लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में प्रभारी प्रमुख अभियंता केपीएस राणा और प्रमुख अभियंता पीआईयू शालिगराम बघेल के विरुद्ध हुई गंभीर शिकायतों के बाद ईओडब्ल्यू ने प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। दोनों प्रभारी प्रमुख अभियंताओं में से राणा ने एनएचएआई
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प्रभारी प्रमुख अभियंता केपीएस राणा ने प्रभारी मुख्य अभियंता एनएचएआई रहते हुए 2022 में ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार राजेंद्र सिंह किलेदार कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को 38.39 करोड़ रुपए का ठेका दिलाया, जबकि उन्होंने ही उक्त ठेकेदार को पूर्व में ब्लैक लिस्टेड किया था।
इस मामले में ईओडब्ल्यू ने प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इस मामले में सरकार के द्वारा आरोप पत्र जारी किया जाना है। बीना टोल प्लाजा के निर्माण में काम नहीं करने के कारण राणा ने एनएचएआई में प्रभारी सीई रहते किलेदार को एक साल के लिए ब्लैक लिस्टेड किया था, लेकिन 13 दिन बाद ही उन्होंने 7.50 किलोमीटर आष्टा बायपास 39 करोड़ रुपए का टेंडर दे दिया।
इस बारे में उस दौराना रिटायर्ड ईएनसी नरेंद्र कुमार ने आपत्ति जताते हुए पत्र लिखा था कि चयनित संविदाकार का पंजीयन 13 दिसंबर 2022 को निलंबित किए जाने के बाद इनकी दूसरी फाइनेंशियल बिड 17 दिसंबर 2022 को कैसे खोल दी। लेकिन जब यह मामला सामने आया तब लोकसभा चुनाव की आचार संहिता प्रभावी थी, उसी दौरान दूसरी बार में ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार का टेंडर स्वीकृत कर लिया गया।
ईपीसी के जो नियम है उनके अनुसार यदि किसी ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड किया जाता है तो उसका टेंडर नहीं खोला जाएगा और खोल भी दिया गया है तो अवार्ड नहीं होगा। ईपीसी कांट्रेक्ट के तहत दूसरे व तीसरे न्यूनतम निविदाकार से न्यूनतम दर पर काम करने की सहमति लेकर काम देना चाहिए। ईओडब्ल्यू इस मामले में जो जांच कर रही है।
संयुक्त रूप से निविदाएं खोलीं और 2.38 करोड़ रुपए का कर दिया भुगतान
पीआईयू में प्रभारी ईएनसी शालिगराम बघेल ने प्रभारी चीफ इंजीनियर रहते ग्वालियर जोन-8 के कामों की संयुक्त निविदाएं आमंत्रित कर 2.38 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया। इस मामले में डोंगरी मेन रोड से शिकहरी मार्ग, परिचित पुरा से वृंदावन की गढ़ी मार्ग, भदौरिया पुरानहर की पुलिया मार्ग, धरमपुरा से लालपुरा मार्ग, किशनपुरा से लिखी रिहाई मार्ग, त्रिवेणी वाटिका अंबा से पुटकी नहर मार्ग साहसका पुरा से भूप सिंह का पूरा मार्ग और रचिड़ नगर रोड से महंत का पूरा मार्ग की निविदाएं एक साथ संयुक्त रूप से आमंत्रित कर 2.38 करोड़ रुपए का एक्सलेशन भुगतान देय न होने के बाद भी आदेश जारी किए।
इस मामले में ईओडब्ल्यू ने प्रकरण 27/2025 दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इस मामले में सरकार के द्वारा आरोप पत्र जारी जारी किया जाना है।