Tuesday, March 18, 2025
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भारतीय शेफ 50 दिन से लापता, मालदीव पुलिस-इंडियन एंबेसी बेखबर: रिसॉर्ट बोला- समुद्र में डूब गया, न मोबाइल दिया न CCTV फुटेज


27 जनवरी की बात है। अलीगढ़ में रहने वाले मुजीब खान नमाज पढ़ने गए थे। घर लौटे तो मोबाइल पर 8 मिस्ड कॉल थीं। ये कॉल मालदीव के इफरु आइलैंड रिसॉर्ट से आईं थीं। मुजीब के बड़े भाई आफताब इसी रिसॉर्ट में शेफ हैं। उन्होंने वापस कॉल किया तो पता चला कि आफताब स्

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मुजीब भाई की तलाश में मालदीव पहुंचे, लेकिन वहां न रिसॉर्ट मैनेजमेंट से कोई खास मदद मिली, न इंडियन एंबेसी से। मुजीब ने इंडियन एंबेसी से कॉन्टैक्ट किया तो जवाब मिला कि अभी इन्वेस्टिगेशन चल रही है। रिसॉर्ट स्टाफ ने बात करने के बाद मुजीब को आफताब का कमरा दिखाया। फिर उसका सामान उनके हवाले कर दिया। डेढ़ महीने बाद भी आफताब की कोई खबर नहीं है।

इस केस को समझने के लिए दैनिक भास्कर की टीम अलीगढ़ पहुंची। फैमिली ने बातचीत में आरोप लगाया कि रिसॉर्ट मैनेजमेंट ने न आफताब का मोबाइल दिया और न सीसीटीवी फुटेज दिखाया। फैमिली का कहना है कि आफताब के साथ क्या हुआ, उन्हें कम से कम ये तो पता चले। अगर उसकी मौत भी हुई है तो सरकार कंफर्म करे, ताकि हम इंश्योरेंस और मुआवजे के लिए आगे बढ़ें। फैमिली ने अब दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है।

अलीगढ़ के रहने वाले आफताब शेफ की जॉब के लिए मालदीव गए थे। 27 जनवरी को फैमिली के पास उनके समुद्र में डूबने की खबर आई।

परिवार का बड़ा बेटा है आफताब, मालदीव जाने से पहले ही हुई थी इंगेजमेंट हम आफताब की फैमिली से मिलने अलीगढ़ पहुंचे। आफताब घर के बड़े बेटे हैं। परिवार में दो छोटे भाई और एक बहन है। पिता बीमार रहते हैं। मां छोटी सी दुकान चलाती हैं। परिवार की जिम्मेदारी 27 साल के आफताब पर थी। वो पेस्ट्री शेफ की नौकरी के लिए मालदीव गए और 27 जनवरी से लापता हैं। उनके घर पर हमारी मुलाकात उनके छोटे भाई मुजीब, मां और छोटी बहन परी से हुई।

आफताब की मां कहती हैं, ’मुझे अपने बेटे पर खुद से भी ज्यादा भरोसा है। उसने कभी मुझसे एक बात नहीं छिपाई। मुझे जिस दिन से उसके बारे में पता चला है, मेरा चैन-सुकून चला गया है। हम सब बहुत परेशान हैं।’

मुजीब बताते हैं, ‘भाई ने 12वीं के बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से बेकरी में डिप्लोमा किया था। ट्रेनिंग पूरी होते ही उन्होंने अलीगढ़ में पाम ट्री होटल में काम करना शुरू कर दिया था। एक साल काम करने के बाद उनकी इंदौर के एक होटल में जॉब लग गई। ये साल 2018 की बात है। उन्होंने दो साल इंदौर में काम किया। फिर उनकी जॉब नोएडा के रेडिसन होटल में लग गई।’

‘2022 में उन्होंने अहमदाबाद का द लीला होटल जॉइन कर लिया। तरक्की से वो बहुत खुश थे। छह महीने बीते ही थे कि भाई के सीनियर ने उन्हें मालदीव के इफरु आइलैंड एंड रिसॉर्ट में जॉब के बारे में बताया। उनका इंटरव्यू हुआ और सिलेक्शन भी हो गया। 13 मार्च 2024 को उन्हें मालदीव के लिए निकलना था। वहां जाने से पहले ही उनकी शादी तय हो गई।’

‘भाई ने शादी को लेकर शर्त रखी थी कि वो उसी लड़की से शादी करेंगे, जिसकी फैमिली दो साल उनके विदेश में नौकरी करने तक शादी के लिए इंतजार करेगी। पिछले साल मालदीव जाने से पहले ही 8 मार्च को उनकी इंगेजमेंट हुई। फिर वो दो साल के कंपनी वीजा पर मालदीव रवाना हो गए।’

आफताब की मां अलीगढ़ में एक दुकान चलाती हैं। इसी से परिवार का खर्च चलता है।

आफताब की मां अलीगढ़ में एक दुकान चलाती हैं। इसी से परिवार का खर्च चलता है।

कजिन की शादी में अलीगढ़ आने वाले थे आफताब, छुट्टी नहीं मिली मुजीब आगे बताते हैं, ‘भाई से हम रोज कॉल पर बात करते थे। चाचा के घर पर इसी मार्च में शादी थी। भाई भी शादी में शामिल होने के लिए अलीगढ़ आने वाले थे। रिसॉर्ट में काम का प्रेशर ज्यादा है इसलिए उन्हें छुट्टी नहीं मिली। लिहाजा वो नहीं आ सके।‘

‘भाई से आखिरी बार हमारी बात 27 जनवरी 2025 को हुई। उन्होंने दोपहर 3:05 बजे वॉट्सएप कॉल किया था। घर पर छोटी बहन परी के अलावा कोई नहीं था, इसलिए उसी से बात हुई थी। वो घर-परिवार की सामान्य बातें कर रहे थे। उन्होंने परी को स्विमिंग करने जाने के बारे में भी कुछ नहीं बताया था।’

मुजीब आगे बताते हैं, ‘परी से बात करते वक्त वो कैफेटेरिया में खाना खा रहे थे। वो ज्यादातर खाने के समय ही हमें फोन करते थे। यही उनका फ्री टाइम होता था। परी ने उनसे करीब 3:40 बजे तक बात की। इसके बाद शाम 5 बजे भाई के रिसॉर्ट के एचआर ने मुझे वॉट्सएप पर कॉल किया। मैं फोन नहीं उठा सका।’

‘जब मैंने कॉल बैक किया तो पता चला कि भाई स्विमिंग के दौरान पानी में डूब गए। उन्हें तलाशा जा रहा है। भाई के साथ उनके कलीग परमजीत और महेश भी थे। हालांकि भाई को स्विमिंग आती थी। हम रिसॉर्ट मैनेजमेंट से भाई का अपडेट मांगते रहे। दो दिन बीत जाने के बाद भी उनका एक ही जवाब आया कि वे तलाश कर रहे हैं।’

रिसॉर्ट ने नहीं की मदद, कोई जवाब नहीं मिला तो मालदीव गए मुजीब मुजीब बताते हैं, ‘रिसॉर्ट से वाजिब जवाब न मिलने से हम परेशान थे। 29 जनवरी को मैंने रिसॉर्ट के एचआर इब्राहिम विशाह से बात की और उन्हें बताया कि मैं अपने वकील जीशान खान के साथ मालदीव आ रहा हूं। हमारे टिकट और रहने का इंतजाम करा दें। ये होटल मैनेजमेंट की जिम्मेदारी थी, लेकिन उन्होंने मना कर दिया।’

’31 जनवरी का टिकट कराया और हम मालदीव पहुंचे। वहां इमिग्रेशन वालों ने हमसे तीन घंटे रोककर पूछताछ की। हमारा वक्त जाया किया। इस वजह से हम उस दिन इंडियन एंबेसी नहीं जा सके। अगले दिन सुबह 10 बजे हमने एंबेसी पहुंचकर अधिकारियों से बात की। उन्होंने बताया कि आफताब मिसिंग हैं। हम उन्हें सर्च कर रहे हैं।’

‘हालांकि, एंबेसी ने हमारे लिए कोई ऑफिसर अपॉइंट नहीं किया था, जो साथ में इफरु आइलैंड जा सके। इफरू जाने से पहले एंबेसी ने हमें आगाह करते हुए कहा कि वहां कुछ ऐसा मत कहिएगा, जिससे ऐसा लगे कि आप अपने भाई आफताब को ढूंढने आए हैं। या उनके केस में इन्वेस्टिगेशन की मांग कर रहे हैं। उनसे जरा संभल कर बात करिएगा।’

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रिसॉर्ट पहुंचने पर हमारी मुलाकात वहां के एचआर और मैनेजर से हुई। बातचीत के दौरान उन्होंने हमें परमजीत से भी मिलवाया। परमजीत ने बताया कि वो, महेश और आफताब उस दिन स्विमिंग करने गए थे। महेश को स्विमिंग करनी नहीं आती थी। वो सिर्फ साथ घूमने गया था।

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‘परमजीत स्विमिंग ट्रेनर थे, वो सबसे पहले पानी में गए। तब आफताब मोबाइल से वीडियो बना रहा था। परमजीत के मुताबिक, कुछ मिनट बाद ही आफताब ने अपना मोबाइल महेश को दिया और वो भी पानी में उतर गया। आफताब आगे बढ़ा ही था कि भंवर में फंस गया।’

‘परमजीत ने बताया कि उन्होंने भाई को बचाने की कोशिश की, लेकिन उनका हाथ छूट गया। परमजीत को बोट से बचाया गया। हम महेश से भी बात करना चाहते थे, लेकिन हमें उससे नहीं मिलवाया गया।’

हादसे के वक्त आइलैंड पर न लाइफ गार्ड थे, न सीसीटीवी कैमरा मुजीब आरोप लगाते हैं, ‘हादसे के वक्त मौके पर कोई लाइफ गार्ड तक मौजूद नहीं था। मालदीव के कानून के मुताबिक, हर आइलैंड पर लाइफ गार्ड और सीसीटीवी कैमरा होना जरूरी है। मैंने रिसॉर्ट मैनेजमेंट से आफताब का मोबाइल मांगा। उन्होंने इन्वेस्टिगेशन का हवाला देकर फोन देने से मना कर दिया। सीसीटीवी फुटेज भी नहीं दिखाया।’

‘हम जब भाई के रूम पर पहुंचे तो उनका सामान पहले से पैक रखा था। जबकि इन्वेस्टिगेशन के दौरान सामान को हाथ की भी परमिशन नहीं होती है। फिर उन्होंने भाई का सामान कैसे पैक कर दिया? अब वे कोई अपडेट भी नहीं देते और न ही हमारे कॉल का जवाब देते हैं। आखिर हमें दिल्ली हाई कोर्ट जाना पड़ा।’

मालदीव से लौटकर बेकरी शॉप खोलना चाहते थे आफताब की छोटी बहन परी खान बीए की पढ़ाई कर रही हैं। आफताब ने आखिरी बार उन्हीं से ही बात की थी। वे बताती हैं, ‘भइया बहुत अच्छे स्वभाव के थे। मुझे बहुत सपोर्ट करते थे और पढ़ाई के लिए बहुत मोटिवेट करते थे। वो मेरे फ्यूचर को लेकर परेशान रहते थे।’

‘खाना बनाने के शौकीन थे तो जब भी घर आते थे, नई-नई डिश बनाना सिखाते थे। उन्हें बेकरी का शौक था। वे ईद पर जब भी घर आते तो पेस्टरी बनाकर खिलाते थे। मालदीव से लौटने के बाद वो अपनी बेकरी शॉप खोलना चाहते थे।’

भाई से हुई आखिरी बातचीत को याद करते हुए परी बताती हैं, ‘उस दिन मुजीब घर पर नहीं था। पापा और मम्मी भी बाहर गए हुए थे। भइया उनके बारे में पूछ रहे था। मेरे एग्जाम चल रहे थे, तो उसके बारे में बात हुई। उन्होंने चाचा के घर शादी का इंतजाम पूछा।’

मौत की कंफर्मेशन के बिना फैमिली मुआवजा भी नहीं मांग सकती इस मामले में दैनिक भास्कर ने आफताब का केस देख रहे वकील जीशान खान से बात की। उन्होंने हमें वे मेल भी दिखाए, जो उन्होंने इफरु रिसॉर्ट, मालदीव और भारतीय दूतावास को किए।

जीशान बताते हैं, ‘फैमिली ने 28 जनवरी को मुझे अप्रोच किया। 29 जनवरी को मैं अलीगढ़ आया। उनसे ही मुझे आफताब के केस के बारे में पता चला। इसके बाद मैं आफताब के भाई मुजीब के साथ मालदीव गया। वहां लगभग 29,000 भारतीय काम कर रहे हैं। मालदीव सरकार जिस तरह से भारतीय नागरिकों के खिलाफ मामला ले रही है, वो संतोषजनक नहीं है।’

‘हमें आफताब के केस के इन्वेस्टिगेशन के बारे में जानकारी नहीं दी गई। हमें उसका मोबाइल और सीसीटीवी फुटेज नहीं दिया गया। कम्प्लेंट की कॉपी तक नहीं दी गई। भारतीय दूतावास ने हमें ये तक कह दिया था कि अगर आप रिसॉर्ट जा रहे हैं तो ज्यादा सवाल न पूछें और सतर्कता से पेश आएं।’

‘वापस आने के बाद हमने मालदीव सरकार, गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को कई मेल लिखे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद हमें हाई कोर्ट का रुख करना पड़ा।’

जीशान आगे बताते हैं, ‘मालदीव सरकार के कानून के मुताबिक अगर किसी वर्कर की मौत एम्पलॉयर की लापरवाही के कारण होती है, तो उस स्थिति में मालदीव की लेबर अथॉरिटी से भारी मुआवजा तय किया जाता है। ये 1.4 मिलियन अमेरिकी डॉलर से शुरू होकर 4 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक होता है।’

‘हम चाहते हैं कि इस मामले में परिवार को कम से कम ये तो पता चले कि उनके बेटे के साथ क्या हुआ। अगर आफताब की मौत भी हुई है तो सरकार इसका कंफर्मेशन कर दे। ताकि हम इंश्योरेंस और मुआवजे के लिए आगे बढ़ सकें। हम जल्द ही एक पीआईएल दायर करने वाले हैं।’

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- फैमिली को मालदीव में दिलाएं कॉन्सुलर एक्सेस जीशान आगे बताते हैं, ‘दिल्ली हाई कोर्ट ने 7 मार्च को हमारी याचिका की सुनवाई की। कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया है, जो इस केस को लेकर मालदीव सरकार के कॉन्टैक्ट में रहेगा।‘

‘कोर्ट ने आफताब के मोबाइल और सीसीटीवी फुटेज हासिल करने के भी निर्देश दिए हैं, ताकि किसी गड़बड़ी की आशंका न रहे। फैमिली को रेगुलर केस की रिपोर्ट देने और दो हफ्ते के अंदर स्टेटस रिपोर्ट दायर करने को कहा है। कोर्ट ने फैमिली को मालदीव में कॉन्सुलर एक्सेस दिलवाने की भी बात कही है।‘

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