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Karna Mahabharat Story: महाभारत के युद्ध में जब कर्ण को वीरगति प्राप्त हुई और उसने प्राण त्याग दिए तो वह अपने दान से अर्जित पुण्य के बल पर स्वर्ग लोक पहुंच गया. लेकिन वहां से उसे वापस धरती पर आना पड़ा क्योंकि उ…और पढ़ें
महाभारत के कर्ण की स्वर्ग यात्रा.
महाभारत के पात्रों में कर्ण को महादानी बताया गया है. कहा जाता है कि परिस्थितियां कुछ भी हों, कर्ण के दरवाजे से कोई खाली हाथ वापस नहीं आता था. जो भी उसके पास कुछ मांगने गया, कर्ण उसे वह वस्तु दान स्वरूप जरूर देता था. इस वजह से वह महादानी बना. इंद्र ने छल से उसका कवच और कुंडल मांगा तो बिना किसी चिंता के उसने दान कर दिया. ऐसे ही मरते समय उसने भगवान श्रीकृष्ण को अपने सोने के दांत तोड़कर दान कर दिया था. कहा जाता है कि जो लोग दान करते हैं, उनको मृत्यु के बाद पुण्य का सुख स्वर्ग लोक में प्राप्त होता है. महाभारत के युद्ध में जब कर्ण को वीरगति प्राप्त हुई और उसने प्राण त्याग दिए तो वह अपने दान से अर्जित पुण्य के बल पर स्वर्ग लोक पहुंच गया. लेकिन वहां से उसे वापस धरती पर आना पड़ा क्योंकि उससे बड़ी भूल हो गई थी, जिसे उसे सुधारने का मौका मिला.
जब स्वर्ग पहुंचा कर्ण तो हुआ स्वागत
पौराणिक कथा के अनुसार, जब कर्ण की मृत्यु हुई तो यमराज उसे लेने के लिए आए. दान और पुण्य के कारण कर्ण को स्वर्ग ले जाया गया. स्वर्ग में कर्ण का भव्य स्वागत हुआ. रहने के लिए अच्छा स्थान प्राप्त हुआ, जहां पर हर प्रकार की सुख और सुविधाएं प्राप्त थीं. उसके किए गए दान पुण्य के लिए सराहना की गई और बताया गया कि उसके प्रभाव से उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई है.
कर्ण के चारों तरफ सोना ही सोना, खाने को नहीं मिला अन्न
स्वर्ग में कर्ण जिस स्थान पर रह रहा था, वहां पर चारों तरफ सोना ही सोना था. यह देखकर आश्चर्यचकित हो गया. उसने पूछा कि उसे खाने के लिए अन्न क्यों नहीं दिया जा गया है? इस पर उसे बताया गया कि तुमने अपने पूरे जीवन लोगों को सोने का दान किया. फल और अन्न का दान नहीं किया. अपने पितरों के लिए कभी अन्न का दान नहीं किया. इस वजह से स्वर्ग में होने के बावजूद उसे अन्न और फल नहीं मिला.
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भूल सुधार के लिए वापस धरती पर आया कर्ण
कर्ण महादानी था, उसने कहा कि उस अपने पितरों के बारे में ज्ञात नहीं था, वह इस भूल का सुधार करना चाहता है. तब उसे वापस धरती पर भेजा गया. कर्ण धरती पर आया तो उसने अपने पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध किया. उसके बाद अन्न, फल आदि का दान दिया. अन्न का दान करने के बाद फिर से वह स्वर्ग में आ गया.
अन्न दान से स्वर्ग में मिला अन्न
कर्ण ने जब अन्न दान किया तो उसे स्वर्ग में खाने के लिए अन्न दिया गया. इस वजह से कहा जाता है कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में अन्न और जल का दान करना चाहिए, ताकि मृत्यु के बाद पितृ लोक में जल और स्वर्ग में अन्न की प्राप्ति हो. इससे जुड़ी एकादशी की भी कथा है, जिसमें एक वृद्धा पूरे जीवन भगवान विष्णु की पूजा करती है, लेकिन अन्न का दान नहीं करती है, इसलिए मृत्यु के बाद उसे स्वर्ग मिलता है, लेकिन अन्न नहीं मिलता है.