सुबह का भूला शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते…एक मंत्री को लेकर सत्ताधारी दल ने शायद ऐसा ही मान लिया है। तभी तो लंबे अरसे बाद नेता जी सार्वजनिक मंच पर दिखे। इतना ही नहीं कैबिनेट की बैठक में भी शामिल हुए।
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ये वही मंत्री हैं, जिनके एक बयान पर जमकर बवाल मचा था। उन पर एफआईआर दर्ज हो गई। जांच भी चल रही है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने उनकी माफी तक ठुकरा दी थी।
अब फिर से सक्रिय होकर सामने आए मंत्री को लेकर विरोधी सत्ताधारी दल के चाल-चरित्र और चेहरे पर सवाल उठा रहे हैं।
किसी ने पैर धुलवाए, किसी ने किसी के पैर छुए हाल ही में कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आई, जिन्हें देखकर लगता है कि सत्ताधारी दल में राजनीति का भक्ति काल शुरू हो गया है। एक सांसद पदयात्रा पर निकले तो कार्यकर्ता उनके पैर पखारते नजर आए। सवाल उठे तो इसे श्रद्धा और सम्मान का नाम दे दिया।
भक्ति का ऐसा ही एक और नजारा कुछ दिन पहले सामने आया था, जिसमें भरे मंच पर उम्र में बड़े एक केंद्रीय मंत्री ने सरकार के पैर छुए थे।
अब विरोधी कह रहे हैं कि जिस पार्टी के शीर्ष नेता खुद को प्रधान सेवक कहते हैं, वहीं उनकी ही पार्टी के नेता भगवान बनने की कोशिश कर रहे हैं।

विरोधी दल में दिग्गज नेता के सवाल पर बवाल विरोधी दल की एक इंटरनल मीटिंग में एक दिग्गज नेता ने जो कहा, उससे बवाल मच गया। पूर्व मंत्री रहे इस नेता ने मीटिंग में सवाल उठा दिया कि पार्टी के संगठन को मजबूत बनाने के लिए जो अभियान चल रहा है, उसमें पर्यवेक्षकों की नियुक्ति में जमकर अपना-पराया और पैसों का लेन-देन हुआ।
नेता जी ने यह भी कहा कि मैं ये बात पार्टी फोरम पर उठा रहा हूं, क्योंकि नियुक्तियां सही तरीके से नहीं हुईं।
नेता जी की बात सुनकर स्टेट के इंचार्ज ने मोर्चा संभाला। कहा कि इन नियुक्तियों में स्टेट का कोई रोल नहीं हैं। यदि कोई आपत्ति है तो उसके लिए मैं जिम्मेदार हूं।

सांसद ‘सरकार’ से कर रहे थे गुफ्तगू, मंत्री ने टोका हाल ही में ‘सरकार’ एक मंत्री के विधानसभा क्षेत्र के दौरे पर पहुंचे। यहां मंत्री ने स्वागत भाषण दिया। वे बताने लगे कि हमें बिना मांगे बहुत कुछ मिला। हमें हमारे मुखिया ने इतना दिया कि हमारी आदत खराब हो गई है।
मंत्री अपने क्षेत्र की कुछ अहम बातें मंच से ही ‘सरकार’ को बताना चाह रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि स्थानीय सांसद ‘सरकार’ से गुफ्तगू कर रहे हैं। ये देखकर मंत्री जी ने माइक से ही कहा- ‘ओ सांसद जी, जरा सुन लेने दो भैया’। इसके बाद ‘सरकार’ ने पूरा ध्यान लगाकर मंत्री जी का भाषण सुना।

विधायक के करीबी की जिलाध्यक्ष के खिलाफ मुहिम ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में सत्ताधारी दल के एक जिला अध्यक्ष के खिलाफ उनकी ही पार्टी के एक विधायक जी का एक करीबी सोशल मीडिया पर विवादित टिप्पणियां कर रहा है। अध्यक्ष जी नए नियुक्त हुए हैं। सबको साथ लेकर चलने के चक्कर में चुपचाप सब सहन कर रहे हैं।
विधायक जी अपने खास को समझाने के बजाय उद्दंड प्रवृत्ति के करीबियों को आगे बढ़ा रहे हैं।
सुना है कि विधायक जी और अध्यक्ष जी, दोनों ही ‘महाराज’ के करीबी माने जाते हैं। पार्टी आलाकमान तक भी इस पूरे मामले की जानकारी पहुंची है। अब देखना है कि आगे क्या होता है।
काम का रिकॉर्ड जमा करा रहे विधायक जी ‘महाराज’ के करीबी एक विधायक जी ऐसे हैं जो अपना डेली का रिकॉर्ड मेंटेन करते हैं। विधायक जी ने किस दिन, कहां पर, क्या काम किया, वे इसके फोटो और डिटेल का रिकॉर्ड रखते हैं।
इतना ही नहीं, महीने के आखिरी में पूरे 30 दिनों के डेली वर्क की किताबें छपवाकर पार्टी के अध्यक्ष और महामंत्री से लेकर ‘सरकार’ तक को देने जाते हैं।
ये विधायक जी पहले किंग मेकर की भूमिका में रहे। बार-बार प्रयास के बाद इन्हें स्वयं विधायक बनने का मौका मिला है। अब इनके काम के डॉक्यूमेंट का प्रेजेंटेशन प्रदेश के हिल स्टेशन पर होने वाले पार्टी के प्रशिक्षण वर्ग में बताया जा सकता है।

विधायक से खफा पार्टी के पदाधिकारी राजधानी के पड़ोसी जिले में सत्ताधारी दल के एक विधायक से पार्टी के पदाधिकारी खासे खफा हैं। विधायक जी के खिलाफ उनकी विधानसभा के सारे मंडल अध्यक्ष लामबंद हैं। उनका कहना है कि विधायक जी विरोधी दल से आए हैं, इसलिए वहीं के कल्चर पर काम कर रहे हैं।
मंडल अध्यक्षों का कहना है कि स्थानीय अधिकारी पार्टी के पदाधिकारियों की नहीं सुनते। सम्मान नहीं देते। मंडल अध्यक्षों ने संगठन से इसकी शिकायत की। जिसके बाद विधायक जी की टेलीफोन पर क्लास लगाई गई।
ये वही विधायक जी हैं जो बीजेपी में शामिल होने के बाद माइक पर भाषण देते वक्त सोनिया गांधी जिंदाबाद का नारा लगा चुके हैं। विधायक जी पुराने सरकार के इलाके से पहली बार चुनकर आए हैं।
एसपी साहब बोले- मैंने खुश रहना सीख लिया हाल ही में एक एसपी साहब का तबादला हुआ। उसके बाद उनका एक वीडियो पुलिस महकमे के ग्रुप्स में दौड़ रहा है। जिसमें वे पुलिस की मौजूदा स्थिति के बारे में बता रहे हैं।
एसपी साहब पुलिस के जवानों को खेलने और खुश रहने की सलाह दे रहे हैं। कह रहे हैं कि मैंने तो खुश रहना सीख लिया है। जहां जाऊंगा मैं तो खेलूंगा। पोस्टिंग्स तो चलती रहती हैं। मैं लीगली आप सबकी मदद के लिए हमेशा खड़ा रहूंगा। मैं भोपाल में आप सबका इंतजार करूंगा।
साहब ने बगल में बैठे एक साथी अफसर की तरफ देखकर कहा- फिलहाल तुम्हारा इंतजार नहीं करूंगा। तुम कहीं और जाओ। फिर मुझे खींचकर लाओ वहां।

और अंत में..
दिल्ली से आए अफसर के तेवर तीखे कुछ महीने पहले दिल्ली से एमपी लौटे एक आईएएस अफसर ‘सरकार’ के जिले में कलेक्टरी कर चुके हैं। ‘सरकार’ ने उन्हें भोपाल लौटने के बाद विभाग भी ठीक-ठाक सौंपा है।
अब साहब ने अपने तीखे तेवर से विभाग की व्यवस्था को सुधारने का बीड़ा उठाया है। लगातार मीटिंग्स कर रहे हैं और गड़बड़ी न करने की हिदायत दे रहे हैं।
साहब ने हाल ही में प्लानिंग से जुड़ा काम करने में करप्शन करने वाले एक इंजीनियर को सस्पेंड भी कर दिया है। विभाग में चर्चा है कि अभी दो महीने साहब के तेवर ऐसे ही रहेंगे। फिर पुराने ढर्रे पर आ जाएंगे। इसलिए अधीनस्थ दो महीने सकुशल बीतने का इंतजार कर रहे हैं।
ये भी पढ़ें- मामा ने ‘सरकार’ को घड़ी दिखाकर बताया समय कभी-कभी जब कोई बात सीधे नहीं कह सकते, तो इशारे में कह दी जाती है। हाल ही में एमपी दौरे पर आए राहुल गांधी ने भी इशारों में अपनी पार्टी के नेताओं को बड़ा संदेश दे दिया। उन्होंने तीन तरह के घोड़ों का जिक्र किया। रेस का घोड़ा, बारात का घोड़ा और लंगड़ा घोड़ा। पढ़ें पूरी खबर…