आज डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती है। उन्होंने सन् 1935 यानी 44 साल की उम्र में कहा था- मैं हिंदू धर्म में पैदा हुआ, लेकिन मैं हिंदू के रूप में नहीं मरूंगा। शुरुआत में वो इस्लाम धर्म अपनाना चाहते थे, लेकिन 20 साल तक अध्ययन करने के बाद मन बदला और
.
हाल ही में संसद में वक्फ संशोधन बिल पर बहस के दौरान कई सांसदों ने मुस्लिमों के हक की बात करते हुए अंबेडकर का जिक्र किया। मंडे मेगा स्टोरी में जानेंगे कि आखिर बाबा साहेब इस्लाम के बारे में क्या मानते थे और उन्होंने बौद्ध धर्म ही क्यों अपनाया…








****
ग्राफिक्स- अंकुर बंसल और अजीत सिंह
——–
बुक्स एंड रेफरेंसेस:
- वेटिंग फॉर ए वीजा – डॉ. बीआर अंबेडकर
- पाकिस्तान ऑर पार्टिशन ऑफ इंडिया – डॉ. बीआर अंबेडकर
- थॉट्स ऑन पाकिस्तान – डॉ. बीआर अंबेडकर
- द बुद्ध एंड हिज धम्म – डॉ. बीआर अंबेडकर
- द एनिहिलेशन ऑफ कास्ट – डॉ. बीआर अंबेडकर
- द अनटचेबल्स – डॉ. बीआर अंबेडकर
- डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर राइटिंग्स एंड स्पीचेस – वसंत मून
- धम्मचक्र प्रवर्तन के बाद परिवर्तन – डॉ. प्रदीप आगलावे
——
मुस्लिमों से जुड़ी ये भी खबर पढ़ें…
1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान क्यों नहीं गए सारे मुसलमान, वक्फ बिल से कैसे छिड़ी बहस

1947 में जब मुल्क बंटा, खून बहा, लोग उजड़े… तब सवाल उठा कि क्या अब सारे मुसलमान पाकिस्तान जाएंगे? लेकिन ऐसा नहीं हुआ। करीब एक-तिहाई मुस्लिम भारत में ही रुके। क्यों? ये सवाल आज भी उठता रहता है। पूरी खबर पढ़िए…