मगध सम्राट जरासंध स्मारक का आज होगा अनावरण।
महाभारत काल के महान योद्धा और मगध के चक्रवर्ती सम्राट जरासंध के स्मारक एवं उनकी प्रतिमा का अनावरण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज करेंगे। इसके साथ ही नवनिर्मित पक्षीशाला का भी उद्घाटन किया जाएगा।जरासंध स्मारक स्थल को रंग-बिरंगे फूलों और विविध प्रकार के पौ
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यह स्मारक जे.पी. उद्यान के समीप स्थित है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 27 नवंबर, 2022 को गंगा जल आपूर्ति योजना के शुभारंभ के अवसर पर “जरासंध स्मारक” के निर्माण की घोषणा की थी, जिसे अब पूरा किया जा रहा है। यह बिहार सरकार द्वारा राज्य की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण एवं संवर्धन के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
महाभारत काल के शक्तिशाली योद्धा का इतिहास
मगध सम्राट जरासंध महाभारत काल के अत्यंत शक्तिशाली योद्धा थे, जिनका मुकाबला करना मौत को आमंत्रित देने के समान माना जाता था। उनकी जन्म कथा भी अत्यंत रोचक है। कहा जाता है कि राजा बृहद्रथ को कोई संतान नहीं थी और संतान प्राप्ति की कामना से वे ऋषि चंडकौशिक के पास गए। ऋषि की सेवा से प्रसन्न होकर ऋषि ने उन्हें एक फल दिया और कहा कि इसे अपनी पत्नी को खिला देने से शीघ्र ही संतान प्राप्ति होगी।
राजा बृहद्रथ की दो पत्नियां थीं, इसलिए उन्होंने फल को आधा-आधा करके दोनों पत्नियों को खिला दिया। समय आने पर दोनों पत्नियों ने आधे-आधे शरीर वाले बालक को जन्म दिया, जिसे देखकर सभी भयभीत हो गए। राजा ने इसे व्यर्थ मानकर जंगल में फिंकवा दिया।
माना जाता है कि उसी समय जंगल में जरा नामक एक राक्षसी वहां से गुजरी। उसने बालक के दोनों हिस्सों को एक साथ रखा, जिससे वे जुड़ गए और बालक रोने लगा। जब राजा को इसकी सूचना मिली, तो वे अपनी दोनों रानियों के साथ राक्षसी के पास पहुंचे और उसे धन्यवाद दिया। जरा नामक राक्षसी की इस माया से प्रभावित होकर राजा ने अपने पुत्र का नाम जरासंध (जरा द्वारा संधित) रखा।
चक्रवर्ती सम्राट की महत्वाकांक्षा
जरासंध बचपन से ही अत्यंत शक्तिशाली थे और मल्ल युद्ध में निपुण थे। उन्होंने शीघ्र ही स्वयं को एक कुशल राजकुमार के रूप में स्थापित कर लिया, जिससे प्रसन्न होकर राजा बृहद्रथ ने अपनी सारी जिम्मेदारियां जरासंध को सौंप दीं और स्वयं रानियों के साथ वनवास के लिए प्रस्थान कर गए। चक्रवर्ती सम्राट बनने की महत्वाकांक्षा में जरासंध ने अनेक राजाओं को युद्ध में पराजित किया। परंतु उन्होंने पराजित राजाओं को मारा नहीं, बल्कि बंदी बनाकर रखा, ताकि जब 101 राजा एकत्र हो जाएं, तो वे महादेव को प्रसन्न करने के लिए उनकी बलि दे सकें। जरासंध महादेव के महान भक्त थे, ब्राह्मणों का आदर करते थे, दान-पुण्य में विश्वास रखते थे और अपने वचन के पक्के थे।
27 नवम्बर 2022 को की गई थी घोषणा।
स्मारक का महत्व
नवनिर्मित जरासंध स्मारक राजगीर में भ्रमण करने वाले देश-विदेश के पर्यटकों को राजगीर के गौरवशाली इतिहास एवं सांस्कृतिक धरोहरों से परिचित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस स्मारक के माध्यम से नई पीढ़ी को प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा आज किए जाने वाले इस उद्घाटन समारोह में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा, जल संसाधन सह प्रभारी मंत्री नालंदा विजय कुमार चौधरी, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग मंत्री डॉक्टर सुनील कुमार, नालन्दा सांसद कौशलेंद्र कुमार, राजगीर विधायक कौशल किशोर मौजूद रहेंगे।