‘ये तो साफ है कि महाराष्ट्र में किसी को बहुमत मिलने की उम्मीद नहीं है। इस बार छोटी पार्टियां और इंडिपेंडेंट कैंडिडेट 25 सीटें जीत सकते हैं, यानी सरकार यही बनवाएंगे।’
.
पॉलिटिकल एक्सपर्ट संदीप सोनवलकर का अनुमान सही बैठा तो महाराष्ट्र में एक बार फिर तोड़फोड की राजनीति शुरू हो सकती है। राज्य में 20 नवंबर को सभी 288 सीटों पर वोटिंग होनी है। इससे पहले हवा का रुख समझने के लिए दैनिक भास्कर ने आम लोगों, एक्सपर्ट्स और पॉलिटिकल पार्टियों से बात की।
5 पॉइंट्स में समझिए महाराष्ट्र के रुझान और सियासी समीकरण…
1. 148 सीटों पर चुनाव लड़ रही BJP 80 से 90 सीटों पर मजबूत दिख रही है। 2019 में उसे 105 सीटें मिली थीं। सहयोगी पार्टी शिवसेना (शिंदे गुट) 30-35 और NCP (अजित गुट) 15-20 सीटें जीत सकती हैं। इस लिहाज से महायुति को 125 से 145 सीटें मिल सकती हैं। बहुमत के लिए 145 सीटों की जरूरत है।
2. महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस सबसे मजबूत दिख रही है। उसे 52-65 सीटें मिल सकती हैं। शरद पवार की पार्टी NCP (SP) 50-55 सीटों पर मजबूत है। सबसे कमजोर स्थिति में शिवसेना (उद्धव गुट) है। उसे 30-35 सीटें मिल सकती हैं। महाविकास अघाड़ी को 132 से 155 सीटें मिलने के आसार हैं।
3. महाराष्ट्र में छोटी पार्टियां और इंडिपेंडेंट कैंडिडेंट 20-25 सीटें जीत सकते हैं। अगर दोनों अलायंस बहुमत से दूर रह गए, तो सरकार बनाने में इनकी भूमिका सबसे अहम होगी।
4. लाडकी बहन योजना से महायुति को फायदा मिल सकता है। इसी योजना की वजह से मध्यप्रदेश में BJP को जीत मिली थी। हालांकि मराठा आरक्षण, मराठा Vs OBC, महंगाई, फसलों के कम रेट मिलना शिंदे सरकार को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
5. ‘कटेंगे तो बटेंगे’ नारे की वजह से मुस्लिम वोटों में धुव्रीकरण हो सकता है, जिसका फायदा महाविकास अघाड़ी को मिलेगा।
हर रीजन में कैसी है पार्टियां की स्थिति पूरा महाराष्ट्र 6 रीजन विदर्भ, मराठवाड़ा, पश्चिम महाराष्ट्र, उत्तरी महाराष्ट्र, कोंकण और मुंबई में बंटा है। सबसे ज्यादा सीटें 70 सीटें पश्चिम महाराष्ट्र में हैं। सबसे कम 35 सीटें उत्तरी महाराष्ट्र में है।
विदर्भ: कांग्रेस का गढ़ रहा, वही सबसे मजबूत
क्षेत्रफल के लिहाज से विदर्भ महाराष्ट्र का सबसे बड़ा रीजन है। यहां की 62 में से 36 सीटों पर BJP और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई है। नागपुर विदर्भ का सबसे बड़ा शहर है। यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हेडक्वाटर भी है। डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस नागपुर से ही चुनाव लड़ रहे हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी यहीं से हैं।
विदर्भ में RSS का कैडर एक्टिव रहा, लेकिन यहां कांग्रेस ज्यादा मजबूत दिखती है। 2019 के विधानसभा चुनाव में BJP ने विदर्भ में सबसे ज्यादा 29 सीटें जीती थीं। हालांकि, लोकसभा चुनाव 2024 के आंकड़ों के हिसाब से कांग्रेस को 30 और BJP को 15 सीटों पर बढ़त है।
पश्चिम महाराष्ट्र : शरद पवार सबसे बड़ा फैक्टर
पुणे के आसपास फैला पश्चिम महाराष्ट्र शरद पवार की पार्टी NCP का गढ़ रहा है। अब NCP दो धड़ों में बंट चुकी है। इस वजह से पश्चिम महाराष्ट्र की 70 में से ज्यादातर सीटों पर शरद पवार और अजित पवार की NCP के बीच लड़ाई है।
इलाके में मराठा आरक्षण आंदोलन का असर भी दिखेगा क्योंकि मराठाओं की बड़ी आबादी यहां रहती है। आंदोलन चलाने वाले मनोज जरांगे पाटिल ने चुनाव से पहले अपने कैंडिडेट्स के नॉमिनेशन वापस ले लिए थे, इसका फायदा शरद पवार और महाविकास अघाड़ी को हो सकता है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मराठाओं पर पकड़ और इमोशनल अटैचमेंट की वजह से पश्चिम महाराष्ट्र में शरद पवार सबसे बड़ा फैक्टर हैं। BJP यहां तीसरे नंबर की पार्टी बन सकती है।
उत्तर महाराष्ट्र: BJP और कांग्रेस में मुकाबला
उत्तरी महाराष्ट्र नासिक, धुले, नंदुरबार और जलगांव जिलों से मिलकर बना है। ये इलाका कभी कांग्रेस का गढ़ था, लेकिन BJP और शिवसेना यहां पकड़ बनाने में कामयाब रहीं। 2019 के विधानसभा चुनाव में BJP ने उत्तर महाराष्ट्र की 35 सीटें में से 20 सीटें जीती थीं। शिवसेना को 6, कांग्रेस को 5 और NCP को 4 सीटें मिली थीं।
यहां कांग्रेस, NCP (SP) और शिवसेना (शिंदे गुट), BJP के बीच मुकाबला है। यहां OBC वोटर ज्यादा हैं, जो BJP की तरफ झुकाव रखता है। BJP के गोपीनाथ मुंडे बड़े OBC लीडर थे। उनके निधन के बाद बेटी पंकजा मुंडे राजनीति में आईं। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में वे हार गईं। माना गया कि OBC वोटर BJP से दूर हो रहा है। इसके उलट आदिवासी इलाके में कांग्रेस को फायदा मिलता दिख रहा है।
मराठवाड़ा: मराठा आंदोलन का सेंटर, मराठा Vs OBC का सबसे ज्यादा असर
2 साल से मराठा आरक्षण आंदोलन का सेंटर बने मराठवाड़ा में जाति सबसे बड़ा फैक्टर है। मराठवाड़ा की लड़ाई NCP (SP), NCP (अजित पवार), BJP और कांग्रेस के बीच है। मराठा Vs OBC का मुद्दा वोटिंग पैटर्न को प्रभावित कर सकता है। मराठा शरद पवार और कांग्रेस की तरफ जा सकते हैं। अगर BJP ने OBC वोट अपने पाले में करने के साथ मराठा वोट काटे, तो बाजी पलट सकती है।
ठाणे-कोंकण: CM एकनाथ शिंदे का गढ़, यहीं से उनका भविष्य तय होगा
मुंबई से सटे ठाणे-कोंकण में शिवसेना (शिंदे गुट) और शिवसेना (उद्धव गुट) के बीच मुकाबला है। ठाणे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गढ़ है, तो कोंकण का पूरा इलाका, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, रायगढ़ में पुरानी शिवसेना का दबदबा रहा है। लोकसभा चुनाव में 39 सीटों में से 23 पर महायुति और 11 सीटों पर महाविकास अघाड़ी आगे रहा। इस इलाके में जीत से दोनों शिवसेना का भविष्य भी तय हो सकता है।
मुंबई: दोनों शिवसेना के बीच मुकाबला
मुंबई की 36 सीटों के चुनावी नतीजे बताएंगे कि शिवसेना का असली वारिस कौन है। वोट की ताकत एकनाथ शिंदे के पास है या फिर उद्धव ठाकरे के पास। यहां राज ठाकरे की पार्टी मनसे भी मैदान में है। ये पार्टी एक तरह से शिवसेना (उद्धव) के वोट ही काटेगी। लोकसभा चुनाव में 36 में से 20 सीटों पर महाविकास अघाड़ी आगे रहा था। महायुति को 16 सीटों पर बढ़त थी।
वोटर्स के लिए महंगाई बड़ा मुद्दा, लाडकी बहन का मिला-जुला असर महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में किसान नाराज हैं। खेती के लिए पानी की परेशानी तो थी, अब फसल के सही भाव नहीं मिल रहे। सोयाबीन की कटाई के बाद अगली फसल की तैयारी कर रहे किसान बाला साहेब कहते हैं, ‘जिस भाव पर सोयाबीन खरीदकर बुआई की थी, उतना भी रेट नहीं मिल रहा है। सोयाबीन की MSP 4,892 रुपए है, लेकिन मंडी में भाव 3100 से 3600 रुपए चल रहा हैं।’
वहीं, नागपुर की रहने वालीं मीनाक्षी वानखेड़े शिंदे सरकार की लाडकी बहना स्कीम से नाराज हैं। वे कहती हैं, ‘सरकार हर महीने 1500 रुपए दे रही है। हमें ये पैसा नहीं चाहिए। आपको सुधार करना है तो स्कूल-हॉस्पिटल ठीक करो। सिलेंडर महंगा हो गया, महंगाई बढ़ रही है।’
संजय कुमार चौरसिया मुंबई के सीएसटी स्टेशन के पास पान की दुकान लगाते हैं। बरसों पहले उत्तर प्रदेश से मुंबई आए थे, अब भिंडी बाजार विधानसभा क्षेत्र के वोटर हैं। संजय एक कमरा किराए पर लेकर चार लोगों के साथ रहते हैं। वे कहते हैं कि खाने-रहने लायक कमाई हो रही है, लेकिन महंगाई इतनी है कि कमाई कम पड़ जाती है।’
एक्सपर्ट बोले- किसान सरकार से नाराज, महाविकास अघाड़ी को मिलेगा फायदा सीनियर जर्नलिस्ट संदीप सोवनलकर कहते हैं, ‘सोयाबीन के कम रेट चुनावी मुद्दा बन गया है। इसका फायदा विपक्षी गठबंधन को मिल सकता है। 2 साल से तेज हुए मराठा आरक्षण आंदोलन ने महाराष्ट्र के बड़े हिस्से को प्रभावित किया। ये मुद्दा सिर्फ मराठाओं का नहीं रहा, इसमें OBC भी शामिल हो गए हैं।’
‘OBC और मराठा राज्य की करीब दो तिहाई आबादी हैं। NCP-कांग्रेस की कोशिश है कि मराठा आंदोलन के गुस्से का इस्तेमाल अपने पक्ष में करें, वहीं BJP डैमेज कंट्रोल की बजाए OBC को एकजुट करने की कोशिश कर रही है।’
कटेंगे तो बंटेंगे से धार्मिक ध्रुवीकरण पॉलिटिकल एनाालिस्ट प्रो. जयदेव डोले कहते हैं ‘चुनाव पर जाति का फैक्टर हावी दिख रहा था। BJP ने चुनावी रणनीति में बदलाव करके कटेंगे तो बंटेंगे जैसे नारे के जरिए हिंदुओं को एकजुट करने और जाति के समीकरण तोड़ने की कोशिश की है।’
एक्सपर्ट कहते हैं कि RSS की मशीनरी की मदद से BJP जातिगत ध्रुवीकरण खत्म करना चाहती है, लेकिन इसकी वजह से धार्मिक ध्रुवीकरण बढ़ रहा है। कटेंगे तो बटेंगे पर महायुति में शामिल अजित पवार और BJP नेता पंकजा मुंडे ने भी असहमति जताई है।
महाराष्ट्र में करीब 12% मुस्लिम आबादी है। एक्सपर्ट मान रहे हैं कि मुस्लिम वोटर महाविकास अघाड़ी के साथ जा सकते हैं। इसकी वजह शरद पवार और कांग्रेस की सेक्युलर इमेज है।
संविधान और आरक्षण अब भी दलितों के बीच मुद्दा महाराष्ट्र में करीब 14% आबादी दलितों की है। सीनियर जर्नलिस्ट संदीप सोनवलकर कहते हैं, ‘एक तरफ मराठा बनाम OBC चल रहा है, दूसरी तरफ संविधान बचाओ और दलितों की नाराजगी का मुद्दा है। महाराष्ट्र में करीब 10% आदिवासी समुदाय है। धनगर समुदाय को जनजाति का दर्जा देने के आदिवासी समुदाय BJP से नाराज है। इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा।
आम मराठी मानुष तोड़फोड़ की राजनीति से भी आहत कवरेज के दौरान ऐसे लोग मिले, जो दलबदलुओं से नाराज हैं। वे कहते हैं कि जिस नेता को वोट दिया, उसने पार्टी बदल ली या दूसरे गठबंधन में शामिल हो गया। इसलिए वोट देने का कोई फायदा नहीं है।
महाराष्ट्र में लंबे समय से रिपोर्टिंग करने वाले सुनील सोनवलकर कहते हैं कि आम मराठी मानुष 5 साल में हुई तोड़फोड़ की राजनीति से आहत है। मनसे प्रमुख राज ठाकरे तोड़फोड़ की राजनीति को मुद्दा बना रहे हैं।
महाविकास अघाड़ी का माहौल, महायुति का मैनेजमेंट मजबूत सुनील सोनवलकर कहते हैं, ‘महाराष्ट्र चुनाव इतना फंसा हुआ है कि वोटर, नेता, चुनाव विश्लेषक सब उलझे हुए हैं। 288 सीटों पर करीब 8 हजार उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। एक सीट पर करीब 40 उम्मीदवार हैं। ज्यादा कैंडिडेट के होने की वजह से वोट बंटना तय है।’
‘अब तक महाविकास अघाड़ी के लिए अच्छा माहौल है, लेकिन महायुति मैनेजमेंट के दम पर चुनाव लड़ना जानती है। इस वक्त महायुति आगे दिख रही है। महायुति में BJP की कोशिश 105 सीटें जीतने की है। पार्टी 78 से 90 सीटें जीत सकती हैं। एकनाथ शिंदे की शिवसेना 30-35 सीटें जीत सकती है। महायुति की कमजोर कड़ी अजित पवार की NCP है। उसके लिए 15-20 सीटें जीतना भी मुश्किल हो सकता है।’
सुनील सोनवलकर आगे कहते हैं, ‘दूसरी तरफ महाविकास अघाड़ी में शिवसेना (उद्धव) कमजोर है। लोकसभा चुनाव के बाद उद्धव ठाकरे को कैंडिडेट सिलेक्शन में जैसी मदद करनी थी, वैसी उन्होंने नहीं की। उद्धव को 30-35 सीटें मिल सकती हैं। शरद पवार की पार्टी 50 सीट जीत सकती है। ऐसा हुआ तो महाराष्ट्र की राजनीति बदल जाएगी।’
‘BJP 60 हजार से ज्यादा छोटी-बड़ी रैलियां कर चुकी है। पार्टी दो रणनीतियों पर काम कर रही है- पहला, कोर वोटर को पोलिंग बूथ तक लाना और दूसरा- विरोधी पार्टी के वोटों को बांटना।’
पॉलिटिकल पार्टियों क्या कह रहीं
BJP: 110 से 115 सीटें जीतेंगे, CM का फैसला विधायक करेंगे पार्टी प्रवक्ता चंदन गोस्वामी कहते हैं, ‘महाराष्ट्र में डेवलपमेंट सबसे बड़ा मुद्दा है। हमारा चेहरा PM मोदी हैं। एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार हमारे लीडर हैं।’
शिवसेना (शिंदे गुट): 185 से ज्यादा सीटें जीतेगा महायुुति प्रवक्ता और मुंबादेवी सीट से चुनाव लड़ रहीं शाइना एनसी कहती हैं, ‘महाराष्ट्र में हमारी सरकार ने ढाई साल में इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम किया है। महिलाओं के लिए लाडकी बहना योजना लाए हैं।’
NCP (अजित पवार गुट): महायुति का आंकड़ा 160 तक जाएगा प्रवक्ता संजय तटकरे कहते हैं, ‘हम विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं। शरद पवार की पार्टी से चुनौती मिल रही है, ऐसा नहीं है। मराठा आरक्षण राजनीतिक मुद्दा नहीं है। मनोज जरांगे पाटिल जो कर रहे थे, हम उसे आंदोलन की तरह देखते हैं। हम उनकी मांग का समर्थन करते हैं, बस हमारी मांग है कि आरक्षण OBC के हिस्से से नहीं दिया जाना चाहिए।’
कांग्रेस: महाविकास अघाड़ी को 170 सीटें मिलेंगी पार्टी प्रवक्ता अतुल लोंढे कहते हैं, ‘मराठा और OBC का मुद्दा बहुत बड़ा है। BJP ने दोनों समुदायों को नाराज किया है। धनगरों को आरक्षण का वादा भी अधूरा रह गया। पेपर लीक, एग्जाम न होना, बेरोजगारी के कारण हैं। एक बड़ा मुद्दा महाराष्ट्र के प्रोजेक्ट बाहर ले जाने का भी है।’
NCP (SP) : सीट का पता नहीं, सरकार बनाएंगे ये तय है पार्टी के प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो कहते हैं ‘महाराष्ट्र में सबसे बड़े मुद्दे महंगाई, बेरोजगारी और किसान हैं। हम इन्हें लोगों तक लेकर जा रहे हैं। BJP इन मुद्दों को हाथ नहीं लगाती। वे हिंदू मुस्लिम और वोट जिहाद जैसे मुद्दे उछाल रहे हैं।’
शिवसेना (उद्धव): महाविकास अघाड़ी को 155-160 सीटें मिलेंगी प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी कहती हैं कि महाराष्ट्र में कानून व्यवस्था सबसे बड़ा मुद्दा है। सलमान खान को धमकी से लेकर बाबा सिद्दीकी की हत्या तक हमने सब मुंबई में देखा है। महाराष्ट्र की इंडस्ट्री को बाहर ले जाने का मुद्दा बड़ा है। दूसरी तरफ BJP बंटवारे के लिए ‘एक हैं, तो सेफ हैं’ और ‘बटेंगे तो कटेंगे’ जैसी बातें कर रही है।
———————————————————-
महाराष्ट्र के अलावा झारखंड में भी चुनाव हैं, पढ़िए वहां क्या है हवा का रुख… फेज 1:झारखंड में खेला कर सकती है BJP, पहले फेज में 14-21 सीटें मिलने के आसार
झारखंड में 81 सीटों पर दो फेज में वोटिंग होनी है। पहले फेज में 13 नवंबर को 43 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। इसमें NDA 16 से 24 सीटों पर मजबूत नजर आ रहा है। BJP 14 से 21, JDU 0-1, आजसू 0-1, LJP (रामविलास) 0-1 सीटें जीत सकती है। वहीं INDIA ब्लॉक 14 से 19 सीटों पर मजबूत है। इसमें JMM 11-15, कांग्रेस 0-4 और RJD 0-1 सीटें जीत सकती है। पढ़िए पूरी खबर…
फेज 2: 38 सीटों में से BJP 8-13, JMM 10-15 पर मजबूत, कांग्रेस को नुकसान
झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे फेज की 38 पर 20 नवंबर को वोटिंग होगी। 18-18 सीटों वाले संथाल परगना और उत्तरी छोटानागपुर में BJP 8-13 सीटें जीत सकती है। दक्षिणी छोटानागपुर की दोनों सीटों पर पार्टी मजबूत है। हेमंत सोरेन की पार्टी JMM 10-15 पर मजबूत है। कांग्रेस को 2019 के मुकाबले 5 सीटों का नुकसान होता दिख रहा है। पढ़िए पूरी खबर…