Wednesday, January 22, 2025
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मथुरा शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे पर रोक जारी रहेगी: SC से अपने आदेश को 3 महीने बढ़ाया; हिंदू पक्ष बोला-सर्वे से तथ्य सामने आएंगे – Mathura News


मथुरा शाही ईदगाह के सर्वे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि अगले आदेश तक सर्वे पर रोक जारी रहेगी।

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दरअसल, 14 दिसंबर, 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका स्वीकार करते हुए परिसर का सर्वे कराने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश दिया था।

इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। 16 जनवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगाई। आज चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच में मामले की सुनवाई हुई।

पीठ ने कहा कि वह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के खिलाफ ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति की याचिका पर सुनवाई एक अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह में होगी।

सीजेआई संजीव खन्ना ​​​​​ने कहा कि शीर्ष अदालत में अभी तीन मुद्दे लंबित हैं। इनमें एक अंतर-न्यायालय अपील का मुद्दा (हिंदू वादियों द्वारा दायर मुकदमों के समेकन के खिलाफ), दूसरा अधिनियम (पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 को चुनौती) शामिल है।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान शाही ईदगाह विवाद 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर है।

शाही ईदगाह पक्ष नहीं चाहता कि मस्जिद का सर्वे हो पीठ ने कहा- इस दौरान शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के न्यायालय की निगरानी में सर्वेक्षण पर रोक लगाने वाला इलाहाबाद उच्च न्यायालय का अंतरिम आदेश लागू रहेगा।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान शाही ईदगाह मामले में वाद दाखिल करने वाले वादी एवं अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने कहा कि सर्वे होने से तथ्य सामने आएंगे। सर्वे क्यों जरूरी है इसको लेकर आगामी सुनवाई में अपनी बात रखेंगे। शाही ईदगाह पक्ष नहीं चाहता कि मस्जिद का सर्वे किया जाए।

क्या है पूरा विवाद? यह पूरा विवाद 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर है। 11 एकड़ जमीन पर श्रीकृष्ण मंदिर है और 2.37 एकड़ हिस्सा शाही ईदगाह मस्जिद के पास है। हिंदू पक्ष इस 2.37 एकड़ जमीन पर जन्मभूमि होने का दावा करता रहा है। 1670 में औरंगजेब के शासन में यहां शाही ईदगाह मस्जिद बनाई गई थी।

1944 में ये पूरी जमीन उद्योगपति जुगल किशोर बिड़ला ने खरीद ली। 1951 में उन्होंने श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट बनाया, जिसे ये जमीन दे दी गई। ट्रस्ट के पैसे से 1958 में नए सिरे से मंदिर बनकर तैयार हुआ। फिर एक नई संस्था बनी, जिसका नाम रखा गया श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान। इस संस्था ने साल- 1968 में मुस्लिम पक्ष से समझौता किया कि जमीन पर मंदिर-मस्जिद दोनों रहेंगे। हालांकि, इस समझौते का न तो कभी कानूनी वजूद रहा और न ही श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट ने इस समझौते को कभी माना।

हिंदू पक्ष अब इस मस्जिद को हटाने की मांग करता है तो वहीं मुस्लिम पक्ष प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट की दलील देता है।

2020 में पहली याचिका से अब तक क्या-क्या हुआ, पढ़िए…

  • 25 सितंबर 2020 को इस विवाद में मथुरा की जिला अदालत में पहली याचिका दायर हुई। लखनऊ की वकील रंजना अग्निहोत्री ने याचिका में शाही ईदगाह मस्जिद को मंदिर परिसर से हटाने की मांग की थी।
  • 30 सितंबर 2020 को एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज छाया शर्मा ने याचिका को ये कहकर खारिज कर दिया था कि भगवान श्रीकृष्ण के पूरी दुनिया में असंख्य भक्त एवं श्रद्धालु हैं। अगर हर भक्त की याचिका पर सुनवाई की इजाजत देंगे तो न्यायिक एवं सामाजिक व्यवस्था चरमरा जाएगी।
  • 30 सितंबर 2020 को ही इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर की गई। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया। इसके बाद अब तक हिंदू पक्ष की तरफ से कुल 18 याचिकाएं दायर की गईं।
  • 26 मई 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा विवाद से जुड़े सभी मामलों को अपने पास ट्रांसफर करा लिया।
  • 14 दिसंबर 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ईदगाह मस्जिद का सर्वे कराने की अनुमति दी।
  • 15 दिसंबर 2023 को मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। SC ने याचिका खारिज करते हुए सर्वे की इजाजत दे दी।
  • 1 अगस्त 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की मंदिर विवाद से जुड़ी 18 याचिकाओं को सुनवाई के लिए मंजूर करते हुए एक साथ सुनवाई का आदेश दिया।

हाईकोर्ट ने सभी मामले अपने पास ट्रांसफर करा लिए थे 26 मई 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा विवाद से जुड़े सभी मामले अपने पास ट्रांसफर करा लिए। 4 महीने तक अलग-अलग मौकों पर हुई सुनवाई के बाद 16 नवंबर को आदेश सुरक्षित रख लिया गया। 14 दिसंबर 2023 को हाईकोर्ट ने ईदगाह का सर्वे कराने की अनुमति दी। अगले ही दिन 15 दिसंबर को मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इस याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी सर्वे की इजाजत दे दी।

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पापा का सपना था कि मैं इंजीनियर बनूं। मैंने उनका सपना पूरा किया। IIT से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। अच्छे पैकेज पर जॉब भी मिल गई, लेकिन ये मेरा मुकाम नहीं था। मेरे कदम बढ़ते गए, मंजिल खाकी वर्दी थी। और यहां तक आकर ही थमे।

यह कहना है 2019 बैच के IPS अफसर सागर जैन का। सागर जैन इस समय सहारनपुर में SPRA पद पर तैनात हैं। इससे पहले वह वाराणसी और मुरादाबाद में भी तैनात रह चुके हैं। अब तक 30 से ज्यादा एनकाउंटर कर अपराधियों को धर दबोचा।

DFO के बाद IPS बने सागर जैन कहते हैं- लाइफ में सेट किए गए टारगेट को हकीकत में बदलने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। इसके सिवाय दूसरा कोई रास्ता नहीं। पढ़ें पूरी खबर



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