मकर संक्रांति पर बाबा बैद्यनाथ में विशेष पूजा
देवघर के प्रसिद्ध द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ मंदिर में मकर संक्रांति का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया। मंगलवार को अहले सुबह पुरोहितों द्वारा कांचा जल पूजा किया गया। इसके बाद, सरदार पंडा गुलाब नंद ओझा ने विधिवत सरकारी पूजा संपन्न की। परंपरा के
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प्राचीन मान्यता है कि मकर संक्रांति पर बाबा को तिल अर्पण करने के बाद ही आम लोगों को तिल या तिल से बनी वस्तुओं का सेवन करना चाहिए। हालांकि, वर्तमान समय में कुछ लोग ही इस परंपरा का पालन करते हैं, क्योंकि बाजारों में त्योहार से पहले ही तिलकूट की बिक्री शुरू हो जाती है।
ठंड में भी उमड़े श्रद्धालु
भीषण ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं का मंदिर में तांता लगा रहा। भक्तगण बाबा को जलार्पण करने के लिए गर्भगृह तक पहुंच रहे थे। यह क्रम मंदिर के पट बंद होने तक निरंतर चलता रहा। मंदिर प्रांगण में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान भी आयोजित किए गए। प्रशासन ने भीड़ के मद्देनजर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की थी। बड़ी संख्या में दंडाधिकारी और पुलिस बल तैनात किए गए थे। व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए उपायुक्त विशाल सागर भी मौके पर पहुंचे।
आज से एक माह तक चढ़ेगा भोग
आज से बाबा को एक माह तक तिल के लड्डू और खिचड़ी का विशेष भोग चढ़ाया जाएगा। यह पौष मास शुक्ल पक्ष द्वादशी से माघ मास शुक्ल पक्ष द्वादशी तक चलेगा। यानी 14 जनवरी से 14 फरवरी तक बाबा पर विशेष भोग चढ़ाया जाएगा। इसके बाद दिन भर भक्तों में महाप्रसाद दिया जाएगा।
पुण्य स्नान करने कई राज्यों से श्रद्धालु यहां आते हैं। मकर संक्रांति के अगले दिन से खरमास खत्म होगा और शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे।
कई सालों से शृंगारी परिवार चढ़ाते हैं खिचड़ी भोग
परंपरा के मुताबिक प्राचीन काल से ही मंदिर के कार्य अलग-अलग परिवारों के बीच बांटे गए थे। बाबा के शृंगार व भोग की जिम्मेदारी शृंगारी परिवार पर है। भोग शृंगारी परिवार के सदस्य ही चढ़ाते हैं। भोग मंदिर परिसर स्थित श्रीयंत्र मंदिर में चढ़ाया गया। बाबा पर चढ़ने वाली खिचड़ी खास तरह से बनती है। इसमें अरवा चावल, उरद दाल और शुद्ध मसाला के अलावा गंगाजल का उपयोग किया जाता है। भोग लगने के बाद खिचड़ी भक्तों में बंटती है। खिचड़ी प्रसाद लेने के लिए भक्त घंटों इंतजार करते हैं।