मलेशिया से वापस लौटेंगे झारखंड के मजदूर
मलेशिया की राजधानी क्वालालांपुर में फंसे झारखंड के 52 मजदूरों और उनके परिजनों के लिए अच्छी खबर है। इन सभी की वापसी अब हो जाएगी। भारत सरकार ने इनकी वापसी की तैयारी शुरू कर दी है। कुछ कानूनी प्रक्रिया पूरी की जा रही है। इसके बाद सभी मजदूरों को 11 से 20
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मलेशिया में फंसे राज्य के 52 मजदूरों में सबसे अधिक मजदूर हजारीबाग जिले के हैं। इनकी संख्या 27 है। इसके अतिरिक्त गिरिडीह जिले के बगोदर के 07, बोकारो जिले के गोमिया के 18, हजारीबाग जिले के टाटी झरिया के 16 और बिष्णुगढ़ के 11 मजदूर शामिल हैं। इन मजदूरों के अतिरिक्त अन्य मजदूर ओडिशा, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना राज्य के हैं। उनकी भी वापसी होगी।
अब जानिए मजदूरों की कहानी
दरअसल झारखंड के ये मजदूर मलेशिया की राजधानी क्वालालांपुर में बीते साल जुलाई में काम करने गए थे। वे वहां मास्टर इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन SDN BHD कंपनी में काम करने गए थे। शुरुआत में तो सबकुछ ठीक रहा। कंपनी सैलेरी भी दे रही थी। बीते तीन महीने से स्थिति बिगड़ी। मजदूरों को कंपनी में न तो सैलेरी मिलने लगी और न ही दूसरी सुविधाएं मिलने लगी। इससे उनकी स्थिति खराब होने लगी।
इसके बाद सभी मजदूरों ने वीडियो बना कर घर वालों को भेजा और भारत सरकार और राज्य सरकार से वापस लाने का अनुरोध किया। इस दौरान पहले एक महीने वे कंपनी के भीतर ही बैठे रहे इसके बाद उन्होंने दूतावास में संपर्क किया। दूतावास में सभी मजदूर पिछले एक महीने से रह रहे हैं।
संसद में उठा मामला, अब बन रही बात
मजदूरों की वापसी को लेकर गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने ट्वीट किया है। जिसमें उन्होंने बताया कि मलेशिया में फंसे मजदूर 11 से 20 दिसंबर तक अपने देश लौट जाएंगे। सांसद ने बताया है कि मलेशिया में फंसे मजदूरों का मामला उन्होंने सोमवार को संसद में नियम 377 के तहत सभा पटल पर रखा।
जिसके बाद भारत सरकार की ओर से बताया गया कि सभी मजदूरों को मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर स्थित भारतीय दूतावास में रखा गया है। कुछ कानूनी प्रक्रिया पूरी की जा रही है। इसके बाद तय तिथि पर इन मजदूरों को देश वापस लाया जाएगा।
विदेश मंत्री को पत्र लिख वापसी का किया प्रयास
सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी ने अपने X अकाउंट पर एक चिट्ठी जारी करते हुए बताया कि उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर को पत्र लिखकर व उनसे मिलकर इन मजदूरों की देश वापसी का प्रयास किया। इसके साथ ही विदेश मंत्रालय के अधिकारियों व केंद्र सरकार के आला अधिकारियों से संपर्क कर मजदूरों की वतन वापसी का रास्ता प्रशस्त कराया है।