मध्य प्रदेश में सेरोगेसी के लिए नया बोर्ड बनाया गया है। इससे किराए की कोख (सेरोगेसी) की अनुमति अब एक महीने में मिल सकेगी। पहले इस प्रक्रिया में चार महीने लगते थे। वजह पहले आवेदन राज्य सेरोगेसी बोर्ड की बैठक में जाते थे, जो हर चार महीने में होती थी। अ
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इसके अलावा, सरोगेट मदर के लिए बीमा कवर को 2 लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपए किया गया है। यह बदलाव उन परिवारों के लिए राहत लेकर आया है, जो लंबी सरकारी प्रक्रियाओं के कारण मानसिक और भावनात्मक तनाव झेलते थे। लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा आयुक्त तरुण राठी ने बताया कि 2023 से 2025 के बीच राज्य में सेरोगेसी के केवल 10 आवेदन स्वीकृत हुए।
एआरटी क्लिनिक और बैंक स्तर पर कुल 100 से अधिक मामले रजिस्टर्ड हैं। राज्य सेरोगेसी बोर्ड के पूर्व सदस्य डॉ. रणधीर सिंह ने बताया कि राज्य सेरोगेसी बोर्ड से अनुमति के लिए जिला प्रशासन से 4 सर्टिफिकेट लेना पड़ते हैं। इसमें काफी समय लगता था। कई केस निरस्त हो जाते थे। अब एक माह में निर्णय हो सकेगा। बीमा कवर बढ़ने से सरोगेट माताओं और इच्छुक माता-पिता दोनों को लाभ होगा।
नया बोर्ड… ताकि आवेदन पेंडिंग न रहेः डिप्टी सीएम डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने बताया कि राज्य एआरटी और सेरोगेसी बोर्ड की बैठक में समीक्षा के बाद पाया गया कि देरी से कई मामले लंबित हो रहे थे। इसलिए नए सिरे से बोर्ड का गठन किया गया है। अब पीएस की अध्यक्षता में हर माह बैठक होगी। इससे विशेषज्ञों की राय लेकर सेरोगेसी फॉर्म पर तत्काल निर्णय लिया जा सकेगा। शेष | पेज 21 पर
नए बोर्ड में स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव होंगे अध्यक्ष
- सेरोगेसी क्या है: सरोगेसी एक प्रक्रिया है, जिसमें सरोगेट मां किसी अन्य दंपती के बच्चे को गर्भ में पालती है। यह उन दंपतियों के लिए है, जो मेडिकल समस्याओं के कारण बच्चा पैदा नहीं कर सकते। मप्र में अब ऐसे केस स्वीकृत होंगे, जहां पुरुष का स्पर्म खराब हो या महिला गर्भधारण में असमर्थ हो, बशर्ते आईवीएफ उपचार विफल हो।
- कौन बन सकता है सरोगेट मदरः सरोगेट मां दंपती की निकट संबंधी होनी चाहिए। उम्र 25-35 के बीच होनी चाहिए। वह शादीशुदा हो और कम से कम एक बच्चा जन्म दे चुकी हो। जीवन में केवल एक बार सरोगेट बनने की अनुमति है
सरोगेसी दो प्रकार की होती है…
- अल्टूइस्टिक सरोगेसीः इसमें सरोगेट मां को मेडिकल खर्च और बीमा कवर दिया जाता है। दंपती को मेडिकल अनफिट का प्रमाण पत्र देना होगा। उनके पास कोई दत्तक या सरोगेट बच्चा नहीं होना चाहिए।
- व्यावसायिक सरोगेसीः इसमें आर्थिक लाभ दिया जाता है, लेकिन भारत में यह प्रतिबंधित है। वाणिज्यिक सेरोगेसी पर 10 साल की सजा और 10 लाख रुपए जुर्माना हो सकता है।
महाराष्ट्र में 4 माह, दिल्ली में 2 माह, तमिलनाडु में 45 दिन में अनुमति
महाराष्ट्र में इस प्रक्रिया में 3 से 4 माह का समय लगता है। दिल्ली में दो माह, तमिलनाडु में 45 दिन व कनार्टक में भी इतने ही दिन अनुमति अ मिलने में लगती है। इन राज्यों में वहां के स्वास्थ्य मंत्री सेरोगेसी बोर्ड के अध्यक्ष हैं। मध्यप्रदेश में अब स्वास्थ्य मंत्री की जगह प्रमुख सचिव को अध्यक्ष बनाया है। उत्तरप्रदेश में अभी तक राज्य सेरोगेसी बोर्ड गठित नहीं हुआ है।