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भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए करें इन मंत्र का जप, ज्ञान, बल व बुद्धि में होगी वृद्धि


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भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए मंत्र जप अत्यंत लाभकारी है. ये मंत्र गणेशजी की कृपा, बल, बुद्धि में वृद्धि करते हैं और जीवन की बाधाओं को दूर करते हैं.

Mantra to Please Lord Ganesha: भगवान गणेश को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गणेशजी के मंत्र जप करना बेहद फायदेमंद माना जाता है. मंत्र गणेशजी के विविध रूपों और शक्तियों का आह्वान करते हैं, जिससे जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं और सभी इच्छाएं पूरी होती हैं. साथ ही गणेशजी की कृपा, बल, बुद्धि में भी वृद्धि होती है. मंत्र का जप भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा और भक्ति को प्रकट करने के लिए किया जाता है. आइए जानते हैं गणेशजी को प्रसन्न करने के 7 सबसे उत्तम मंत्र…

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वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
जो वक्र (मुंह वाला), महाकाय (विशाल शरीर वाले), सूर्य के करोड़ों किरणों के समान प्रभामान वाले हैं, हे देव! आप मेरे सभी कार्यों में आने वाली बाधाओं को दूर करें और सदैव मुझे सफलता प्रदान करें.

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ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्:
ॐ! हम एकदंत (जो एक दांत वाले हैं) भगवान गणेश की पूजा करते हैं. हम वक्रतुण्ड (वक्र मुँह वाले) गणेश की ध्यान साधना करते हैं. वह हमारे बुद्धि और विवेक को जागृत करें और हमारे कार्यों में सफलता दें.

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ॐ गं गणपतये नमः
अर्थ: मैं गणेशजी को नमस्कार करता हूं. यह गणेश जी का मूल मंत्र है और इस मंत्र का जप आप कभी भी कर सकते हैं. इस मंत्र के जप से गणेशजी प्रसन्न होते हैं और बल व बुद्धि में वृद्धि होती है.

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ॐ शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम्।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये॥
जो श्वेत वस्त्र धारण किए हुए हैं, जिनका स्वरूप श्रीहरि विष्णु के समान है, जिनका रंग चंद्रमा के समान उज्ज्वल है, जिनकी चार भुजाएं हैं और जो सदा प्रसन्न मुख वाले हैं — ऐसे भगवान गणेश का ध्यान करो, जो हमारे समस्त विघ्नों का शमन करते हैं.

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ॐ एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्।
विध्ननाशं करिष्यन्तं देवं वन्दे गणाधिपम्॥
एक दंत, विशाल शरीर वाले, लंबोदर और गजानन स्वरूप वाले, सभी विघ्नों को दूर करने वाले गणाधिपति देवता गणेश जी को मैं नमस्कार करता हूं.

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गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
हम गजानन (गणेशजी) की पूजा करते हैं, जो वक्रतुण्ड (वक्र मुंह वाले) हैं. हम उनकी ध्यान साधना करते हैं, जो हमारी बुद्धि को प्रबुद्ध करें और हमें सभी कार्यों में सफलता दें. हे वक्रतुण्ड महाकाय (विशाल शरीर वाले) सूर्य के करोड़ों किरणों के समान तेजस्वी, कृपा करने वाले देवता, कृपया हमारे सभी कार्यों में आने वाले विघ्नों को दूर करें और हमें हर कार्य में सफलता दें.

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
ॐ! श्रीं, ह्रीं, क्लीं, ग्लौं, गं — इन दिव्य और शक्तिशाली बीज मंत्रों के द्वारा मैं गणेशजी से प्रार्थना करता हूं. हे गणपति! आप मुझे वर (आशीर्वाद) दें और सभी लोगों को मेरे वश में करें.

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गणेशजी को प्रसन्न करने के लिए करें इन मंत्र का जप, बल व बुद्धि में होगी वृद्धि



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