सीएम योगी ने कहा- दुनिया मेरे बारे में कुछ भी सोचे, मैंने भगवा पहना है। मुझे इस पर गर्व है। एक दिन पूरी दुनिया भगवा पहनेगी। राम मंदिर, काशी और कुंभ के बाद आगे क्या? इस सवाल पर उन्होंने कहा- बजट में मथुरा-वृंदावन को फंड आवंटित किया गया है। वहां के भी
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सीएम योगी ने बुधवार को RSS के मुखपत्र पाञ्चजन्य के एक कार्यक्रम में ये बातें कही। संभल से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा- संभल एक सच्चाई है। जबरन किसी पर कब्जा कर उसकी आस्था को चोट पहुंचाना बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
इस्लाम को उदय हुए सिर्फ 1400 साल हुए हैं, लेकिन मैं 3500 साल पुरानी बात कर रहा हूं, जब कहा गया था- संभल में कल्कि अवतार होगा। वहां 56 साल बाद शिव मंदिर में जलाभिषेक किया गया।
उन्होंने कहा- बहता पानी और रमता जोगी, कभी अशुद्ध नहीं होता, वह तो चलायमान है। जिसने भारत की आस्था के साथ खिलवाड़ किया है, उसे डूबना ही पड़ा है। योगी ने और क्या कुछ कहा, चलिए पढ़ते हैं…
सीएम योगी ने कहा- विपक्ष ने हर अच्छे कार्य का विरोध किया।
नकारात्मकता के कारण ये लोग जनता की नजर में गिरे जैसी दृष्टि..वैसी श्रृष्टि। जिन लोगों की दृष्टि ही नकारात्मक है, उनको मैं सकारात्मक दृष्टि से देखने आशा ही क्यों रखूं। इसी नकारात्मकता के कारण ये लोग जनता की नजर में गिरे हैं। जब हमने महाकुंभ की पहली बैठक आयोजित की थी, तो उस दौरान भी बहुत से लोगों ने ट्वीट किए थे। मेरे सहयोगियों ने भी उस दौरान इस मामले में मुझसे बात की थी, तो मैंने उनसे कहा था कि ये सभी लोग भी आवश्यक हैं।
किसी भी आयोजन में ये लोग नहीं होंगे तो कैसे होगा। सभी प्रकार के ग्रह, उपग्रह आते रहने चाहिए और हम इन्हें अच्छा मानकर चलते हैं। क्योंकि आपकी अच्छाई की तुलना तभी होगी, जब बुरे लोग भी होंगे। यही लोग जनता के बीच बोलेंगे कि हमें इस आयोजन को और अच्छा करना है।
मानसिक रूप से विकृत औरंगजेब को अपना आदर्श बना सकता है मानसिक रूप से विकृत व्यक्ति औरंगजेब को अपना आदर्श बना सकता है, लेकिन मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति उसे आदर्श नहीं बना सकता। अगर फिर भी कोई ऐसा करता है, तो उसे अपने बेटे का नाम भी औरंगजेब रखना चाहिए और उसी व्यवस्था के लिए तैयार रहना चाहिए, जैसा व्यवहार औरंगजेब ने अपने पिता के साथ किया था।

ये सामर्थ्यहीन लोग, इनसे अच्छे की उम्मीद नहीं की जा सकती महाकुंभ के दौरान भी तो यही हुआ। इन लोगों ने हर अच्छे कार्य का विरोध किया। ये सामर्थ्यहीन लोग हैं, जिनसे अच्छे की उम्मीद नहीं की जा सकती। ऐसा भी नहीं है कि इन लोगों को मौका नहीं मिला। सभी को मौका मिला। याद कीजिए 1954 में स्वतंत्र भारत का पहला कुंभ हुआ। कांग्रेस की राज्य और केंद्र दोनों में ही सरकार थी। उस समय गंदगी, अव्यवस्था और अराजकता का जो दृश्य था, उस दौरान 1000 से अधिक मौतें हुई थीं। कांग्रेस की सरकार के दौरान जब भी महाकुंभ हुआ, कैसी स्थितियां थीं, ये किसी से छुपा नहीं है।
सपा सरकार में गंदगी देख मॉरीशस PM ने गंगा स्नान नहीं किया था सपा की सरकार के दौरान 2007 और 2013 इसके इसके जीवंत उदाहरण हैं। 2007 में तो प्रकृति ने भी नहीं बक्शा था। काफी जनहानि हुई थी। 2013 में मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रयागराज पहुंचे, वे संगम गए, लेकिन वहां गंदगी, कीचड़, अव्यवस्था देखकर उनकी हिम्मत गंगा स्नान करने की नहीं हुई। वे अपनी आंख में आंसू लिए दूर से ही प्रणाम करके चले गए। उन्होंने कहा था- क्या यही गंगा हैं।

कुंभ को गंदगी और अराजकता का अड्डा बना दिया था नकारात्मक टिप्पणी करने वाले इन सभी लोगों ने कुंभ को गंदगी और अराजकता का अड्डा बनाया हुआ था। उस समय विदेशी और वामपंथी कुंभ देखने के लिए आते थे, तो इसकी नकारात्मकता का इस्तेमाल वो भारत और सनातन धर्म को बदनाम करने के लिए करते थे। 2019 में प्रयागराज कुंभ के आयोजन के साथ जुड़ने का मौका मिला था।
तब पीएम मोदी ने हमें कहा था कि कुंभ की इस धारणा को बदलना होगा। इसके लिए आपको मेहनत करनी होगी। 2019 का कुंभ अपनी स्वच्छता के लिए जाना जाता है। इस बार के महाकुंभ को हमने स्वच्छता, सुरक्षा और तकनीक के साथ जोड़ा। इससे ये डिजिटल कुंभ भी बना। पहले लोगों को लगा कि ये हवाबाजी है। महाकुंभ के दौरान डिजिटल खोया पाया केंद्र से 54 हजार बिछड़े लोगों को उनके अपनों से मिलाया गया।
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