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भागवत बोले-आर्यों ने द्रविड़ों को खदेड़ा, यह अंग्रेजों का झूठ: ब्रिटिश कहते थे- भारतीय राज नहीं कर सकते, दुनिया ने इसे नकारा


नागपुर20 मिनट पहले

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भागवत सोमलवार एजुकेशन सोसाइटी के 70वें स्थापना दिवस के मौके पर 21वीं सदी में शिक्षकों की भूमिका पर भाषण दे रहे थे।

RSS चीफ मोहन भागवत ने गुरुवार को नागपुर में एक कार्यक्रम में कहा कि अंग्रेजों ने सच को छिपाया और हमारे दिमाग में कई झूठ भरे। उन्होंने कहा था कि भारत में जो लोग दिखते हैं, वे बाहर से आए हैं।

अंग्रेजों ने झूठ फैलाया था कि बाहर से आए लोगों को द्रविढ़ों ने जंगल में खदेड़ा। फिर आर्य लोग आए, जिन्होंने द्रविड़ों से लड़ाई की और द्रविड़ों को पीछे की ओर खदेड़ दिया। यह अंग्रेजों का फैलाया हुआ झूठ है।

भागवत सोमलवार एजुकेशन सोसाइटी के 70वें स्थापना दिवस के मौके पर 21वीं सदी में शिक्षकों की भूमिका पर भाषण दे रहे थे। इसी दौरान उन्होंने कहा- अंग्रेज कहते हैं कि कोई बाहर से आया, यहां के लोगों को मारा-पीटा और खुद राजा बन गया। उनके मुताबिक, राज करना इस देश के लोगों के खून में नहीं है।

भागवत ने कहा कि अंग्रेज ऐसे थे, जैसे कोई धर्मशाला में रहने आए हो। इस थ्योरी को पूरी दुनिया ने नकार दिया है। अब इस पर कोई यकीन नहीं करता है, लेकिन हमारे देश के लोगों से यह बात निकल नहीं रही है।

भागवत बोले- ब्रिटिश शासक भारत की विरासत को भुला देना चाहते थे… 7 पॉइंट

  • 1857 में ब्रिटिश शासकों को एहसास हुआ कि जातियों, संप्रदायों, भाषाओं, भौगोलिक असमानताओं को लेकर आपस में लड़ाने के बावजूद भारत के लोग तब तक एकजुट रहेंगे जब तक कि वे विदेशी आक्रमणकारियों को देश से बाहर नहीं निकाल देते।
  • RSS प्रमुख ने कहा कि ब्रिटिश शासकों ने कुछ ऐसा करने का फैसला लिया, जिससे भारतीयों की एकजुट रहने की विशेषता खत्म हो जाए और यह सुनिश्चित हो जाए कि ब्रिटिश शासन हमेशा के लिए बना रहे।
  • उनका उद्देश्य भारतीयों के मन से भारत के इतिहास, पूर्वजों और गौरवपूर्ण विरासत को भुला देना था। इसी उद्देश्य के लिए अंग्रेजों ने फैक्ट्स बदलकर हमारे दिमाग में कई झूठ डाल दिए।
  • 21वीं सदी में AI के युग में भी शिक्षक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे। वर्तमान पीढ़ी टेक्नोलॉजी के कारण बहुत सारे ज्ञान से अवगत है, लेकिन शिक्षक जीवन बदल सकते हैं। देखने और अवलोकन का मतलब सीखना है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों में जीवन बदलने की शक्ति है। टेक्नोलॉजी आती है और जाती है।
  • बुद्धि के आर्टिफिशियल होने के साथ, शिक्षकों और शिक्षा की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। गांधी कहते थे कि नैतिकता के बिना विज्ञान पाप है। टेक्नोलॉजी की प्रगति से मनुष्यों को तेजी से सटीक काम करने में मदद मिलेगी, लेकिन इसका प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाना चाहिए।
  • कभी-कभी ज्ञान की आड़ में झूठ फैलाया जाता है और इतिहास की आड़ में फैक्ट्स को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाता है। हमें हमेशा ज्ञान की पड़ताल करनी पड़ती है और फिर उसे आत्मसात करना पड़ता है। किताबों की भूमिका लगभग खत्म हो गई है। गूगल के पास पूरी दुनिया का ज्ञान है।
  • ज्ञान का उपयोग कैसे करना है यह जानने के लिए विवेक की आवश्यकता है। 21वीं सदी में शिक्षकों की यही भूमिका होगी। शिक्षा का उद्देश्य इंसान बनाना है। खजूर का पेड़ बहुत लंबा होता है लेकिन अगर यह छाया नहीं देता तो इसका क्या फायदा। बड़ा व्यक्ति वह है जो दूसरों के लिए उपयोगी हो।

मंदिर-मस्जिद विवाद- RSS प्रमुख और उसके मुखपत्र की राय अलग

RSS के अंग्रेजी मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने हालिया मंदिर-मस्जिद विवादों पर RSS प्रमुख मोहन भागवत से अलग राय रखी है। पत्रिका ने अपने ताजा अंक में इसे ऐतिहासिक सच जानने और सभ्यतागत न्याय की लड़ाई कहा है।

मोहन भागवत ने 19 दिसंबर को पुणे में कहा था कि राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वे नई जगहों पर इस तरह के मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं। हर दिन एक नया मामला उठाया जा रहा है। इसकी इजाजत कैसे दी जा सकती है? भारत को दिखाने की जरूरत है कि हम एक साथ रह सकते हैं। पूरी खबर पढ़ें…

पिछले 11 दिनों में भागवत के 3 बड़े बयान

22 दिसंबर: धर्म का अधूरा ज्ञान अधर्म करवाता है, गलत समझ के कारण अत्याचार हुए

RSS चीफ 22 दिसंबर को महाराष्ट्र के अमरावती में एक आयोजन में शामिल हुए थे।

RSS चीफ 22 दिसंबर को महाराष्ट्र के अमरावती में एक आयोजन में शामिल हुए थे।

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि धर्म को समझना बहुत कठिन है। धर्म के नाम पर होने वाले सभी उत्पीड़न और अत्याचार गलतफहमी और धर्म की समझ की कमी के कारण हुए।

धर्म महत्वपूर्ण है, इसकी सही शिक्षा दी जानी चाहिए। धर्म का अनुचित और अधूरा ज्ञान अधर्म की ओर ले जाता है। उन्होंने कहा कि धर्म सत्य का आधार है, इसलिए धर्म की रक्षा जरूरी है। संप्रदाय कभी लड़ना नहीं सिखाता, वह समाज को जोड़ता है। पूरी खबर पढ़ें…

19 दिसंबर : पुणे में कहा- देश संविधान के अनुसार चलता है

भागवत ने कहा था- बाहर से आए कुछ समूह अपने साथ कट्टरता लेकर आए। वे चाहते हैं कि उनका पुराना शासन वापस आए, लेकिन अब देश संविधान के अनुसार चलता है। इस व्यवस्था में लोग अपने प्रतिनिधि चुनते हैं, जो सरकार चलाते हैं।

इसी दिन राम मंदिर पर बोलते हुए उन्होंने कहा था कि मंदिर निर्माण के बाद कुछ लोगों लगता हैं कि वे ऐसे मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बन जाएंगे। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। भारत को यह दिखाने की जरूरत है कि हम एक साथ रह सकते हैं। पूरी खबर पढ़ें…

16 दिसंबर : अहंकार दूर रखें, नहीं तो गड्ढे में गिरेंगे

व्यक्ति को अहंकार से दूर रहना चाहिए नहीं तो वह गड्ढे में गिर सकता है। देश के विकास के लिए समाज के सभी वर्गों को मजबूत बनाना जरूरी है। हर व्यक्ति में एक सर्वशक्तिमान ईश्वर होता है, जो समाज की सेवा करने की प्रेरणा देता है, लेकिन अहंकार भी होता है। राष्ट्र की प्रगति केवल सेवा तक सीमित नहीं है। पूरी खबर पढ़ें…

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धार्मिक विवाद से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…

ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम… भजन पर हंगामा, गायिका को माफी मांगनी पड़ी

बिहार के पटना में 26 दिसंबर को अटल जयंती समारोह में महात्मा गांधी के भजन रघुपति राघव राज राम…को लेकर हंगामा हो गया। भजन गायिका देवी को माफी मांगनी पड़ी। जय श्रीराम के नारे लगाने पड़े, तब जाकर मामला शांत हुआ और कार्यक्रम दोबारा शुरू हुआ। पूरी खबर पढ़ें…



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