Monday, December 23, 2024
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मणिपुर हिंसा- 6 दिन से बंधक 2 मैतेई युवक: 5 जिले बंद; थौबल में महिलाएं सड़कों पर, सरकार को चेतावनी


17 मिनट पहले

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उखरुल में हिंसा के बाद असम राइफल्स को तैनात किया गया है।

मणिपुर में हालात बहुत ही तनावपूर्ण हो गए हैं। यहां 6 दिन पहले किडनैप किए गए दो मैतेई युवकों को कुकी उग्रवादियों ने अब तक नहीं लौटाया है। मैतेई लोगों का कहना है कि शायद दोनों की हत्या कर दी गई है।

2 अक्टूबर को इसे लेकर मैतेई बहुल 5 जिले इंफाल ईस्ट, वेस्ट, विष्णुपुर, काकचिंग और थौबल पूरी तरह बंद रहे। यहां मैतेई संगठनों ने 48 घंटे का बंद बुलाया है। भारी तनाव के बीच इंफाल से लेकर थौबल के मेला ग्राउंड तक नेशनल हाईवे नं. 102 पर मैतेई महिलाओं ने बांस बल्लियों से सड़कें रोक रखी हैं। यहां तक न पुलिस जा पा रही है और न ही राज्य सरकार।

मैतेई संगठनों ने सरकार को चेतावनी दी दरअसल, सोशल मीडिया पर दोनों अपहृत युवकों ओइनम थोईथोई और थोकचोम थोइथोइबा का एक वीडियो वायरल हो गया है, जिसमें दोनों को परेशान करते दिखाया गया है। मैतेई संगठनों ने सरकार को चेतावनी दे दी है कि यदि एक-दो दिन में युवकों को नहीं लौटाया तो हालात बिगड़ने के लिए सरकार जिम्मेदार होगी। उधर, युवकों को कुकी उग्रवादियों से छुड़ाने के लिए मणिपुर के डीजीपी राजीव सिंह कुकी बहुल कांग्पोक्पी पहुंचे। सीएम बीरेन सिंह ने कहा कि युवकों को बचा लाएंगे।

सेना भर्ती के लिए इंफाल वेस्ट गए थे, गूगल मैप से रास्ता भटके अपहरण को लेकर थौबल में गठित जॉइंट एक्शन कमेटी की संयोजक केइशम याइफाबी ने बताया कि मणिपुर यूनिवर्सिटी से एमए कर चुका 22 साल का थोईथोई दो दोस्तों निंगोमबाम जॉनसन और थोइथोइबा के साथ सेना में भर्ती के लिए इंफाल वेस्ट जिले के न्यू कीथेलमैनबी गया था। यहां कुकी उग्रवादियों ने तीनों को किडनैप कर लिया।

चूंकि जॉनसन के पास एडमिट कार्ड था तो उग्रवादियों ने उसे असम राइफल्स को सौंप दिया, लेकिन बाकी को पकड़ लिया। जॉनसन ने बताया कि वे तीनों बाइक से गूगल मैप को फॉलो कर रहे थे। गलती से कुकी इलाके में घुस गए।

मणिपुर के उखरुल में हिंसा, 3 की मौत, 10 घायल मणिपुर के उखरुल जिले में बुधवार को नगा समुदाय के दो पक्षों के बीच गोलीबारी हुई। इसमें 3 लोगों की मौत हो गई। 10 से ज्यादा घायल हैं। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 163, 2023 की उप-धारा 1 के तहत इलाके में निषेधाज्ञा लागू कर दी है। अगले आदेश तक लोगों के घरों से निकलने पर रोक है।

पुलिस ने बताया कि दोनों पक्ष नगा समुदाय के हैं, लेकिन हुनफुन और हंगपुंग नाम के दो अलग-अलग गांव हैं। दोनों पक्ष एक जमीन पर अपना दावा करते हैं। स्वच्छता अभियान के तहत विवादित जमीन की सफाई को लेकर दोनों पक्षों के बीच हिंसा हुई। इलाके में असम राइफल्स को तैनात किया गया है।

बंदूकधारियों ने छतों से फायरिंग की। इस दौरान सड़क पर लोग भागते नजर आए।

बंदूकधारियों ने छतों से फायरिंग की। इस दौरान सड़क पर लोग भागते नजर आए।

दोनों पक्षों की फायरिंग में तीन लोगों की मौत हो गई।

दोनों पक्षों की फायरिंग में तीन लोगों की मौत हो गई।

चुराचांदपुर में उग्रवादी की गोली मारकर हत्या दूसरी तरफ, चुराचांदपुर जिले के लीशांग गांव के पास मंगलवार को अज्ञात लोगों ने एक प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन के टाउन कमांडर की गोली मारकर हत्या कर दी। मृतक की पहचान जिले के कपरंग गांव के निवासी सेखोहाओ हाओकिप के रूप में की गई।

पुलिस ने बताया कि मृतक यूनाइटेड कुकी नेशनल आर्मी (UKNA) का सदस्य था। घटना कल सुबह 12:15 बजे चुराचांदपुर में टोरबुंग बंगले से करीब 1.5 किमी दूर हुई। पुलिस ने हाओकिप के शव को चुराचांदपुर मेडिकल कॉलेज के मॉर्चुरी में रखवा दिया है।

थौबल में 48 घंटे का बंद, जनजीवन प्रभावित इधर, मणिपुर के थौबल जिले में उग्रवादियों द्वारा दो युवकों की किडनैपिंग के विरोध में जॉइंट एक्शन कमेटी (JAC) ने 48 घंटे का बंद बुलाया था। इससे मंगलवार, 1 अक्टूबर को सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ।

पुलिस ने बताया कि उग्रवादियों ने ​​​​​​ 27 सितंबर को दो स्थानीय युवकों का अपहरण कर लिया था। इसे लेकर JAC ने 1 अक्टूबर को सुबह 3 बजे से बंद का आह्वान किया है। JAC ने 30 अक्टूबर की रात तक युवाओं को रिहा नहीं किए जाने पर विरोध-प्रदर्शन और जिले में पूर्ण बंद की धमकी दी थी। सोमवार को थौबल मेला ग्राउंड में विरोध-प्रदर्शन भी हुआ। प्रदर्शनकारियों ने नेशनल हाईवे (NH) भी जाम कर दिया।

दरअसल, कुकी मिलिटेंट्स ने तीन युवकों को बंदी बनाया था, उनमें से एक को छोड़ दिया है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि बाकी दोनों को भी छोड़ा जाए। प्रदर्शन में पीड़ितों के परिवार भी शामिल हुए। प्रदर्शन के दौरान पीड़ित थोकचोम थोइथोइबा की मां बेहोश हो गईं।

जॉइंट एक्शन कमेटी के रिप्रेजेंटेटिव ने CM एन बीरेन सिंह से मुलाकात की। उनका कहना है कि राज्य सरकार को दी गई समय सीमा सोमवार दोपहर 1:30 बजे ही खत्म हो चुकी है। इसलिए वे विरोध-प्रदर्शन के लिए बाहर जा रहे हैं।

मणिपुर में हिंसा को लगभग 500 दिन हुए कुकी-मैतेई के बीच चल रही हिंसा को लगभग 500 दिन हो गए। इस दौरान 237 मौतें हुईं, 1500 से ज्यादा लोग जख्मी हुए, 60 हजार लोग घर छोड़कर रिलीफ कैंप में रह रहे हैं। करीब 11 हजार FIR दर्ज की गईं और 500 लोगों को अरेस्ट किया गया। इस दौरान महिलाओं की न्यूड परेड, गैंगरेप, जिंदा जलाने और गला काटने जैसी घटनाएं हुईं। अब भी मणिपुर दो हिस्सों में बंटा हैं। पहाड़ी जिलों में कुकी हैं और मैदानी जिलों में मैतेई। दोनों के बीच सरहदें खिचीं हैं, जिन्हें पार करने का मतलब है मौत।

स्कूल- मोबाइल इंटरनेट बंद किए गए। मणिपुर में अचानक बढ़ी हिंसक घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने 10 सितंबर को 5 दिन के लिए इंटरनेट पर बैन लगाया था। हालांकि 12 सितंबर को ब्रॉडबेन्ड इंटरनेट से बैन हटा लिया गया था।

4 पॉइंट्स में समझिए मणिपुर हिंसा की वजह…

मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

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