श्रीनगर23 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध का मैदान नहीं, बल्कि दोस्ती और समझ का पुल बनना चाहिए।
पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर हमेशा युद्ध और हिंसा का सबसे ज्यादा नुकसान झेलता रहा है। हमारी हालत दो हाथियों की लड़ाई में कुचले जाने वाले घास जैसी हो गई है।
महबूबा ने कहा कि पीडीपी हमेशा शांति की बात करती रही है और लोगों की भावनाओं को आवाज देती रही है। हमें युद्ध के डर को खत्म करना होगा ताकि लोग अपनी जिंदगी की प्लानिंग कर सकें और अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा किया जा सके। जम्मू-कश्मीर को आपसी समझ, दोस्ती और सहयोग का प्रतीक बनाना चाहिए, न कि जंग का मैदान।
महबूबा बोलीं- हमारी पाकिस्तानी लोगों से असहमति नहीं
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की पाकिस्तान के खिलाफ सख्त सैन्य कार्रवाई की मांग समेत नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के नेताओं के हालिया बयानों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान खतरनाक सोच को दर्शाते हैं।
महबूबा ने कहा, ‘जब भारत सरकार ने सिंधु जल संधि को सस्पेंड किया था, तब जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इसका स्वागत किया था और पाकिस्तान को पानी की सप्लाई तुरंत बंद करने की मांग की थी।’
उन्होंने ने कहा, ‘हमारी पाकिस्तान सरकार से राजनीतिक असहमति हो सकती है, लेकिन वहां के लोगों से नहीं। यह दुख की बात है कि देश के एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य का नेता इस तरह की बातें कर रहा है।’
शांति और बातचीत के प्रति अपनी पार्टी की प्रतिबद्धता दोहराते हुए उन्होंने कहा, ‘युद्ध और नफरत की भाषा बोलने वाले नेताओं को और लाशें चाहिए। लेकिन पीडीपी ही एकमात्र पार्टी है जो लगातार शांति की बात कर रही है और लोगों के सम्मान से जीने के हक के लिए आवाज उठा रही है।’
पहले भी फारूक अब्दुल्ला के बयान पर आपत्ति जता चुकीं महबूबा
पहलगाम आतंकी हमले के बाद फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि ये हमला लोकल सपोर्ट के बिना नहीं हो सकता। क्योंकि आतंकवादी वहां कैसे आए, ये सवाल आज भी बना हुआ है। किसी लोकल ने उनकी मदद तो जरूर की है।
अब्दुल्ला के इस बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कड़ी आपत्ति जताई थी। उन्होंने सोशल मीडिया X पर लिखा कि फारूक अब्दुल्ला का ऐसा बयान देश के बाकी हिस्सों में रह रहे कश्मीरी लोगों के लिए खतरा बन सकता है।
उन्होंने कहा- इससे कुछ मीडिया चैनलों को कश्मीरियों और मुस्लिमों को बदनाम करने का मौका मिल जाएगा।