस्थान में बहनों के प्रशिक्षण और नियुक्ति का कार्यभार भी संभाला

दिवंगत राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने संस्थान में आने वाली बहनों के प्रशिक्षण और उनकी नियुक्ति का कार्यभार भी संभाला। ब्रह्माकुमारी संस्थान में समर्पित होने से पहले, दादी के सान्निध्य में युवा बहनों का प्रशिक्षण चलता था।

जिसके पश्चात ही वे “ब्रह्माकुमारी” कहलाती थीं। उन्होंने देशभर के 4600 सेवा केंद्रों की 46 हजार से अधिक बहनों को प्रशिक्षण दिया। इसके अलावा वे युवा प्रभाग की राष्ट्रीय अध्यक्षा भी रह चुकी हैं।

दादी विशेष रूप से युवाओं में मानवीय मूल्यों का संचार करने और उन्हें श्रेष्ठ जीवन जीने के लिए प्रेरित करती थीं।



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