इम्फाल3 मिनट पहले
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मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में 18 मार्च को जोमी और हमार जनजाति के बीच झंडा हटाने को लेकर हिंसा हुई थी।
मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में दो जनजातियों के बीच हुए विवाद की वजह से बुधवार को प्रशासन ने कर्फ्यू लगाया गया। जोमी और हमार जनजाति के बीच मंगलवार को विवादित जगह पर अपने-अपने समुदाय के झंडे फहराने को लेकर तनाव पैदा हो गया था। यह विवादित जगह वी मुनहोइह और रेंगकाई गांवों के बीच है।
दोनों गांवों के साथ ही कांगवाई, समुलामलान और संगाइकोट उप-मंडलों में 17 अप्रैल तक कर्फ्यू लगाया गया है। हालांकि, वी मुनहोइह और रेंगकाई के अलावा बाकी इलाकों में 6 बजे सुबह से 5 बजे शाम तक कर्फ्यू में छूट दी गई है।
बुधवार को कलेक्टर मे दोनों गांवों के लोगो की बैठक ली। जिसमें दोनों समुदायों ने कहा कि यह विवाद जातीय नहीं जमीन का है। बैठक में लोगों से शांति बनाए रखने और अफवाहें न फैलाने की अपील की गई।
इससे पहले 18 मार्च को झंडा हटाने को लेकर हिंसा हुई थी। इस हिंसा में हमार जनजाति के रोपुई पाकुमटे नामक व्यक्ति की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।

17 मार्च को जोमी और हमार जनजाति के बीच हुई हिंसा में हमार जनजाति के रोपुई पाकुमटे की मौत हो गई थी।
दो जनजातियों के बीच कैसे शुरू हुआ था विवाद…
16 मार्च: रविवार देर शाम हमार जनजाति के नेता रिचर्ड हमार पर अज्ञात लोगों ने हमला कर दिया था। रिचर्ड अपनी गाड़ी चला रहे थे, जो एक दोपहिया सवार से टकराने से बची। इससे रिचर्ड की दोपहिया वाहन सवार युवकों से कहासुनी हो गई। जो बाद में इतनी आगे बढ़ गई कि दूसरे पक्ष ने रिचर्ड पर हमला कर दिया।
17 मार्च: इलाके में तनाव बढ़ने के बाद हमार जनजाति के लोगो ने सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी करना शुरू कर दिया। स्थिति को संभालने के लिए सुरक्षाबलों ने उपद्रवियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े और हवाई फायरिंग की। इसके बाद इलाके में कर्फ्यू लगा दिया।
शाह ने कहा था- बीते चार महीनों से मणिपुर में कोई हिंसा नहीं हुई
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 3-4 मार्च को लोकसभा में कहा था कि दिसंबर से मार्च तक बीते चार महीनों से मणिपुर में कोई हिंसा नहीं हुई है। राहत कैंपों में खाने-पीने, दवाइयों और मेडिकल सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं।
अमित शाह ने कहा- हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद मणिपुर में दो समुदायों के बीच आरक्षण संबंधी विवाद के कारण जातीय हिंसा शुरू हुई। ये न तो दंगे हैं और न ही आतंकवाद। उन्होंने बताया था कि इस हिंसा में 260 लोगों की मौत हुई। इनमें से 80% मौतें पहले महीने में, जबकि बाकी मौतें बाद के महीनों में हुईं। पूरी खबर पढ़ें…
हिंसा से जुड़े अन्य फुटेज देखें…

17 मार्च को रात करीब 10 बजे दोनों जनजातियों के बीच झड़प हुई।


18 मार्च को शांति बनाए रखने के लिए तैनात सुरक्षा बल।

18 मार्च को दोनों समुदायों के बीच पत्थरबाजी हुई।
हमार संगठन बोला- सदस्यों को बार-बार निशाना बनाया जा रहा हमले की आलोचना करते हुए हमार इनपुई ने कहा था कि अपराधियों को तुरंत पकड़ा जाए। साथ ही चेतावनी दी कि ऐसा न करने पर वे अपनी खुद की कार्रवाई करेंगे। संगठन ने कहा, “यह घटना कोई अकेली घटना नहीं है।
ITLF के सदस्यों को बार-बार निशाना बनाया जा रहा है, जिससे उत्पीड़न और हिंसा का एक परेशान करने वाला पैटर्न उजागर होता है। हम इन कायरतापूर्ण कृत्यों की निंदा करते हैं, जो हमारे नेतृत्व और सदस्यों को चुप कराने और डराने की कोशिश करते हैं।”
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