नई दिल्ली5 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
PM मोदी सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में डाक टिकट और सिक्का भी जारी करेंगे। (फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 31 अगस्त को सुबह 10 बजे दिल्ली के भारत मंडपम में जिला अदालतों की नेशनल कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन करेंगे। सुप्रीम कोर्ट दो दिनों तक चलने वाले इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर रहा है। PM सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में डाक टिकट और सिक्का जारी करेंगे।
उद्घाटन कार्यक्रम में केंद्रीय कानून मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल होंगे। इनके अलावा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, सुप्रीम कोर्ट के अन्य जस्टिस, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चीफ भी कार्यक्रम में भाग लेंगे।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता करेंगे। सम्मेलन में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की जिला अदालतों से 800 से ज्यादा प्रतिभागी भाग लेंगे। 1 अगस्त को कार्यक्रम के समापन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का भाषण होगा। वह सुप्रीम कोर्ट के ध्वज और प्रतीक चिह्न का भी अनावरण करेंगी।
PM ने शुक्रवार (30 अगस्त) को जिला अदालतों की नेशनल कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन की जानकारी दी।
अदालतों के इन्फ्रास्ट्रक्चर सहित कई विषयों पर होगी चर्चा
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, दो दिनों तक चलने वाले कॉन्फ्रेंस में 5 सत्र आयोजित किए जाएंगे। सम्मेलन के पहले दिन अदालतों के इंफ्रास्ट्रक्चर और मानव संसाधन को बढ़ाने के तरीकों की खोज पर चर्चा होगी। जजों की सुरक्षा और कल्याणकारी पहलुओं पर भी विचार-विमर्श होगा।
कार्यक्रम के दूसरे दिन केस हैंडलिंग और लंबित मामलों में कमी के लिए रणनीतियों पर चर्चा होगी। इसके लिए केस मैनेजमेंट पर एक सत्र आयोजित किया जाएगा। साथ ही जजों के लिए न्यायिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।
CJI बोले- रिटायर होते ही पॉलिटिक्स जॉइन न करें जज
देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ से 7 अगस्त को दैनिक भास्कर से खास बातचीत की थी। इसमें उन्होंने कहा, ‘किसी जज को राजनीति में जाने से पहले पर्याप्त समय (गैप) देना चाहिए। पॉलिटिक्स जॉइन करनी चाहिए या नहीं, यह अलग मामला है।
यह बहस का मुद्दा है, लेकिन अगर राजनीति में जाना चाहें तो कूलिंग ऑफ पीरियड जरूरी है। मैं समझता हूं कि एक बार आप जज नियुक्त हो जाते हैं, तो उम्रभर जज रहते हैं। चाहे आप कोर्ट में काम कर रहे हों, चाहे आप रिटायर हों। सामान्य नागरिक आपको देखता है, तो ये सोचता है कि आप जज ही तो हैं।’ पूरी खबर पढ़ें…