Temple Colour: हर घर में पूजा का स्थान एक पवित्र कोना होता है. लोग वहां बैठकर ध्यान लगाते हैं, ईश्वर से जुड़ते हैं और शांति महसूस करते हैं. लेकिन बहुत बार कुछ ऐसी चीजें हम अपने मंदिर में रख देते हैं जो नकारात्मक असर डालती हैं. उनमें सबसे आम गलती है लाल रंग का इस्तेमाल. शांति चाहिए तो हल्के और सौम्य रंग अपनाइए. तभी आपका ध्यान लगेगा और पूजा का सही फल मिलेगा. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.
लाल रंग नहीं होना चाहिए मंदिर में?
लाल रंग ऊर्जा और जोश का प्रतीक माना जाता है यह गुस्सा, बेचैनी और गर्मी को बढ़ाता है. जब आप पूजा करते हैं, तो मन को शांत और स्थिर रखना जरूरी होता है. ऐसे में अगर मंदिर में लाल रंग होगा जैसे लाल कपड़ा, लाल बल्ब, या लाल धागा तो वहां बैठते ही मन में बेचैनी बढ़ सकती है.
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पूजा का असली मकसद है आत्मा की शांति और ईश्वर से जुड़ाव. लेकिन अगर आपके पूजा स्थान पर लाल रंग हावी है, तो यह शांति में बाधा बन सकता है.
क्यों माना जाता है लाल रंग को गलत ?
मूर्ति या गीता पर लाल कपड़ा बांधना
लाल बल्ब लगाना, लाल आसन या गद्दा बिछाना, नारियल पर लाल धागा लपेट कर मंदिर में रखना, यह सब बातें आम लग सकती हैं, लेकिन इनका असर बहुत गहरा होता है. लाल रंग आग का प्रतीक है, और आग से शांति नहीं, बल्कि बेचैनी मिलती है.
मंदिर के लिए ये रंग सही है.
पूजा स्थान में ऐसे रंग होने चाहिए जो मन को ठंडक दें, जैसे
सफेद – शुद्धता और शांति का प्रतीक
हल्का नीला – मन को शांत करता है
पीला – सकारात्मकता और ऊर्जा बढ़ाता है, पर तीखा नहीं होना चाहिए
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इन रंगों से आपके मंदिर का माहौल भी सकारात्मक बनेगा और जब आप वहां बैठेंगे, तो मन खुद-ब-खुद शांत हो जाएगा.
इन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
मंदिर साफ-सुथरा हो.
वहां बहुत ज्यादा सजावट न हो.
हल्की रौशनी हो.
अगरबत्ती या दीया की खुशबू हल्की और सौम्य हो.
मंदिर का स्थान घर के उत्तर-पूर्व कोने में हो तो बेहतर है.