यह दृश्य 2 महीने पहले का है जब भाजपा नेता कैप्टन अभिमन्यु नारनौंद हलके के ग्रामीण इलाकों में प्रचार के लिए निकले थे।
हरियाणा के नारनौंद हलके में कैप्टन अभिमन्यु का गांव-गांव अंदरूनी विरोध हो रहा है। भाजपा के लोग ही खुलकर कैप्टन का समर्थन नहीं कर रहे। किसान आंदोलन के प्रति भाजपा और उसके नेताओं के रवैये के चलते लोकसभा चुनाव के दौरान भी कैप्टन को कई जगह विरोध झेलना पड़
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वहीं, 2019 में कैबिनेट मिनिस्टर रहते हुए हार चुके कैप्टन अभिमन्यु को पार्टी ने इस बार टिकट बेशक दे दिया हो लेकिन आरएसएस के सर्वे में नारनौंद सीट पर उनका इस बार भी पार पाना मुश्किल लग रहा है। इसका कारण है कि जमीनी राजनीति से उनका जुड़ाव न होना। किसान आंदोलन की वजह से ग्रामीण इलाकों में भाजपा नेताओं के प्रति लोगों में खासा गुस्सा है। कई महीनों तक चले किसान आंदोलन में हिसार जिले के मसूदपुर, डाटा, गुराना, खानपुर गांवों के लोगों ने सक्रिय भूमिका निभाई थी।
लोकसभा चुनाव के दौरान जब कैप्टन इन गांवों में वोट मांगने पहुंचे थे तब उनका खासा विरोध हुआ था। कई जगह ग्रामीणों ने कैप्टन की गाड़ी को घेरकर नारेबाजी भी की थी। किसानों का कहना था कि जब किसानों पर अत्याचार हो रहे थे, उस समय जाट कम्युनिटी से होने के बावजूद कैप्टन अभिमन्यु ने किसानों का समर्थन क्यों नहीं किया। इस बार भी नारनौंद एरिया के कई गांवों में लोकसभा चुनाव जैसा ही माहौल है।
लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान जब कैप्टन अभिमन्यु ग्रामीण इलाकों में वोट मांगने पहुंचे थे तब स्थानीय लोगों ने उनकी गाड़ी को घेरकर नारेबाजी की थी।
लगातार 2 चुनाव में भाजपा बुरी तरह हारी नारनौंद एरिया में कैप्टन अभिमन्यु की गैरमौजूदगी का खमियाजा भाजपा भुगत रही है। कैप्टन वीआईपी नेता के स्टाइल से बाहर नहीं आ पा रहे। इलाके के लोगों की शिकायत है कि 2014 से 2019 के दौरान कैप्टन के कैबिनेट मंत्री रहते जब भी वह कोई फरियाद लेकर जाते तो कैप्टन उनसे मिलते तक नहीं थे। और तो और, नारनौंद एरिया के कामकाज भी वह अपने भतीजे के जरिए ही देखते थे।
कैप्टन अभिमन्यु का ग्राउंड कनेक्ट न होने और लोगों से उनकी दूरी का नुकसान भाजपा 2019 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में उठा चुकी है।
लगातार दो हार के बाद जीतना चुनौती 2019 के विधानसभा चुनाव में कैप्टन अभिमन्यु कैबिनेट मिनिस्टर होने के बावजूद जननायक जनता पार्टी (JJP) के रामकुमार गौतम से हार गए थे। अभिमन्यु को तब 12029 वोटों से हार का मुंह देखना पड़ा था। कैप्टन अभिमन्यु को उस समय 60406 वोट मिले वहीं रामकुमार गौतम ने 73435 वोट हासिल किए।
ऐसा ही हाल 2024 के लोकसभा चुनाव में भी हुआ। हिसार सीट से BJP कैंडिडेट रणजीत चौटाला नारनौंद में कैप्टन के भरोसे लीड की उम्मीद लगा रहे थे लेकिन यहां भाजपा उम्मीदवार बुरी तरह पिछड़ गया। इस विधानसभा हलके से कांग्रेस कैंडिडेट जयप्रकाश जेपी को अच्छी लीड मिली। नतीजा- भाजपा हिसार लोकसभा सीट हार गई।

नारनौंद से चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे कैप्टन बता दें कि, इस बार विधानसभा चुनाव में नारनौंद सीट से लड़ना कैप्टन की सियासी मजबूरी बन गया। कैप्टन ने नारनौंद से पीछा छुड़वाने के लिए बरवाला विधानसभा हलके में खुद के लिए सर्वे करवाया। प्राइवेट एजेंसी के माध्यम से भाजपा वर्करों और लोगों से फोन पर उनके बारे में फीडबैक लिया गया तो सभी ने कैप्टन को बरवाला से टिकट देने का विरोध किया। सर्वे में नेगेटिव फीडबैक के बाद कैप्टन को नारनौंद से ही मजबूरी में टिकट पर संतुष्ट होना पड़ा।
भाजपा ने कैप्टन की नैया पार लगाने के लिए 2019 में उन्हें हराने वाले जेजेपी के रामकुमार गौतम को पार्टी में शामिल कर जींद जिले की सफीदों सीट पर शिफ्ट भी कर दिया लेकिन ग्रामीण एरिया के वोटरों की नाराजगी से कैप्टन कैसे निपटेंगे, इसी से उनकी राजनीतिक कौशलता का पता लग पाएगा।