उज्जैन के महाकाल मंदिर में गुड़ी पड़वा के अवसर पर विशेष आयोजन किया गया। हिंदू नववर्ष की शुरुआत पर रविवार को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन पुजारियों ने भगवान महाकाल का नीम मिश्रित जल से अभिषेक किया।
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मान्यताओं के अनुसार पृथ्वी के नाभि केंद्र पर स्थित काल के अधिपति भगवान महाकाल के आंगन से नवसंवत्सर की शुरुआत होती है। पंडित महेश पुजारी ने बताया कि गुड़ी पड़वा से हिंदू वर्ष का आरंभ होता है। इस अवसर पर नए पंचांग का पूजन किया गया।
सनातन धर्म की परंपरा के अनुसार मंदिर के मुख्य शिखर पर नया केसरिया ध्वज भी फहराया गया।
मंदिर में विशेष पूजा के दौरान भगवान को श्रीखंड और पुरनपोली का भोग लगाया गया। चैत्र मास में ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत होती है। इस समय वात, कफ और पित्त की वृद्धि होती है। इन दोषों के निवारण के लिए नीम का विशेष महत्व है।
आयुर्वेद में नीम-मिश्री के सेवन को अमृत के समान माना गया है। इसलिए इस दिन भगवान का नीम युक्त जल से अभिषेक किया जाता है। सनातन धर्म की परंपरा के अनुसार मंदिर के मुख्य शिखर पर नया केसरिया ध्वज भी फहराया गया।