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भारत ने UK के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट साइन किया: डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन पर भी सहमति, PM मोदी बोले- ये एक ऐतिहासिक उपलब्धि


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नई दिल्ली17 मिनट पहले

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भारत और UK के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर 13 जनवरी 2022 से बातचीत चल रही थी।

भारत ने बाइलैटरल रिलेशन्स को बढ़ावा देने के लिए यूनाइटेड किंगडम (UK) के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) साइन किया है। इसके साथ ही दोनों देशों ने डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन पर भी सहमति जताई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस बात की जानकारी दी।

PM मोदी ने पोस्ट शेयर कर लिखा, ‘अपने दोस्त प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से बात करके बहुत खुशी हुई। एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में भारत और ब्रिटेन ने फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के साथ-साथ डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन को भी सक्सेसफुली पूरा किया है।

ये ऐतिहासिक एग्रीमेंट हमारी स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप को और गहरा करेंगे। इसके अलावा ये दोनों इकोनॉमीज में ट्रेड, इन्वेस्टमेंट, ग्रोथ, जॉब क्रिएशन और इनोवेशन को बढ़ावा देंगे। मैं जल्द ही प्रधानमंत्री स्टार्मर का भारत में स्वागत करने के लिए उत्सुक हूं।’

भारत-UK के बीच एग्रीमेंट को लेकर बातचीत 2022 में शुरू हुई थी

भारत और UK के बीच एग्रीमेंट को लेकर बातचीत 13 जनवरी 2022 को शुरू हुई थी, जो अब करीब 3.5 साल बाद पूरी हुई है। 24 फरवरी को कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्टर पीयूष गोयल और UK के बिजनेस एंड ट्रेड सेक्रेटरी जोनाथन रेनॉल्ड्स ने दोनों देशों के बीच प्रस्तावित FTA के लिए बातचीत फिर से शुरू करने का ऐलान किया था।

इससे पहले भारत ने गुड्स और सर्विसेज के एक्सपोर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए अपने ट्रेडिंग पार्टनर्स के साथ 13 फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स (FTAs) और छह प्रेफरेंशियल यानी तरजीही समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। इन समझौतों से भारत अपनी डोमेस्टिक इंडस्ट्री की पहुंच ग्लोबल मार्केट्स में बढ़ाना चाहता है।

2014 से भारत ने मॉरीशस, UAE, ऑस्ट्रेलिया और EFTA (यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन) के साथ 3 ऐसे फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत EU के साथ इसी तरह के समझौतों पर एक्टिवली बातचीत कर रहा है।

डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन क्या होता है ?

जब कोई व्यक्ति या कर्मचारी एक देश से दूसरे देश में काम करने जाता है, तो आमतौर पर उसे दोनों देशों में सोशल सिक्योरिटी (जैसे पेंशन, पीएफ, आदि) के लिए योगदान देना पड़ सकता है। इससे उसकी सैलरी पर दो बार कटौती होती है – एक अपने देश में और एक उस देश में जहां वह काम कर रहा है।

डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन एक ऐसा समझौता है जो दो देशों के बीच होता है। इससे विदेश में काम करने वाले लोगों और कंपनियों को एक ही समय में दो देशों में सोशल सिक्योरिटी (जैसे पेंशन, पीएफ, आदि) के लिए पैसा नहीं देना पड़ता। इससे कर्मचारियों और कंपनियों दोनों को फायदा होता है और उनकी सैलरी से डबल कटौती नहीं होती।

दो तरह से काम करता है डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन

  • आमतौर पर, कर्मचारी को यह चुनने की सुविधा मिलती है कि वह किस देश में सोशल सिक्योरिटी (जैसे पेंशन, पीएफ, आदि) के लिए पैसा देगा।
  • या जिस देश में वह काम कर रहा है, वहां उसे सोशल सिक्योरिटी योगदान से छूट मिल जाती है।

कितने टाइप के होते हैं ट्रेड एग्रीमेंट्स?

फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स को उसके नेचर के हिसाब से अलग-अलग नाम दिए जाते हैं। इनमें PTA (प्रेफरेंशियल), RTA (रीजनल) और BTA (बाइलेटरल) शामिल हैं। WTO इस तरह के सभी इकोनॉमिक इंगेजमेंट्स को RTA नाम देता है। PTA में कुछ वस्तुओं को ड्यूटी फ्री (भारत-थाईलैंड) कर दिया जाता है।

वहीं CECA (कंप्रिहेंसिव इकोनॉमिक कॉर्पोरेशन एग्रीमेंट) या CEPA (कंप्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट- भारत-कोरिया, जापान) या TEPA (ट्रेड एंड इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट)-इनका दायरा ज्यादा होता है।

भारत ने किन देशों के साथ इन समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं?

भारत ने श्रीलंका, भूटान, थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, कोरिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, यूएई, मॉरीशस, ASEAN और EFTA ब्लॉक्स के साथ ट्रेड एग्रीमेंट्स किए हैं।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, एशिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ डील हासिल करने के बाद भारत ने अपना FTA फोकस ईस्ट (ASEAN, जापान, कोरिया) से वेस्टर्न पार्टनर्स की ओर शिफ्ट कर दिया है।

भारत अब एक्सपोर्ट्स का विस्तार करने और वेस्ट की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से व्यापार संबंधों को मजबूत करने के लिए EU और US के साथ FTA को प्राथमिकता दे रहा है।

FTA से भारत को मर्चेंडाइज ट्रेड में क्या फायदा होगा?

  • वित्त वर्ष 2024 में भारत से UK को 12.9 बिलियन डॉलर यानी 1.12 लाख करोड़ रुपए की वैल्यू का मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट किया गया। GTRI के फाउंडर अजय श्रीवास्तव का कहना है कि इस समझौते से इन एक्सपोर्ट्स को और बढ़ावा मिलेगा। क्योंकि, आधे से ज्यादा भारतीय प्रोडक्ट्स पहले से ही कम या बिना किसी टैरिफ के UK को एक्सपोर्ट किए जाते हैं।
  • भारत से UK में इंपोर्टेड गुड्स पर एवरेज टैरिफ 4.2% है। UK में 6.8 बिलियन डॉलर यानी 59,241 करोड़ रुपए की वैल्यू के भारतीय प्रोडक्ट्स पर शुल्क कम करने से कोई लाभ नहीं होगा, क्योंकि FTA के बिना भी उन पर पहले से ही UK में कोई टैरिफ नहीं है। उन्होंने कहा कि इन प्रोडक्ट्स में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स, मेडिसिन्स, डायमंड्स, मशीन पार्ट्स, एयरप्लेन्स और वुडन फर्नीचर शामिल हैं।
  • वहीं 6.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी 53,139 करोड़ रुपए की वैल्यू के भारतीय एक्सपोर्ट्स पर ड्यूटी कम करने से लाभ होगा। जैसे कि टेक्सटाइल अपैरल्स (शर्ट, ट्राउजर्स, विमन ट्रेसेज, बेड लिनन), फुटवियर, कार्पेट्स, कार, मरीन प्रोडक्ट्स, ग्रेप्स और मैंगो, इन प्रोडक्ट्स पर ब्रिटेन में कम टैरिफ लगता है।
  • GTRI ने कहा कि वित्त वर्ष 2024 में भारत का UK से मर्चेंडाइज इंपोर्ट 8.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी 73,175 करोड़ रुपए था। UK से होने वाले टोटल मर्चेंडाइज इंपोर्ट का 91% हिस्सा यानी 7.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी 66,211 करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट भारत में एवरेज से लेकर हाई टैरिफ ड्यूटीज के भुगतान के बाद आता है।
  • उदाहरण के लिए, कारों पर टैरिफ 100% है और स्कॉच व्हिस्की और वाइन पर यह 150% है। UK से इंपोर्ट किए जाने वाले गुड्स पर भारत में सिंपल एवरेज टैरिफ 14.6% है। इस FTA से जिन UK प्रोडक्ट्स को फायदा मिलने की उम्मीद है, उनमें प्रेशियस मेटल्स, कारें, मेकअप आइटम्स, मेटल स्क्रैप, पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स, स्कॉच एंड अदर अल्कोहल, मशीनरी और इंटिग्रेटेड सर्किट्स शामिल हैं।

भारत और UK के बीच प्रस्तावित बाइलेटरल इन्वेस्टमेंट ट्रीटी (BIT) क्या है?

बाइलेटरल इन्वेस्टमेंट ट्रीटी एक-दूसरे के देशों में निवेश को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने में मदद करती है। इस तरह की बातचीत में विवादों को भी निपटाया जाता है। भारत चाहता है कि फॉरेन फर्म्स इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन यानी अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का सहारा लेने से पहले लोकल ज्यूडिशियल उपायों का उपयोग करें, लेकिन इसके पार्टनर्स इंडियन ज्यूडिशियल प्रोसीडिंग्स के डिले नेचर के कारण विरोध करते हैं।

GTRI का कहना है कि बाइलेटरल इन्वेस्टमेंट ट्रीटी पर हस्ताक्षर और निवेश में ग्रोथ के बीच लिंक दिखाने के लिए कोई निर्णायक रिसर्च अवेलेबल नहीं है। हालांकि, यह निवेशकों को नियमों में मनमाने बदलावों के खिलाफ आश्वासन प्रदान करती है और इस प्रकार निवेश को बढ़ावा देती है।

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