नई दिल्ली16 मिनट पहले
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याचिकाकर्ता ने कहा है कि INDIA नाम बदलकर रिपब्लिक ऑफ इंडिया कर देना चाहिए।
दिल्ली हाईकोर्ट में 17 फरवरी को भारत का अंग्रेजी नाम इंडिया (INDIA) बदलकर भारत या हिंदुस्तान करने की याचिका पर सुनवाई हुई।
जस्टिस सचिन दत्ता ने केंद्र सरकार को याचिका पर जवाब दाखिल करने का समय बढ़ाया। 4 फरवरी को हुई सुनवाई में केंद्र ने जवाब दाखिल करने के लिए समय बढ़ाने की मांग की थी।
दरअसल, दिल्ली (गाजियाबाद) के रहने वाले नमह नाम के व्यक्ति ने संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन की मांग की है। उनका कहना है कि इंडिया (अंग्रेजी) जो भारत है, इसे बदलकर भारत या हिंदुस्तान राज्यों का संघ कर देना चाहिए।
नमह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सरकार से उसके प्रतिनिधित्व पर फैसला लेने का निर्देश देने की मांग भी की। 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि इस याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में माना जाए और इसे संबंधित मंत्रालय के पेश किया जाए।
याचिकाकर्ता ने कहा है…

इंडिया का नाम एक होना चाहिए। अभी इसके कई नाम हैं। जैसे- रिपब्लिक ऑफ इंडिया, भारत, इंडिया, भारत गणराज्य वगैरह। इतने नाम नहीं होने चाहिए। अलग कागज पर अलग नाम है। आधार कार्ड पर ‘भारत सरकार’ लिखा है। ड्राइविंग लाइसेंस पर ‘यूनियन ऑफ इंडिया’, पासपोर्ट पर ‘रिपब्लिक ऑफ इंडिया’ लिखा है। इससे कन्फ्यूजन होता है।
1948 में संविधान सभा में भी इंडिया नाम का विरोध हुआ था याचिकाकर्ता का कहना है कि अंग्रेज गुलामों को इंडियन कहते थे। उन्होंने ही देश को अंग्रेजी में इंडिया नाम दिया था। 15 नवंबर 1948 को संविधान के आर्टिकल-1 के मसौदे पर बहस करते हुए एम. अनंतशयनम अय्यंगर और सेठ गोविंद दास ने देश का नाम अंग्रेजी में इंडिया रखने का जोरदार विरोध किया था। उन्होंने इंडिया की जगह अंग्रेजी में भारत, भारतवर्ष और हिंदुस्तान नामों का सुझाव दिया था। लेकिन उस समय ध्यान नहीं दिया गया। अब इस गलती को सुधारने के लिए कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश दे।
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