भागलपुर के तीन मुख्य मंदिरों के सौंदर्यीकरण की दिशा में पहल तेज हो गई है। इनमें बूढ़ानाथ मंदिर, मनसकामना मंदिर और भूतनाथ मंदिर शामिल है। इसके लिए सदर एसडीओ ने प्रस्ताव बनाकर डीएम को दिया है। डीएम की पहल पर मंदिरों के सौंदर्यीकरण के लिए कार्य योजना बन
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सदर एसडीओ की ओर से दिए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि बूढ़ा नाथ मंदिर में 11, मनसकामना में चार और भूतनाथ मंदिर में तीन तरह के काम होंगे।
बूढ़ा नाथ मंदिर के मुख्य द्वार का जीर्णोद्धार होगा। मुख्य द्वार के बाहर पेयजल की व्यवस्था होगी। मुख्य गेट से सटे दो धर्मशाला का जीर्णोद्धार होगा। मुख्य द्वार के सामने शिवालय का जीर्णोद्धार होगा। मंदिर के पूर्वी भाग स्थित धर्मशाला का जीर्णोद्धार किया जाएगा। वहीं गर्भगृह का भी जीर्णोद्धार होगा। मंदिर में अतिथिशाला और मुख्य तोरण द्वार का निर्माण किया जाएगा। मंदिर के उत्तरी भाग में नाला और वहां की दीवार का जीर्णोद्धार के साथ मंदिर में लाइटिंग की व्यवस्था की जाएगी और मनसकामना मंदिर में हाई मास्ट और सोलर लाइट की व्यवस्था की जाएगी।
जानिए तीनों मंदिर का क्या है महत्व
नाथनगर स्थित मनसकामना नाथ मंदिर न केवल नाथनगर बल्कि पूरे क्षेत्र के लोगों के लिए धर्म और अध्यात्म का केंद्र है। यहां आसीन और चैती दोनों में दुर्गा पूजा होती है। शिव के इस प्रसिद्ध मंदिर में शिव रात्रि और सावन माह में लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है। लग्न में शादी-विवाह का भी आयोजन होता है। मान्यता है कि सबसे पहले नाग वंश ने इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना की थी। नागवंश के कारण ही इस क्षेत्र को नाथनगर के नाम से जाना जाता है।
मनसकामना मंदिर।
मान्यता- मनसकामना नाथ मंदिर का निर्माण सातवीं-आठवीं शताब्दी में हुआ होगा
नाग वंश के बाद पाल वंश ने भी इस मंदिर को संवारने में अपना योगदान दिया। उन्होंने भी यहां शिवलिंग की स्थापना की। मंदिर में आज भी दोनों शिवलिंग की पूजा होती है। कुछ साल पहले यहां जीर्णोद्धार के दौरान एक शिलापट्ट मिला जिसपर 1754 वर्ष खुदा हुआ था। इस लिहाज से जानकार कहते हैं इस मंदिर का निर्माण सातवीं-आठवीं शताब्दी में हुआ होगा।
मान्यता- बूढ़ानाथ मंदिर की स्थापना ऋषि वशिष्ठ ने की
पतित पावनी गंगा के तट पर अवस्थित बाबा बूढ़ानाथ मंदिर का गौरवशाली, पौराणिक और धार्मिक इतिहास है। यह अंग क्षेत्र का अति प्राचीन मंदिर है। कहा जाता है कि त्रेता युग में इस मंदिर की स्थापना ऋषि वशिष्ठ ने किया था। यह प्राचीन मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था और श्रद्धा का केंद्र है।
मान्यता- भगवान शिव की रुकी थी यहां बारात
वहीं, भूतनाथ मंदिर के बारे में पंडित माधव लसियाल बताते हैं कि कथा के अनुसार जब भगवान शिव, माता सती संग विवाह के लिए बारात लेकर निकले थे, तो उनके ससुर राजा दक्ष ने भगवान शिव को उनके बारात संग इसी मंदिर में ठहराया था। बारात में शामिल सभी देवगण, भूतों और जानवरों ने इसी मंदिर में एक रात बिताई थी। तभी से इस मंदिर को भूतनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है।