- Hindi News
- National
- Paksitan Vs BJP; Jammu Kashmir Article 370 | Rahul Gandhi Farooq Abdullah
श्रीनगरकुछ ही क्षण पहले
- कॉपी लिंक
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने यह भी कहा- संभावना है कि कॉन्फ्रेंस (नेशनल कॉन्फ्रेंस) सत्ता में आएगी।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के जम्मू-कश्मीर को दिए बयान पर विवाद खड़ा हो गया। आसिफ ने कहा था कि, वे भी कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन की तरह जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 की बहाली चाहते हैं।
ख्वाजा के इस बयान की भाजपा ने आलोचना की। जम्मू-कश्मीर के भाजपा प्रभारी और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने कहा, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री के बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि राहुल गांधी और फारूक अब्दुल्ला पाकिस्तान की भाषा बोलते हैं। वे पाकिस्तान के इशारों पर नाच रहे हैं। एनसी-कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की कठपुतली के रूप में काम कर रहे हैं।
दरअसल जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं। फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि, अगर गठबंधन सत्ता में आता है तो आर्टिकल 370 को वापस लाएंगे।
पाक रक्षा मंत्री बोले- हमारी भी यही मांग है पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पाकिस्तानी न्यूज चैनल जियो न्यूज पर बात कर रहे थे। पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर ने ख्वाजा से सवाल किया कि क्या पाकिस्तान और नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली पर एकमत हैं।
ख्वाजा आसिफ ने जवाब दिया, बिल्कुल। हमारी मांग भी यही है।
ख्वाजा बोले- उम्मीद है नेशनल कांफ्रेंस सत्ता में आएगी पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने यह भी दावा किया कि अगर नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन जम्मू-कश्मीर में सत्ता में आता है तो आर्टिकल 370 वापस आ सकता है।
ख्वाजा ने कहा- मुझे लगता है कि यह संभव है। वर्तमान में, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का वहां बहुत बड़ा महत्व है। घाटी की आबादी इस मुद्दे पर बहुत प्रेरित है और संभावना है कि कॉन्फ्रेंस (नेशनल कॉन्फ्रेंस) सत्ता में आएगी। उन्होंने इसे चुनावी मुद्दा बना दिया है।
अमित मालवीय बोले- पाकिस्तान और कांग्रेस की मंशा एक भाजपा नेता अमित मालवीय ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “पाकिस्तान जोकि एक आतंकवादी देश है। वह कश्मीर पर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस की मंशा का समर्थन करता है।
ऐसा कैसे है कि, पन्नू से लेकर पाकिस्तान तक, राहुल गांधी और उनकी कांग्रेस, हमेशा भारत के हितों के प्रतिकूल लोगों के पक्ष में दिखाई देती है?

अब जानिए जम्मू-कश्मीर चुनाव में आर्टिकल 370 मुद्दा क्यों…
2019 में आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार विधानसभा चुनाव जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे। तब BJP और PDP ने गठबंधन सरकार बनाई थी। 2018 में गठबंधन टूटने के बाद सरकार गिर गई थी। इसके बाद राज्य में 6 महीने तक राज्यपाल शासन (उस समय जम्मू-कश्मीर संविधान के अनुसार) रहा। इसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।
राष्ट्रपति शासन के बीच ही 2019 के लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें BJP भारी बहुमत के साथ केंद्र में लौटी। इसके बाद 5 अगस्त 2019 को BJP सरकार ने आर्टिकल-370 खत्म करके राज्य को दो केंद्र-शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था। इस तरह जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।

नई सरकार का कार्यकाल 6 साल की जगह 5 साल का होगा सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर 2024 तक जम्मू कश्मीर में चुनाव कराने का आदेश दिया था। राज्य से अनुच्छेद 370 हटने के बाद ये पहला विधानसभा चुनाव होगा। चुनाव के बाद नई सरकार का कार्यकाल 6 साल की जगह 5 साल का होगा।

जम्मू-कश्मीर की 90 सीटें, परिसीमन में 7 जुड़ीं जम्मू-कश्मीर में 2014 के विधानसभा चुनाव में 87 सीटें थीं। जिनमें से 4 लद्दाख की थीं। लद्दाख के अलग होने पर 83 सीटें बचीं थीं। बाद में परिसीमन के बाद 7 नई सीटें जोड़ी गईं। उनमें 6 जम्मू और 1 कश्मीर में है। अब कुल 90 सीटों पर चुनाव होगा। इनमें 43 जम्मू, 47 कश्मीर संभाग में हैं। 7 सीटें SC (अनुसूचित जाति) और 9 सीटें ST (अनुसूचित जनजाति) के लिए रिजर्व हैं।


2014 विधानसभा चुनाव में वोट शेयर के मामले में भाजपा पहले नंबर थी, हालांकि सीटों के मामले में PDP आगे रही।